
लखनऊ, 3 मार्च 2023 : कंपनियां ग्राहकों का बीमा करते समय बड़े-बड़े वादे करती हैं लेकिन, क्लेम देने के समय भुगतान करने में आनाकानी की जाती है। यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने भी जिला उपभोक्ता फोरम के निर्णय के विरुद्ध राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की। राज्य आयोग ने कंपनी को आंशिक राहत जरूर दी है लेकिन, उपभोक्ता को धन का भुगतान करने का आदेश दिया है।
मकान संख्या 286 ए रक्षाखंड एल्डिको द्वितीय रायबरेली रोड लखनऊ की गीता सिंह के पति विनोद सिंह ने 30 अक्टूबर 2017 को विटारा ब्रेजा कार संख्या यूपी 32 जेएच 6772 खरीदी। परिवहन विभाग में पंजीकरण कराने के बाद कार का बीमा कराया। 26,757 रुपये किस्त जमा किया, जो 31 अक्टूबर 2017 से 31 अक्टूबर 2018 तक वैध था। अगले साल बीमा का नवीनीकरण कराया। पांच दिसंबर को कार सड़क हादसे में दुर्घटनाग्रस्त हुई, कार विनोद सिंह चला रहे थे जो गंभीर रूप से घायल हुए और 14 दिसंबर को दिवंगत हो गए।
गीता के पुत्र ने सात जनवरी 2019 को भुगतान पाने का क्लेम किया और कार को मरम्मत कराने के लिए कंपनी की ओर से अधिकृत सर्विस सेंटर पर भेजा। साथ ही कार का नामांतरण कराने के लिए परिवहन विभाग में प्रक्रिया शुरू कर दी। छह माह बाद बीमा कंपनी ने गीता सिंह को सूचित किया मृत विनोद सिंह का ड्राइविंग लाइसेंस वैध नहीं था, इसलिए उन्हें क्लेम नहीं दिया जाएगा। पुत्र ने प्रतापगढ़ एआरटीओ से जारी लाइसेंस भेजा और कहा कि वे इसकी जांच करा सकते हैं।
गीता ने कंपनी से 5,90,727 रुपये कार की मरम्मत का धन मांगा। इसमें आनाकानी करने पर सेवा में कमी मानते हुए उन्होंने जिला उपभोक्ता आयोग में वाद दाखिल किया। जिला आयोग ने आदेश दिया कि बीमा कंपनी 5,90,727 रुपये नौ प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से 45 दिन में भुगतान करे। 50 हजार रुपये क्षतिपूर्ति और 10 हजार रुपये मानसिक कष्ट का भी दे। तय समय में भुगतान न करने पर कंपनी को 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से धन देना होगा। इस निर्णय को बीमा कंपनी ने राज्य आयोग में चुनौती दी।
राज्य आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने दोनों पक्षों की सुनवाई की, बीमा कंपनी ने दो ड्राइविंग लाइसेंस के आधार पर भुगतान न करने का अनुरोध किया। कहा कि डीएल के आधार पर बीमा कंपनी क्लेम देने से नहीं बच सकती।
आयोग ने कंपनी को मामूली राहत देते हुए तय धनराशि सात प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से भुगतान करने, 20 हजार रुपये क्षतिपूर्ति देने और पांच हजार रुपये वाद व्यय देने का आदेश दिया है। साथ ही कंपनी को 25 हजार रुपये जिला उपभोक्ता आयाेग प्रथम में जमा करना होगा।
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