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कार्तिक पूर्णिमा एवं चंद्र ग्रहण - शुभ मुहुर्त, पूजा विधि, महत्व एवं उपाय



18 नवंबर 2021 गुरुवार को कार्तिक पूर्णिमा का उपवास रखा जाएगा और 19 नवंबर 2021 शुक्रवार को चंद्र ग्रहण पड़ेगा।


वैसे तो वर्ष भर की सभी पूर्णिमा महत्वपूर्ण होती है परंतु कार्तिक माह की पूर्णिमा का विशेष महत्व माना गया है। धार्मिक मान्यतानुसार कार्तिक माह को सर्वाधिक पवित्र माह माना गया है कार्तिक माह का नाम वेदों ने ऊर्ज ( ओज पूर्ण) नाम रखा था। वेदोत्तर काल में ऋषियों ने हिंदी महीनों के नाम नक्षत्रों के आधार पर रखने का निर्णय किया इस कारण पूर्णिमा कृतिका नक्षत्र में होने के कारण ऊर्ज माह का नाम कार्तिक माह रखा गया । धार्मिक मान्यतानुसार कार्तिक पूर्णिमा पर विष्णु भगवान ने मत्स्यवतार लिया था। इस कारण कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक महत्व बढ़ जाता है कार्तिक पूर्णिमा त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है धार्मिक मान्यता है कि कि भगवान भोलेनाथ ने कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली भी कहा जाता है।


कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त


पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होगी 18 नवंबर 2021 को दिन में 12:02 से व समाप्त होगी 19 नवंबर 2021 को अपराहन 2:29 पर।



पूजा विधि, महत्व व उपाय


कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से विशेष महत्व है।


पूर्णिमा स्नान करने और भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों को अपार सौभाग्य की प्राप्ति होती है।कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा नदी या किसी पवित्र नदी अथवा जलकुंड में स्नान व दीपदान करने से सभी तरह के कष्टों का नाश होता है।


कार्तिक पूर्णिमा पर तुलसी पूजा से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं।


जिन जातकों को संतान उत्पत्ति में बाधा आ रही हो कार्तिक पूर्णिमा का उपवास रखने से संतति प्राप्त होती है।

जिन भी जातकों का चंद्रमा कमजोर हो, या नीचस्थ हो या क्षीण हो ऐसे जातकों को कार्तिक पूर्णिमा से उपवास प्रारंभ करने से चंद्रमा मजबूत होता है ऐसे जातकों को कार्तिक पूर्णिमा पर सफेद वस्तुओं का दान करना अति शुभ फल कारक होता है। सफेद कपड़ा, चावल, चीनी, दही, मोती, शंख,चांदी, सफेद पुष्प भेंट आदि।


विधि


प्रातकाल नित्य कर्म से निवृत्त होकर किसी नदी, जलकुंड या घर पर ही गंगाजल डालकर सूर्योदय से पहले स्नान करें। पूजा स्थल को स्वच्छ करें। उपवास का संकल्प करें। घर के मुख्य द्वार पर हल्दी से स्वास्तिक बनाएं और मुख्य द्वार पर 11 आम के पत्तों से बना तोरण लगाएं। लक्ष्मी नारायण को विधि विधान से पूजा करें। रोली, कुमकुम, अक्षत, पंचमेवा, पंच मिठाई पंच फल पंचामृत, भगवान विष्णु को अर्पित करें। सत्यनारायण की कथा पढ़े, अखंड ज्योत जलाए भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते अवश्य अर्पित करें। शाम को तुलसी पर घी का दीपक जलाएं खीर का भोग लगाएं। रात्रि चंद्रोदय होने के उपरांत चंद्रदेव को स्टील के बर्तन से जल अर्पित करें स्वास्तिक बनाकर अक्षत, कुमकुम, रोली, पुष्प, दक्षिणा व भोग अर्पित करें ।


चंद्र ग्रहण


19 नवंबर 2021 शुक्रवार को साल का अंतिम चंद्र ग्रहण लगेगा जिसका भारत में कोई प्रभाव नहीं है यह केवल उपछाया ग्रहण है। आपको यह भी अवगत करा देते हैं कि उपछाया ग्रहण होता क्या है जब चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश किए बिना ही बाहर निकल आता है उसे उपछाय ग्रहण कहते हैं चंद्रमा जब धरती की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है तभी उसे पूर्ण रूप से चंद्रग्रहण माना जाता है उपछाया ग्रहण को वास्तविक चंद्र ग्रहण नहीं माना गया है। भारत में इसका कोई महत्व नहीं है इसका कोई सूतक भी भारत में नहीं लगेगा और ना किसी प्रकार के धार्मिक कार्यों पर चंद्र ग्रहण का प्रभाव पड़ेगा। केवल गर्भवती महिलाओं को सावधानी बरतने की आवश्यकता होगी जैसे की चाकू से कोई सामान ना काटे और सुई का प्रयोग ना करें सोना भी नही चाहिए और इसके अतिरिक्त धार्मिक पुस्तकें पढ़ें गीता रामायण का पाठ करें।


जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा राहु से पीड़ित हो केतु से पीड़ित हो या फिर चंद्रमा शनि के साथ विष दोष उत्पन्न हो रहा हो ऐसे जातकों को चंद्र ग्रहण के दिन सफेद वस्तुओं का दान करना शुभ फल कारक होगा।


भारत में चंद्र ग्रहण का समय


भारतीय समयानुसार 19 अक्टूबर 2021 शुक्रवार को सुबह 11:34 मिनट से चंद्र ग्रहण प्रारंभ होगा जो शाम 05:33 मिनट पर समाप्त होगा।


ज्योतिषाचार्य मंजू जोशी

लेख - ज्योतिषाचार्य मंजू जोशी













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