अक्सर ऐसा होता है कि आपके इलाके में टूटी-फूटी सड़क किसी तरह से बनकर तैयार हुई। आप सुबह दफ्तर गए तो नई सड़क चकाचक मिली लेकिन जब शाम को लौटे तो फिर खुदी मिली।
ऐसे बहुतेरे काम हैं जो पूरे देश में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए किये जाते हैं लेकिन एक विभाग कुछ बेहतर करता है तो दूसरा आकर उसे पहले से भी बुरे हाल में पहुंचा देता है।
नतीजा, ना काम होता है, ना सुविधा मिलती है। दूसरी तरफ उसी काम को बार बार करने से ना सिर्फ धन और समय की बर्बादी होती है बल्कि विभागीय भ्रष्टाचार भी खूब फलता फूलता है।
ये छोटा सा उदाहरण आपको समझने के लिए के लिए है कि पीएम मोदी ने इसी प्रकार की लालफीता शाही पर नकेल डाल दी है।
अगले 25 साल में देश की तस्वीर ही बदल चुकी होगी। बुनियादी ढांचे को विकसित करने की जो कवायद बीते सात दशक से चल रही है उसे एक सूत्र में अगर पहले बांधा गया होता तो शायद आज देश की तस्वीर कुछ और हो सकती थी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 100 लाख करोड़ रुपये का गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान का अनावरण कर दिया है। मास्टर प्लान में 1,200 से अधिक औद्योगिक क्लस्टर और दो रक्षा कारिडोर शामिल हैं जिन्हें परिवहन के विभिन्न साधनों से जोड़ा जाएगा। फिलहाल पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान में बुनियादी ढांचे से जुड़ी उन परियोजनाओं को शामिल किया गया है जिन्हें वर्ष 2024-25 तक पूरा किया जाना है।
इस मास्टर प्लान के तहत डिजिटल प्लेटफार्म तैयार किए जाएंगे जिसके तहत केंद्र सरकार के 16 मंत्रालय एक साथ इन परियोजनाओं की योजना तैयार करेंगे। इस डिजिटल प्लेटफार्म से सभी परियोजनाओं की उपग्रह से ली गई तस्वीर, वहां की रियल टाइम स्थिति, हो रही प्रगति, वहां उपलब्ध जमीन, पानी व अन्य सभी प्रकार की जानकारी ली जा सकेगी।
कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों का एक समूह इन सभी परियोजनाओं की निगरानी करेगा। सरकार की परियोजनाओं को तय समय के भीतर पूरा करने के लिए यह गतिशक्ति मास्टर प्लान सही जानकारी और सटीक मार्गदर्शन करेगा।
क्यों तैयार किया गाय गति शक्ति प्लान
गतिशक्ति के इस महाअभियान के केंद्र में भारत के लोग, भारत के उद्योग, भारत के व्यापार जगत, भारत के किसान, भारत के उत्पादक और भारत के गांव हैं। भारत में बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं की व्यापक योजना में अनेक कमियां दिखती हैं। आम तौर पर अगर रेलवे अपनी योजना बनाता है तो सड़क परिवहन अपनी योजना और टेलीकाम अपनी योजना बना रहा होता है। तमाम विभाग अलग-अलग योजना बना रहे होते हैं।
अलग-अलग विभागों को पता नहीं होता है कि कौन सा विभाग कौन सी परियोजना को कहां शुरू करने की तैयारी कर रहा है। राज्यों को भी इसकी जानकारी नहीं होती है। इस कारण निर्णय प्रक्रिया प्रभावित होती है और बजट की भी बर्बादी होती है। इन सारी दिक्कतों का हल पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान से निकलेगा। इस मास्टर प्लान को आधार बनाकर चलेंगे तो संसाधनों का आदर्श इस्तेमाल कर सकेंगे।
