नई दिल्ली, 31 जुलाई 2023 : पेल्विक फ्लोर डिसऑर्डर महिलाओं के बीच एक कॉमन लेकिन अक्सर नजरअंदाज की जाने वाली हेल्थ प्रॉब्लम है। इसमें कई मेडिकल कंडीशन्स सामने आती हैं, जो पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों, लिगामेंट्स या कनेक्टिव टिश्यू में रोग या कमजोरी के कारण उत्पन्न होती हैं। ये स्थितियां महिलाओं के लाइफ पर काफी बुरा प्रभाव डाल सकती हैं। शारीरिक के अलावा ये मेंटली और सामाजिक तौर पर भी प्रभावित कर सकती है। हालांकि, काफी कॉमन प्रॉब्लम होने के बावजूद, महिलाओं में इसे लेकर अवेयरनेस की कमी है। इसके अलावा, पेल्विक फ्लोर के मुद्दों पर चर्चा करने में आज भी महिलाओं को झिझक होती है।
भारतीय प्रसूति एवं स्त्री रोग विज्ञान द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, 5 में से 1 महिला प्रसव के बाद पेल्विक फ्लोर डिसफंक्शन से पीड़ित होती है और उन कारकों की पहचान की गई है, जो पेल्विक फ्लोर डिसफंक्शन के उच्च जोखिम से जुड़े हैं। इसके अलावा, प्रसव संबंधी चोटें, उम्र बढ़ना, मोटापा और सांस्कृतिक प्रथाएं जैसे कारक इस स्थिति को बढ़ाने का काम करते हैं। हालांकि, जागरूकता की कमी और संकोच के कारण, कई महिलाएं ट्रीटमेंट मौजूद होने के बाद भी इस समस्या से जूझती रहती हैं। सबसे जरूरी है इस समस्या के बारे में जानना, इसके लक्षणों को पहचानना और फिर इसके प्रॉब्लम के बारे में एक्सपर्ट से बातचीत कर इलाज शुरू करवाना। सही समय पर इलाज हो जाने से कई गंभीर स्थितियों से बचे रहा जा सकता है।
महिलाओं में पेल्विक फ्लोर डिसऑर्डर के कारण, प्रकार और लक्षण पेल्विक फ्लोर डिसऑर्डर कई प्रकार के होते हैं, जिनमें से हर एक के अपने लक्षण होते हैं।
1. यूरिनरी/ मूत्र असंयम: इस स्थिति में यूरिन लीकेज की समस्या होती है, जो अक्सर खांसने, छींकने, हंसने या व्यायाम करने जैसी गतिविधियों से जुड़ी होती है। इसको स्ट्रेस (ब्लैडर पर दबाव के कारण रिसाव), इच्छा असंयम (अचानक पेशाब करने की तीव्र इच्छा), या मिश्रित असंयम (तनाव और आग्रह असंयम दोनों का संयोजन) में वर्गीकृत किया जा सकता है।
2. मल असंयम: मल असंयम में मल त्याग को कंट्रोल करने में प्रॉब्लम होती है, जिसके परिणामस्वरूप मल अनजाने में निकल जाता है। इसमें कभी कभी तो हल्का रिसाव होता है और कभी पूरा मल निकल सकता है । कमजोर स्फिंक्टर मांसपेशियां, नसों का डैमेज होना और रेक्टल डिसऑर्डर्स जैसे कारक इसका कारण हो सकते हैं ।
3. पेल्विक ऑर्गन प्रोलैप्स: यह प्रोलैप्स तब होता है जब पेल्विक अंग, जैसे ब्लैडर , गर्भाशय, या मलाशय, योनि क्षेत्र में उतर जाते हैं या "प्रोलैप्स" हो जाते हैं । इससे योनि में उभार या दबाव की अनुभूति, ऐसा महसूस होना कि योनि से कुछ बाहर गिर रहा है, संभोग के दौरान असुविधा या दर्द, मूत्र या मल असंयम और मल त्याग में कठिनाई जैसे लक्षण हो सकते हैं।
