लखनऊ, 7 जुलाई 2023 : योगी सरकार-1 में एनडीए का हिस्सा रही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) अब फिर से भाजपा के साथ गठबंधन की कोशिशों में जुटी हुई है। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में पूर्वांचल के राजभर मतदाताओं को अपने पाले में लाने के लिए भाजपा शीर्ष नेतृत्व भी यह गठबंधन चाहता है। ऐसे में एनडीए में सुभासपा की वापसी गाजीपुर लोकसभा सीट के उपचुनाव से हो सकती है। भाजपा यह सीट सुभासपा को दे सकती है।
माफिया मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी को सजा होने के बाद यह सीट रिक्त हुई है। नरेंद्र मोदी ने 30 मई 2019 को दूसरी बार प्रधानमंत्री का कार्यकाल संभाला था। जून में 17वीं लोकसभा का पहला सत्र हुआ था। ऐसे में अभी कार्यकाल पूरा होने में 10-11 महीने का समय बचा है। चुनाव आयोग छह महीने से अधिक कार्यकाल बचने पर रिक्त सीट का चुनाव करा सकता है। ऐसे में गाजीपुर सीट पर उपचुनाव होना तय है। उपचुनाव घोषित होते ही सुभासपा से गठबंधन की घोषणा भी भाजपा कर सकती है।
गठबंधन को लेकर फंसा है पेंच
फिलहाल गठबंधन में एक पेच फंसा है, भाजपा यहां अपने चुनाव निशान पर सुभासपा को लड़ाना चाहती है, किंतु सुभासपा अपने चुनाव चिह्न पर लड़ना चाहती है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह खुद इस मामले पर नजर रखे हुए हैं। भाजपा इस सीट पर निषाद पार्टी जैसा प्रयोग करना चाहती है।
भाजपा ने वर्ष 2019 में निषाद पार्टी के प्रमुख डा. संजय कुमार निषाद के पुत्र प्रवीण कुमार निषाद को अपने टिकट से संतकबीरनगर से चुनाव लड़ाया था। वे चुनाव जीते जबकि उनके पिता संजय कुमार निषाद योगी सरकार-2.0 में मंत्री बन गए।
गाजीपुर सीट पर क्यों फंसा है सियासी पेंच?
भाजपा इसी तरह का फार्मूला सुभासपा के साथ भी लागू करना चाहती है। यानी गाजीपुर सीट से ओम प्रकाश राजभर के पुत्र अरुण राजभर को चुनाव लड़ा सकती है जबकि उनके पिता प्रदेश सरकार में फिर से मंत्री बन सकते हैं। गाजीपुर सीट पर इसलिए भी सुभासपा दावा कर रही है, क्योंकि यहां राजभर मतदाताओं की संख्या तीन लाख से अधिक है।
यहां की सात विधानसभा सीटों में पांच सीटें सपा के पास व दो सीटें सुभासपा के पास हैं। गाजीपुर की जहूराबाद सीट से सुभासपा प्रमुख विधायक हैं। माना जा रहा है कि भाजपा उपचुनाव में सुभासपा के साथ प्रयोग करके परिणाम देखना चाहती है। यदि भाजपा चुनाव जीतती है तो 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी, राजभर को एक से दो सीटें दे सकती है।
वर्ष 2019 में योगी मंत्रिमंडल से बर्खास्त हुए थे राजभर
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन कर सुभासपा को चार सीटों पर सफलता मिली थी। ओपी राजभर योगी सरकार-1 में पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री बनाए गए थे। 20 मई 2019 को मुख्यमंत्री योगी ने उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था। हालांकि, राजभर दावा करते हैं कि उन्होंने छह मई को ही इस्तीफा दे दिया था। सुभासपा ने 2022 का विस चुनाव सपा के साथ मिलकर लड़ा था और उसे छह सीटें जीती।
ओमप्रकाश राजभर ने बीजेपी से गठबंधन से किया इनकार
सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने फिलहाल भाजपा के साथ किसी भी तरह के गठबंधन से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि यदि बसपा अध्यक्ष मायावती, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, बिहार के सीएम नीतीश कुमार व रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी एक मंच पर आ जाएं तो वह भी उनके साथ खड़े रहेंगे। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वह गठबंधन की घोषणा सात अक्टूबर को पटना के गांधी मैदान में आयोजित महारैली में करेंगे। अब यूपी की राजनीति में होने वाले एक बड़े बदलाव पर सभी की नजर है।
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