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कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकेगी नई दवाई


लखनऊ, 26 अक्टूबर 2023 : कैंसर जैसी बीमारी को नियंत्रण करने के लिए बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय (बीबीएयू) ने शोध किया है। इसमें कैंसर कोशिकाओं को मृत कोशिका में बदलने और कोशिकाओं की वृद्धि को रोकने वाले केमिकल कंपाउंड की खोज की गई है। इसके उपयोग से कैंसर को किसी भी चरण में रोकने का दावा किया गया है। लैब में इसका सफल प्रयोग हो चुका है।

जल्द ही चूहे पर इसका ट्रायल किया जाएगा। यह शोध नर्वस सिस्टम के कैंसर को छोड़कर सभी तरह के कैंसर के उपचार में सहायक हो सकता है। मानव शरीर में सामान्य कोशिका (नार्मल सेल) मृत होती रहती है, उसकी जगह पर नए सेल बनते रहते हैं। इसमें एक पूरा सिस्टम काम करता है। जो कोशिकाओं को मृत और उसकी जगह नए कोशिका को बनता है। वहीं, कैंसर कोशिकाओं में सेल मृत नहीं होती है।

नए कोशिकाएं तेजी से बनते रहते हैं। कैंसर सेल में क्रमबद्ध मृत्यु वाला कोई सिस्टम काम नहीं करता है। बीबीएयू के जैव प्रौद्योगिकी, रसायन विज्ञान और फार्मास्यूटिकल साइंस के शोधकर्ताओं ने संयुक्त रूप से कैंसर की कोशिकाओं पर केमिकल कंपाउंड एजिरिडीन डेरिवेटिव का उपयोग किया है। कैंसर सेल पर इसका उपयोग करने से मृत सेल की प्रक्रिया फिर से शुरू हो गई। साथ ही नए सेल बनने की प्रक्रिया भी नार्मल सेल की तरह से होने लगी।

इस शोध को जीव विज्ञान के विशेषज्ञ डा. युसुफ अख्तर, रसायन विज्ञान के डा. जवाहर लाल जाट और औषधीय रसायन विज्ञान और फार्माकोलाजी विशेषज्ञ डा. सुदीप्त साहा ने किया। पिछले साल डा. सुदीप्त साहा की शोध के दौरान ही मृत्यु हो गई थी, लेकिन उनके प्रोजेक्ट को अन्य शोधार्थियों ने पूरा किया। इस शोध का पेटेंट हो चुका है। डा. युसुफ अख्तर ने बताया कि लीवर यानी यकृत कैंसर में अभी तक यकृत प्रत्यारोपण, एब्लेशन और कीमोएम्बोलाइजेशन जैसे इलाज शामिल हैं।

इसमें सोराफेनीब और रामुसीरमब दवाइयां उपलब्ध हैं, लेकिन इससे कुछ समय के लिए ही रोगी के जीवन को बचाया जा सकता है। जो शोध हुआ है। उसमें कैस्पेज़-9 प्रोटीन कोशिका मृत्यु में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, और कैस्पेज़-3 प्रोटीन इस प्रक्रिया के प्रभावी तरीके से काम करती है। शोध में कैंसर कोशिकाओं के खिलाफ इन अणुओं के एंटीप्रोलिफेरेटिव गुणों जो कि कैंसर कोशिकाओं के प्रजनन को रोकने की क्षमता दर्शाता है, उस पर शोध है। यह अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका जर्नल आफ बायोमोलेक्यूलर स्ट्रक्चर एंड डायनेमिक्स में प्रकाशित हुआ है।

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