गोरखपुर, 14 सितंबर 2022 : गोरक्षपीठाधीश्वरएवं मुख्यमंत्री योगीआदित्यनाथ ने कहाकि हमारी सनातनसंस्कृति समाज, राष्ट्र वधर्म की समस्याओंसे पलायन कीआज्ञा नहीं देतीहै। समाज, राष्ट्रव धर्म कीसमस्या को हमेंअपनी खुद कीसमस्या मानना होगा। हमेंखुद को हरचुनौती से निरंतरजूझने के लिएतैयार रखना होगाक्योंकि समस्याओं से पलायनकरने वाले, उनसेमुंह मोड़ने वालेजनविश्वास खो देतेहैं। पलायन करनेवालों को वर्तमानऔर भावी पीढ़ीकभी माफ नहींकरती है।
महंत दिग्विजयनाथव महंत अवेद्यनाथने समस्याओं सेपलायन न करनेका दिया आदर्श
सीएम योगीयुगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथजी महाराज की 53वीं तथा राष्ट्रसंतब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथजी महाराज की 8वीं पुण्यतिथि केउपलक्ष्य में आयोजितसाप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह केअंतिम दिन बुधवार (आश्विन कृष्ण चतुर्थी) कोमहंत अवेद्यनाथ कीपुण्यतिथि पर श्रद्धासुमनअर्पित कर रहेथे। श्रद्धांजलि समारोहमें अपने भावोंको शब्दांकित करतेहुए मुख्यमंत्री नेकहा कि गोरक्षपीठके पूज्य आचर्यद्वयब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथऔर ब्रह्मलीन महंतअवेद्यनाथ ने धर्म, समाज और राष्ट्रकी समस्याओं सेपलायन न करनेका आदर्श स्थापितकिया। उनके मूल्यों, सामर्थ्य और साधनाकी सिद्धि कापरिणाम आज गोरखपुरके विभिन्न विकल्पोंके माध्यम सेदेखा जा सकताहै। उन्होंने गोरक्षपीठको सिर्फ पूजापद्धति और साधनास्थली तक सीमितनहीं रखा, बल्किशिक्षा, स्वास्थ्य और सेवाके विभिन्न आयामोंसे जोड़कर लोककल्याण का मार्गप्रशस्त किया।
सनातन धर्म कीमहत्वपूर्ण कड़ी हैगोरक्षपीठ की परंपरा
सीएम योगीने कहा किगोरक्षपीठ की परंपरासनातन धर्म कीमहत्वपूर्ण कड़ी है।आश्रम पद्धति कैसेसंचालित होनी चाहिए, समाज, देश औरधर्म के प्रतिहमारी क्या जिम्मेदारीहोनी चाहिए, इसकामार्गदर्शन इस पीठने किया है।ऐसे दौर मेंजब बहुतायत लोगभौतिकता के पीछेदौड़ते हैं, देशकालव समाज केअनुरूप कार्यक्रमों से जुड़करयह पीठ ब्रह्मलीनमहंत दिग्विजयनाथ वब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथद्वारा स्थापित आदर्शों कोयुगानुकूल तरीके से आगेबढ़ा रही है।उन्होंने कहा किजब देश पराधीनथा तब यहधार्मिक पीठ सीमितसंसाधनों से शिक्षाका अलख जगानेके अभियान सेजुड़ती है। पूज्यसंतों ने आजादीके आंदोलन कोनेतृत्व दिया, उसने भागीदारबने और इसदिशा में गोरक्षपीठकी भी महत्वपूर्णभूमिका रही। जबधर्म भी पराधीनताके दंश कोझेल रहा थातो गोरक्षपीठ खुदको कैसे अलगरख सकती थी।सीएम योगी नेकहा कि आजादीका आंदोलन होया आजादी मिलनेके बाद राष्ट्रनिर्माण के अभियानको गति देनेकी बात, गोरक्षपीठने महंत दिग्विजयनाथव महंत अवेद्यनाथके नेतृत्व मेंनिरंतर प्रयास किया।
वैश्विक मंच परप्रतिष्ठित हुई हैभारत की ताकत
मुख्यमंत्री ने कहाकि अयोध्या मेंप्रभु श्रीराम केभव्य मंदिर निर्माणके मार्ग प्रशस्तहोने से भारतके लोकतंत्र वन्यायपालिका की ताकतवैश्विक मंच परप्रतिष्ठित हुई है।अंतरराष्ट्रीय योग दिवसका आयोजन होया फिर प्रयागराजदिव्य एवं भव्यकुंभ। हमारे सांस्कृतिकविजय के इसअभियान का हिस्साहै। यही नहींअब भारतीय नस्लके गोवंश संरक्षणकी वकालत वैश्विकमंचों से कीजा रही है।अति भौतिकता केपीछे पड़कर अर्जितकी गई गंभीरबीमारियों से बचनेके लिए प्राकृतिकखेती पर दुनियाजोर दे रहीहै और प्राकृतिकखेती के लिएभारतीय ही गोवंशआधार होगा। इससेगाय भी बचेगीऔर मानवता कोबीमारियों से मुक्तिभी मिलेगी। कुलमिलाकर वैश्विक मंच परभारत की प्रतिष्ठाबढ़ी है औरहम सभी कोइस पर गौरवकी अनुभूति करनीचाहिए।
