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राजनीतिक प्रतिशोध के लिए अमेठी लौट सकते हैं राहुल, भारत जोड़ो यात्रा के बाद का प्लान


नई दिल्ली, 08 नवम्बर 2022 : भारत जोड़ो यात्रा केसहारे कांग्रेस केलिए जमीन मजबूतकरने राजनीतिक देशाटनपर निकले राहुलगांधी ने उत्तरप्रदेश को बेशकप्राथमिकता पर नरखा हो, लेकिनगांधी परिवार कीप्रतिष्ठा उत्तर प्रदेश कीदो लोकसभा सीटअमेठी और रायबरेलीसे ही जुड़ीहै। ऐसे मेंयह चर्चा तेजहै कि 2019 केलोकसभा चुनाव में भाजपाकी स्मृति ईरानीसे मात खाचुके राहुल 'सियासीप्रतिशोध' के लिएअमेठी वापसी करसकते हैं।

भारत जोड़ोयात्रा का उद्देश्य

कांग्रेस के पूर्वअध्यक्ष राहुल गांधी कीभारत जोड़ो यात्राका घोषित उद्देश्यचुनावी परिवर्तन नहीं, बल्किदेशभर में वैचारिकबदलाव है। इसयात्रा के दौरानहो रहे हिमाचलप्रदेश विधानसभा चुनाव मेंप्रचार के लिएराहुल गांधी नहींगए। गुजरात कोलेकर भी अभीकुछ तय नहींहै। इसे लेकरप्रश्न उठना लाजिमीहै।

यूपी सेइतनी बेरुखी क्यों?

इसके इतर, एक प्रश्न भारतजोड़ो यात्रा केपहले पड़ाव सेउनका पीछा कररहा है किसर्वाधिक 80 लोकसभा सीटों वालाजो उत्तर प्रदेशगांधी-नेहरू परिवारका पुराना राजनीतिकक्षेत्र है, वहांयात्रा सिर्फ एक जिलेबुलंदशहर से हीयात्रा क्यों निकाली जारही है? यूपीको लेकर इतनीबेरुखी क्यों? इन प्रश्नोंसे कतई बेपरवाहगांधी परिवार कीअपनी रणनीति है।टीम राहुल सेजुड़े अमेठी केएक वरिष्ठ नेताके मुताबिक, इसयात्रा के बादराहुल गांधी अपनेपुराने संसदीय क्षेत्र अमेठीको मथना शुरूकर देंगे।

अमेठी रही हैपारंपरिक सीट

दरअसल, अमेठी गांधी-नेहरू परिवार कीपारंपरिक सीट रहीहै। सोनिया गांधीने जब यहसीट छोड़कर रायबरेलीका रुख कियातो 2004 से 2019 तक राहुलही यहां सेसांसद रहे। 2019 मेंवह केरल केवायनाड से भलेही जीतकर संसदपहुंच गए हों, लेकिन जब स्मृतिईरानी ने उन्हेंअमेठी में हरायातो यह नसिर्फ राहुल, बल्किकांग्रेस के लिएबड़ा झटका रहा।

अमेठी दोबारा जीतनेकी कोशिश

सूत्रों के अनुसारअमेठी सीट दोबाराजीतने की भरसककोशिश होगी। यहीकारण है किवहां कोई भीदूसरा पार्टी कार्यकर्ता 2024 के लोकसभा चुनाव कीतैयारी नहीं कररहा। इसकी पुष्टिपार्टी के प्रांतीयअध्यक्ष अजय रायने भी की।कहा कि तयहो चुका हैकि राहुल हीअमेठी से चुनावलड़ेंगे।

रायबरेली को लेकरअसमंजस

अब बचीरायबरेली, जो उत्तरप्रदेश में कांग्रेसकी इकलौती संसदीयसीट है। परिवारकी विरासत वालीइस सीट सेसोनिया 2004 से लगातारसांसद हैं। अभीइस सीट कोलेकर स्थिति बिल्कुलस्पष्ट नहीं है।इसके लेकर पार्टीपदाधिकारियों के अलग-अलम मतहैं। कुछ कादावा है किसोनिया अस्वस्थ होने केबावजूद यहां से 2024 में भी चुनावलड़ेंगी, क्योंकि वही मात्रऐसी प्रत्याशी होंगी, जिन्हें भावनात्मक लगाव केकारण विपक्ष मातनहीं दे सकेगा।

लोग कररहे अलग-अलगदावे

कुछ कादावा है किस्वास्थ्य कारणों से सोनियाचुनाव नहीं लड़तीहैं तो प्रियंकागांधी वाड्रा मैदानमें आ सकतीहैं। वहीं, कुछपदाधिकारियों का माननायह भी हैकि 2022 के विधानसभाचुनाव में कांग्रेसइस लोकसभा क्षेत्रके अंतर्गत आनेवाली कोई विधानसभासीट नहीं जीतसकी, इसलिए इसकमजोर हो चुकीजमीन पर सोनियानहीं आईं तोअसमंजस होगा।

कांग्रेस के लिएजरूरी सपा कासहारा

अमेठी हो यारायबरेली, दोनों ही सीटोंपर राहुल औरसोनिया की जीतके लिए भीपार्टी को सपाका सहारा चाहिए।इसके पीछे पार्टीनेताओं का हीतर्क है किअमेठी की पांचविधानसभा सीटों में दोसपा के पासतो तीन भाजपाके पास हैं।रायबरेली की पांचसीटों में चारपर सपा औरएक पर भाजपाहै। इन दोनोंसंसदीय क्षेत्रों में सपालंबे समय सेअपना प्रत्याशी नहींउतार रही। रायबरेलीलोकसभा सीट काइतिहास है कि 2004 से पहले जबभी सपा लड़ी, दूसरे स्थान पररही।

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