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1 जून से किस राज्य में मिलेगी कितनी छूट – जानिए क्या तैयारी कर रही हैं राज्य सरकारें



रिपोर्ट - आदेश शुक्ला


कोरोना आंशिक कर्फ्यू या लॉकडाउन की मियाद 31 मई तक बढ़ाई जा चुकी है। इस बीच लगातार कोरोना संक्रमण के मामले भी कम होते जा रहे हैं। इस संक्रमण काल में अगर सबसे ज्यादा प्रभावी कुछ रहा है तो वो है कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए लॉकडाउन।


किसी राज्य ने समय रहते तो किसी राज्य ने स्थितियां हाथ से निकलने के बाद लगाया लॉकडाउन या कोरोना

कर्फ्यू ही।


उत्तर प्रदेश में पहले नाइट लॉकडाउन, फिर वीकेंड कर्फ्यू और बाद में पूर्ण बंदी की तर्ज पर कुछ रियायतों के साथ आंशिक कोरोना कर्फ्यू। राजधानी लखनऊ में ही बीते अप्रैल माह में पांच-छ हजार केस प्रतिदिन निकल रहे थे। मरीजों की संख्या देखते देखते लाखों में पहुंच गई। दवा, इलाज, अस्पताल जहां जिसको जो मिला उसने अपने प्राण बचाए लेकिन आंशिक कोरोना कर्फ्यू या लॉकडाउन लागू होते ही राजधानी समेत प्रदेश की जनता को प्राणों का अभयदान मिल गया।


हांलाकि इस बार लॉकडाउन के दौरान कई आवश्यक गतिविधियां जारी रहीं। दफ्तर, फैक्ट्री, ऑफिस बहुत कुछ चलायमान रहा फिर भी हर किसी को जानने की उत्सुकता है कि ऐसा कब तक चलेगा।


अब ऐसा कहा जा रहा है कि एक जून से आंशिक कोरोना कर्फ्यू या लॉकडाउन में कुछ रियायतें और जोड़ी जाएंगीं। यानी आंकड़ों के आधार पर सरकारें ये मानते हुए कि कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप कम हो रहा है आम जनजीवन को पटरी पर लाने का प्रयास शुरु करेंगीं।


ऐसे राज्य जहां से सामने आ रहे हैं संक्रमण के नए मामले


तमिलनाडु में बीते 24 घंटों में 10,000 से ज्‍यादा केस मिले हैं। इसके अलावा महाराष्‍ट्र, कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओडिशा से नए संक्रमण के मामले आने का सिलसिला जारी है। शामिल हैं। कें


किन राज्यों में हैं सबसे ज्यादा एक्टिव केस


केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 8 राज्‍यों में ही देश के 72% ऐक्टिव केस हैं। इन्‍हें छोड़कर बाकी राज्‍यों में कमोबेश वायरस संक्रमण काबू में आता नजर आ रहा है। दिल्‍ली, उत्‍तर प्रदेश जैसे राज्‍यों में संक्रमण दर 5% से नीचे आ चुकी है। ज्‍यादातर ऐक्टिव मामले कर्नाटक, महाराष्‍ट्र, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्‍थान और ओडिशा से सामने आ रहे हैं।फिलहाल कर्नाटक में सबसे ज्‍यादा 4.73 लाख ऐक्टिव मामले हैं तो ओडिशा में 1 लाख 288 केस।


ऐसे में अगर एक जून से राज्य सरकारों ने कोरोना कर्फ्यू में ढील देना शुरु किया तो क्या क्या खुल सकता है ये बहुत कुछ राज्य सरकार के विवेक पर ही निर्भर करेगा। आपको राज्यवार बताते हैं कि कहां क्या संभावना है


महाराष्‍ट्र


लॉकडाउन और दवा इलाज को लेकर सबसे ज्यादा हीलाहवाली करने वाली महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार अब तक स्थितियों पर काबू नहीं कर पाई है। समय बीतने के साथ हालात कुछ सुधरे हैं ऐसे में चरणबद्ध तरीके से प्रतिबंधों को 1 जून से हटाया जा सकता है।


  • इस क्रम में दुकानों को खोलने की इजाजत पहले और दूसरे चरण में

  • होटल, रेस्टोरेंट, बार और शराब बिक्री की अनुमति तीसरे चरण में

  • लोकल सेवा और धार्मिक स्थलों को खोलने की भी मंजूरी चौथे चरण में


दिल्ली


दिल्ली की जनता एक तरफ कोरोना से जूझी तो दूसरी तरफ अपने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सियासत और अनिर्णय की स्थिति के कारण आज भी जूझ ही रही है। समय के साथ कोरोना का प्रकोप कम हुआ तो जून के पहले हफ्ते से देश की राजधानी दिल्ली को कुछ राहत मिल सकती है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस बात के संकेत दिए हैं। अगर दिल्ली में कोविड-19 का पॉजिटिविटी रेट 2.5% तक गिर गया तो 1 जून से कई गतिविधियों की छूट मिल सकती है जिसमें –

