हिंदुत्व के पुरोधाओं में शामिल महंत नरेंद्र गिरि को भू समाधि दे दी गई। बुधवार को पोस्टमार्टम के बाद उनका पार्थिव शरीर श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी लाया गया। फूलों से सजे वाहन पर पार्थिव शरीर रखकर अंतिम यात्रा शहर के मार्गों से होकर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम पहुंची। वहां स्नान कराने के बाद बांध स्थित लेटे हनुमान मंदिर फिर वापस श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी ले जाया गया। यहां वैदिक मंत्रोच्चार के साथ महंत के पार्थिव शरीर को भू समाधि दी गई।
दूसरी तरफ महंत की मृत्यु की जांच में जो तथ्य सामने आ रहे हैं उससे राज़ और गहरा हो गया है।
जिस कमरे में फंदे से लटकता हुआ महंत का शव मिला, वह उसमें कभी सोते ही नहीं थे। इसके अलावा उस कमरे से अटैच बाथरूम का एक दरवाजा बाहर की ओर भी खुलता है। ऐसे में भीतर से लॉक रहने के बावजूद उस कमरे से कोई भी बाहर निकल सकता है। ऐसे में महंत की मौत की गुत्थी और भी उलझ सकती है। महंत नरेंद्र गिरि का फंदे से लटकता शव मठ परिसर में मीटिंग हाल के ठीक सामने वाले कक्ष में मिला था। जबकि महंत का शयन कक्ष बाघंबरेश्वर महादेव मंदिर की पहली मंजिल पर था। उसी में वह सोते और आराम भी करते थे। जिन कमरे में उनका शव मिला, उसमें वह रहते नहीं थे। खुफिया विभाग की टीम ने भी जब उस कमरे की पड़ताल की तब पता चला कि उस कक्ष से अटैच बाथरूम का एक दरवाजा ऐसा भी है, जो बाहर की ओर खुलता है।
ऐसे में कक्ष का दरवाजा भीतर से बंद रखने के बाद भी कोई व्यक्ति वहां से बाथरूम के रास्ते से बाहर निकल सकता है। ऐसे में नरेंद्र गिरि की मौत को लेकर सवाल उठना लाजिमी है।
निर्वाणी अनी अखाड़े के महंत धर्मदास ने बताया जिस कमरे में उनका शव मिला है, उसमें वह कभी नहीं सोते थे। महंत धर्मदास श्रद्धांजलि देने प्रयागराज पहुंचे हैं। उन्होंने सुसाइड नोट को भी बनावटी और नकली करार दिया। महंत धर्मदास ने दावा किया कि महंत नरेंद्र गिरि लिखना नहीं जानते थे।
सिर्फ इतना ही नहीं जो सुसाइड नोट कमरे से मिला है वो भी संदेहास्पद है। सुसाइड नोट में दो पेन इस्तेमाल किए गए हैं। नीला और काला। सुसाइड नोट के कुछ पन्नों पर 13 सितंबर की तारीख है जबकि कुछ पर 20 सितंबर की। जहां तेरह सितंबर की तारीख है उसे काट कर 20 सितंबर किया गया है। सुसाइड नोट में इतनी जगह कटिंग की गई है जिससे लगता है कि लिखने के बाद उसे दो बार या तीन बार और पढ़ा गया है।
कुछ सवाल ऐसे हैं जिनका जवाब अब तक नहीं मिला है। सिर्फ इतना ही नहीं जैसे जैसे पुलिस की कार्रवाई आगे बढ़ रही है वैसे वैसे मामला और पेंचीदा भी हो रहा है।
सवाल 1 : सुसाइड नोट में तीन लोगों का नाम तो एफआईआर में सिर्फ आनंद गिरि क्यों?
महंत नरेंद्र गिरि के शव के पास से जो सुसाइड नोट बरामद हुआ है उसमें आनंद गिरि के अलावा लेटे हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या तिवारी व उनके बेटे संदीप तिवारी काभी नाम है तो पुलिस ने सिर्फ आनंद गिरि को गिरफ्तार क्यों किया?
सवाल 2 : पुलिस के पहुंचने के पहले ही उनका शव रस्सी काटकर क्यों उतारा गया?
अपनी आत्महत्या के एक दिन पहले उन्होंने अपने लिए रस्सी का मंगाना। इसके साथ ही पुलिस के पहुंचने के पहले ही उनके शव को रस्सी काटकर उतार लेना। ये घटनाक्रम इस ओर भी इशारा करता है कि कहीं कोई अंदर का आदमी तो इसमें शामिल नहीं था।
सवाल 3 : दावा किया जा रहा है कि नरेंद्र गिरि लिखना नहीं जानते थे तो सुसाइड नोट कैसे लिखा?
कहा जा रहा है कि महंत नरेंद्र गिरि लिखना नहीं जानते थे तो वो इतना लंबा सुसाइड नोट कैसे लिख सकते हैं।
सवाल 4 : नरेंद्र गिरि की पहुंच सरकारों तक थी तो उन पर कौन दबाव बना सकता है?
महंत नरेंद्र गिरि एक ऐेसी शख्सियत थे जिनकी सरकारों तक पहुंच थी। अगर उन्हें किसी प्रकार की कोई परेशानी थी तो वो इसके लिए सीधे सूबे के मुख्यमंत्री से भी बात कर सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। इसके बाद से ही यह सवाल उठ रहा है कि कौन है जा उनपर दवाब बना सकता था।
सवाल 5 : अगर उन्हें कोई परेशानी थी तो उन्होंने प्रशासन की मदद क्यों नहीं ली?
उनके मौत के पीछे के कारणों में एक वीडियो की बात भी सामने आ रही है। अगर वीडियो के कारण वो इतना परेशान थे तो इसकी शिकायत प्रशासन से कर सकते थे।
टीम स्टेट टुडे
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