लखनऊ, 19 नवम्बर 2022 : उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट पर उपचुनाव ने फिर चाचा-भतीजे को एक कतार में खड़ा कर दिया है। पहले खबर आई कि शिवपाल सिंह यादव ने कार्यकर्ताओं को संदेश दिया है कि बड़ी बहू (डिंपल यादव) को जिताना है, तो उसके अगले दिन सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी चाचा शिवपाल का आशीर्वाद लेने जा पहुंचे। डिंपल भी साथ थीं। मुलाकात के सूत्रधार पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव थे।
आशीर्वाद लेकर लौटे अखिलेश यादव ने इस मुलाकात की फोटो शेयर करते हुए ट्वीट किया कि नेता जी और घर के बड़ों के साथ-साथ मैनपुरी की जनता का भी आशीर्वाद साथ है। शिवपाल ने भी करीब चार घंटे के बाद मुलाकात की दो फोटो शेयर करते हुए ट्वीट किया- 'जिस बाग को सींचा हो खुद नेता जी ने...उस बाग को अब हम सीचेंगे अपने खून पसीने से...।'
दरअसल, अखिलेश यादव यह अच्छी तरह जानते हैं कि डिंपल यादव को मैनपुरी में मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक विरासत दिलानी है तो वह चाचा शिवपाल के बगैर संभव नहीं है। चाचा का आशीर्वाद नहीं मिला तो भाजपा आजमगढ़ व रामपुर लोकसभा उपचुनाव की तरह मैनपुरी में भी उसे हरा देगी।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में जब बसपा व सपा ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा था उस समय मुलायम सिंह यादव भाजपा प्रत्याशी से 94,389 मतों से जीते थे। इसमें 66 प्रतिशत वोटों की हिस्सेदारी अकेले जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र की थी। जसवंतनगर से शिवपाल विधायक हैं और यह मुलायम कुनबे की पारिवारिक सीट मानी जाती है।
2017 के विधानसभा चुनाव के बाद से ही सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव व उनके चाचा शिवपाल यादव की बीच राजनीतिक रिश्ते नरम-गरम अंदाज में चलते रहे हैं। अलग पार्टी बनाकर राजनीति में उतरे शिवपाल मौजूदा विधानसभा चुनाव के समय नरम पड़ गए थे और सपा के टिकट पर ही जसवंतनगर से जीते।
हालांकि, फिर गर्मी बढ़ी। पहले तो अखिलेश ने शिवपाल को यह कहकर विधायक दल की बैठक से दूर कर दिया कि वह दूसरी पार्टी से हैं, फिर ट्वीट कर दिया कि वह स्वतंत्र हैं। तबसे तल्खी बरकरार थी। इसमें कमी तब आई जब नेताजी मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद पारिवारिक एकजुटता की तस्वीरें इंटरनेट मीडिया पर तैरती दिखीं। बात तो यहां तक हुई कि शिवपाल नेताजी की मैनपुरी से राजनीतिक विरासत संभाल सकते हैं।
फिर, हाल में गोरखपुर पहुंचे शिवपाल ने एक बयान में अखिलेश को चापलूसों से घिरा बताकर साफ कर दिया कि वह आसानी से नहीं पिघलेंगे। डिंपल के नामांकन के दौरान भी वह नहीं दिखे। तभी से सैफई परिवार के भीतर एका के प्रयास चल रहे थे।
गुरुवार को सैफई में मुलाकात हुई तो पिछले कयास धरे रह गए। शिवपाल और अखिलेश के बीच करीब 45 मिनट तक मुलाकात चली। इस दौरान शिवपाल के पुत्र आदित्य भी मौजूद थे। डिंपल ने अपनी चचिया सास सरला यादव से भी मुलाकात की। अखिलेश के शिवपाल सिंह यादव के आवास पर जाने की खबर से मीडियाकर्मियों का उनके आवास पर जमावड़ा लग गया।
हालांकि चाचा-भतीजे की मुलाकात के समय परिवार के सदस्यों के अलावा सुरक्षा के जवान और पीएसओ को भी बाहर निकाल दिया गया। अखिलेश यादव के जाने के बाद प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव एसएस मेमोरियल स्कूल पहुंचे जहां पर उन्होंने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के तमाम कार्यकर्ताओं को मैनपुरी में हो रहे उपचुनाव के लिए संदेश देने को बुलाया था। कार्यकर्ताओं के बीच शिवपाल ने भावुक अपील करते हुए कहा कि डिंपल हमारी बहू है उसे रिकार्ड मतों से जिताना है।
उन्होंने जसवंतनगर विधानसभा में सबसे बड़े अंतर से जिताने की अपील की। इस दौरान भी उनके साथ पुत्र आदित्य यादव भी थे। माना जा रहा है कि चाचा के साथ आने का लाभ सपा को मैनपुरी लोकसभा सीट के उपचुनाव में ही नहीं बल्कि नगरीय निकाय चुनाव में भी दिखाई देगा। सैफई का यादव परिवार एक रहा तो सपा को वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में भी इसका लाभ मिल सकता है।
विधानसभा चुनाव में धोखा खाने के बाद इस बार शिवपाल सिंह यादव अपने बेटे आदित्य के साथ-साथ अपनी पार्टी के प्रमुख नेताओं का भी सपा में सम्मान चाहते हैं। इसलिए मैनपुरी उपचुनाव में अखिलेश की पहल का इंतजार कर रहे थे।
अखिलेश गुरुवार को जब चाचा से मिलने आए तो बंद कमरे में अखिलेश, डिंपल, शिवपाल व आदित्य ही मौजूद थे। सूत्रों के अनुसार शिवपाल ने अपनी पार्टी के नेताओं के सम्मान की बात कही। अखिलेश ने उन्हें भरोसा दिया कि सभी का सम्मान होगा। इसके बाद अखिलेश ने आदित्य को डिंपल के समर्थन में चुनाव प्रचार में लगने के लिए कहा।
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