  • दिल्‍ली मेट्रो संचालन कोविड प्रोटोकॉल के साथ।

  • सार्वजनिक स्‍थानों पर शादी समारोहों की अनुमति मेहमानों की सीमित संख्‍या के साथ।

  • मास्‍क और सोशल डिस्‍टेंसिंग की अनिवार्यता के साथ खुल सकते हैं बाजार

  • कोविड प्रोटोकाल के साथ ऑफिस खोलने की अनुमति

  • पाबंदियों के साथ मॉल और रीक्रिएशनल सेंटर्स को खोलने की अनुमति


मध्यप्रदेश


मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि कोरोना के कारण सब कुछ अनंतकाल तक बंद नहीं किया जा सकता। इस बात में जितनी सच्चाई है उतना ही बड़ा जोखिम भी। फिलहाल मध्यप्रदेश के 5 जिलों में थोड़ी ढील दी गई है। संक्रमण की दर कम रहने पर बाकी जिलों में भी 1 जून से छूट देने की योजना है। इस बात के संकेत हैं कि एक जून से सरकारी दफ्तर खुलेंगे लेकिन 25 फीसदी कर्मचारी ही आ सकेंगे।

पहले चरण में सिनेमाघर, मॉल, कोचिंग संस्‍थान खुलने की उम्‍मीद बेहद कम है।


उत्‍तर प्रदेश


उत्तर प्रदेश और खासतौर से राजधानी लखनऊ ने अप्रैल के महीने में जो मंजर देखा है उसे अगर जनता सबक ले सके तो बहुत बेहतर। कोविड बिहेवियर को अगर प्रदेश की जनता ने नहीं अपनाया तो आबादी के लिहाज से इस बड़े प्रदेश में कभी भी मौत का तांडव शुरु हो सकता है। इसलिए थोड़े डर के साथ साहस दिखाना ही होगा।

स्वयं कोरोना संक्रमित होने के बावजूद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह की हिम्मत और साहस का परिचय देकर प्रदेश की जनता का खोया आत्मविश्वास लौटाने की कोशिश की है वो विरले ही देखने को मिलता है। फिलहाल 31 मई तक कोरोना आंशिक कर्फ्यू लागू है।


स्थितियों को बहुत करीब से देख रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 1 जून से थोड़ी राहत देने का मन बना रहे हैं। लेकिन ब्लैक,व्हाइट और येलो फंगस की फांस अभी भी सरकार और जनता को चुभ रही है। इसलिए संभव है कि प्रदेशवासियों को थोड़ा इंतजार और करना पड़े।


बिहार, उत्‍तराखंड,पंजाब, हरियाणा


इन राज्यों में भी कोरोना ने अपना प्रकोप दिखाया है। फिलहाल स्थितियों पर राज्य सरकार ने काबू करने के जो प्रयास किए हैं उससे संक्रमण के मामलों में कुछ स्थिरता जो जरुर है लेकिन इन राज्यों में पॉजिटिविटी रेट अभी दस प्रतिशत के आसपास बना हुआ है। ऐसे में राज्य सरकारें कुछ और प्रयास करके इसे पांच फीसदी से नीचे आने का इंतजार कर सकती है। संभव है कि इस सूरत में किसी प्रकार की राहत ना मिले और यथास्थिति कायम रहे।


कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु,राजस्थान


दक्षिण भारत के इन राज्यों के साथ साथ राजस्थान में राहत की फिलहाल उम्मीद कम ही है।


कर्नाटक में 7 जून की सुबह 6 बजे तक के लिए लॉकडाउन लगाया जा चुका है। देश में सबसे ज्‍यादा ऐक्टिव केस यहीं पर हैं।


राजस्‍थान में लॉकडाउन 8 जून तक के लिए बढ़ाया गया है। आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सबकुछ 8 जून की सुबह 5 बजे तक बंद रहेगा।


केरल में भी लॉकडाउन को 30 मई तक बढ़ाया गया है। केरल में पॉजिटिविटी रेट 23.18 है जो कि लॉकडाउन में छूट के लिए आवश्‍यक बताए जाने वाले 5% के चार गुने से भी ज्‍यादा है। ऐसे में यहां लॉकडाउन बढने की संभावना ज्यादा है।


तमिलनाडु में भी लॉकडाउन में कोई रियायत नहीं दी जाएगी। हर दिन 10 हजार के आसपास केस निकल रहे हैं जबकि राज्‍य में 10 मई से ही लॉकडाउन है। 1 जून के बाद भी यहां छूट मिलने के आसार न के बराबर हैं।


टीम स्टेट टुडे


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