4. पेल्विक दर्द: इसमें पेल्विक क्षेत्र में पुराना दर्द शामिल होता है, जो अक्सर कई महीनों या उससे अधिक समय तक रहता है। यह विभिन्न कारणों से हो सकता है, जिसमें पेल्विक फ्लोर में मसल स्पाज्म, नर्व डैमेज, सूजन, या पुरानी चोट व् ट्रामा शामिल है। इसके लक्षणों में पेट के निचले हिस्से, श्रोणि या जननांग क्षेत्र में लगातार दर्द, संभोग के दौरान दर्द (डिस्पेर्यूनिया), मल त्याग या पेशाब के दौरान दर्द और श्रोणि क्षेत्र में सामान्य असुविधा या भारीपन शामिल हो सकते हैं।
5. यौन रोग: पेल्विक फ्लोर डिसऑर्डर भी यौन परेशानियों में योगदान कर सकते हैं, जिसमें संभोग के दौरान दर्द (डिस्पेर्यूनिया) या यौन संतुष्टि में कमी, संभोग सुख प्राप्त करने में कठिनाई या यौन गतिविधि के दौरान पेल्विक क्षेत्र में सामान्य असुविधा शामिल है। ये समस्याएं मांसपेशियों में तनाव, पेल्विक ऑर्गन प्रोलैप्स या अन्य संबंधित कारकों के कारण उत्पन्न हो सकती हैं।
एक्सपर्ट से कब सलाह लेनी चाहिए?
अगर ये लक्षण रोज़ाना की गतिविधियों, इमोशनल हेल्थ या लाइफ को बुरी तरह प्रभावित करने लगे, तो बिना देर किए डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। यह महत्वपूर्ण है कि इन लक्षणों को खारिज या नजरअंदाज न किया जाए, क्योंकि शुरुआती इलाज़ से बेहतर परिणाम मिल सकते हैं और पेल्विक फ्लोर डिसऑर्डर को बेहतर तरीके से मैनेज किया जा सकता है ।
डॉक्टर के साथ इस पर बातचीत करके, इस प्रॉब्लम को सही तरीके से मैनेज किया जा सकता है। डॉक्टर एक ट्रीटमेंट ऑप्शन की सिफारिश कर सकते हैं जिसे रोगी की स्थिति और लक्षणों को ध्यान में रख कर बनाया जा सकता है, जिसमें - मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए पेल्विक फ्लोर व्यायाम (जैसे कि केगेल व्यायाम), जीवन शैली में बदलाव जैसे वेट मैनेजमेंट और पेल्विक फ्लोर पर दबाव डालने वाली गतिविधियों से बचना, यूरिनेशन ट्रेनिंग या बायोफीडबैक जैसी व्यवहारिक थेरेपी, अलग अलग लक्षणों को मैनेज करने के लिए दवाएं, और कुछ मामलों में, प्रोलैप्स को ठीक करने या पेल्विक अंगों को सहायता प्रदान करने के लिए सर्जिकल ऑप्शन शामिल हो सकते हैं ।
पेल्विक फ्लोर डिसऑर्डर से जुड़े कारण और जोखिम अलग-अलग हो सकते हैं। गर्भावस्था और प्रसव आम जोखिम कारक हैं क्योंकि वे पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को कमजोर कर सकते हैं। अन्य जोखिम कारकों में मोटापा, उम्र बढ़ना, पुरानी खांसी, भारी सामान उठाना और कुछ मेडिकल कंडीशन शामिल हैं, जो पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों पर लगातार दबाव डालती हैं। इसलिए, अगर आपको इसमें से कोई भी परेशानी हो, तो डॉक्टरी से तुरंत संपर्क करें।
जागरूकता बढ़ाकर, पेल्विक फ्लोर विकारों के बारे में चुप्पी और कलंक को तोड़कर, और महिलाओं को आवश्यक देखभाल प्राप्त करने के लिए सशक्त बनाकर, हम इन विकारों से पीड़ित महिलाओं के लिए जीवन की बेहतर गुणवत्ता और कल्याण सुनिश्चित कर सकते हैं।
Commentaires