कैसे मिलेगा फायदा
यह व्यवस्था ऐसी है कि आप एक साथ अलग अलग विभागों द्वारा एक ही स्थान पर कराए जा रहे या कराए जाने वाले कामों को ना सिर्फ देख सकेंगें बल्कि समय रहते अपने हिस्से का काम तेजी के साथ पूरा भी कर सकेंगे।
लाजिस्टिक (परिवहन) लागत कम होगी जिससे निर्यात बढ़ेगा और घरेलू स्तर पर भी लोगों को सस्ते सामान मिलेंगे।
किसानों की खेती की लागत में भी कमी आएगी। हर प्रकार के बुनियादी ढांचे की परियोजना दूसरी परियोजना की मदद करेंगी, एक दूसरे का पूरक बनेंगी।
सरकार को प्रभावी योजना और नीति बनाने में मदद मिलेगी। सरकार का अनावश्यक खर्च बचेगा और उद्यमियों को भी किसी प्रोजेक्ट से जुड़ी जानकारी मिलती रहेगी।
निवेशकों को सरकार तय समय में अपनी प्रतिबद्धता दिखा पाएंगी जिससे भारत नए निवेश स्थान के रूप में उभरेगा।
लोग कम कीमत में बेहतर जिंदगी जी सकेंगे और रोजगार के अवसर निकलेंगे।
क्या क्या होगा 2024-25 तक
राष्ट्रीय राजमार्ग को 2 लाख किलोमीटर तक ले जाना
17,000 किलोमीटर की गैस पाइपलाइन बिछाना
सौर ऊर्जा की उत्पादन क्षमता को 87.7 गीगावाट से बढ़ाकर 225 गीगावाट तक ले जाना
रेलवे के कार्गो परिवहन क्षमता को 121 करोड़ टन से बढ़ाकर 160 करोड़ टन तक पहुंचाना
11 औद्योगिक कारिडोर और दो रक्षा कारिडोर का निर्माण
सभी गांवों तक 4जी कनेक्टिविटी पहुंचाना
ट्रांसमिशन लाइन को 4,54,200 किलोमीटर तक ले जाना
202 फिशिंग क्लस्टर का निर्माण करना
ऐसे बदलेगी तस्वीर
इंडियन फाउंडेशन आफ ट्रांसपोर्ट, रिसर्च एंड ट्रेनिंग (आइएफटीआरटी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में लाजिस्टिक्स की लागत जीडीपी के 13 से 14 फीसद के बराबर है, जबकि विकसित देशों में यह सात से आठ फीसद और ब्रिक्स देशों में नौ से 10 फीसद है। अच्छे एवं मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च किया गया हर पैसा आर्थिक गतिविधियों में तीन गुना तक का योगदान देता है।
मामूली सुधार-बड़ा योगदान
लाजिस्टिक्स परफार्मेस के प्रभाव पर पाब्लो कोटो-मिलान, एगरस एम व अन्य की 2013 में आई एक रिपोर्ट कहती है, लाजिस्टिक्स में एक फीसद का सुधार आर्थिक विकास में 1.1 से 3.4 फीसद तक का योगदान देता है।
ग्लोबल बिजनेस कम्युनिटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, किसी देश की जीडीपी पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है कि वहां कितने विश्वस्तरीय बंदरगाह हैं। 13 यूरोपीय देशों के 120 बंदरगाह वाले क्षेत्रों के विश्लेषण में सामने आया कि जहां बंदरगाह होते हैं, वहां की जीडीपी तेजी से बढ़ती है।
कहा जा रहा है कि शिपिंग कनेक्टिविटी में एक मानक अंक का सुधार माल भाड़े को 287 डालर तक कम कर सकता है। इसी तरह बंदरगाहों के बुनियादी ढांचे में एक मानक अंक का सुधार माल भाड़े को 225 डालर तक कम कर सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में ना सिर्फ नए प्रशासनिक ढांचे में बदलाव आया है बल्कि अब उसका असर बुनियादी ढांचे पर भी दिखने लगा है।
टीम स्टेट टुडे
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