पीएम केपंच प्रणों सेजुड़कर भारत कोबनाना है दुनियाकी महाताकत
सीएम योगीने कहा किवर्तमान समय मेंअपना देश आजादीका अमृत महोत्सवमना रहा है।आजादी के शताब्दीवर्ष तक हमारालक्ष्य भारत कोविकसित एवं दुनियाकी महाताकत बनानेका होना चाहिए।इस लक्ष्य कीप्राप्ति के लिएहम सभी कोविगत स्वाधीनता दिवसपर प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी द्वारा दिएगए पंच प्रणोंसे जुड़ना होगा।हमें अपनी विरासतपर गौरव कीअनुभूति करनी होगी।विकसित भारत बनानेके लिए अपनेअपने कार्य क्षेत्रके कर्तव्यों काईमानदारी पूर्वक निर्वहन करनाहोगा। गुलामी केकिसी भी अंगको स्वीकार नहींकरना होगा। हरभारतीय के मनमें अभाव होनाचाहिए कि अपनादेश व धर्मसुरक्षित है। यहप्रसन्नता की बातहै कि देशअच्छी दिशा मेंआगे बढ़ रहाहै।
सीएम योगीही कराएंगे मथुराव काशी कापुनरुद्धार: शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती
श्रद्धांजलि समारोह मेंप्रयागराज से पधारेजगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंदसरस्वती ने कहाकि गोरक्षपीठाधीश्वर योगीआदित्यनाथ के मुख्यमंत्रीबनने के बादजैसे अयोध्या मेंभगवान श्रीराम कीजन्मभूमि पर भव्यमंदिर बन रहाहै, उन्हें पूराविश्वास है किमथुरा और काशीका पुनरुद्धार भीउन्हीं के नेतृत्वमें होगा। उन्होंनेकहा कि उनकीइच्छा है किमथुरा में श्रीकृष्णजन्मभूमि पर मंदिरऔर काशी मेंभगवान शिव केमंदिर का नवोत्थानशुरू हो तभीवह (वासुदेवानंद सरस्वती) अपने शरीर कापरित्याग करें।
इस अवसरपर ब्रह्मलीन महंतअवेद्यनाथ से जुड़ेअपने संस्मरण सुनातेहुए शंकराचार्य नेकहा कि महंतजी की सरलता, सहृदयता व सर्वजनप्रियताका बखान करपाना मुश्किल है।कहा कि वर्ष 1991 में वह गोरखनाथमंदिर आए थे।एक स्थान परपूजा करते देखमहंत अवेद्यनाथ नेउनसे विशिष्ट स्थानपर पूजा करनेका अनुरोध किया।वासुदेवानंद जी द्वाराठिठोली करते हुएयह कहने परकि तब तोयहां की गद्दीभी मेरी होजाएगी, महंत जीने सहज हीकह दिया, महाराजयह तो आपकीही है।
शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानन्दसरस्वती के पूर्ववशिष्ठ आश्रम अयोध्या सेआए पूर्व सांसदडॉ रामविलास वेदांतीने भी अपनेसंबोधन में कहाकि मथुरा वकाशी में भव्यमंदिर का निर्माणभी योगी आदित्यनाथके मुख्यमंत्री रहतेसंभव होगा। उन्होंनेयोगी आदित्यनाथ कोधर्म व संस्कृतिकी रक्षा केलिए महायोगी गोरखनाथद्वारा भेजा गयादूत बताता। ब्रह्मलीनमहंत अवेद्यनाथ कास्मरण करते हुएडॉ वेदांती नेकहा कि सभीसंतों को एकमंच पर लानेका श्रेय ब्रह्मलीनमहंत जी कोही है। उन्होंनेराम मंदिर आंदोलनका नेतृत्व उससमय स्वीकार कियाजब कांग्रेस सरकारके डर सेकोई इसके लिएतैयार नहीं होरहा था।
इस अवसरपर अपने संबोधनमें अलवर केसांसद और रोहतकके अस्थल बोहरपीठ के महंतबालकनाथ ने कहाकि गोरक्षपीठ रामराज्यस्थापना की संकल्पभूमि है औरइस पीठ केब्रह्मलीन महंतद्वय समूची मानवताके प्रेरणा पुंज।श्रद्धांजलि समारोह में दिगम्बरअखाड़ा (अयोध्या) के महंतसुरेश दास, बड़ौदा (गुजरात) से आएमहंत गंगादास, कटक (ओडिशा) से आएमहंत शिवनाथ वनागपुर, महाराष्ट्र से पधारेस्वामी जितेन्द्रनाथ ने भीविचार व्यक्त किए।
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