लखनऊ, 3 अक्टूबर 2023 : उत्तर प्रदेश में जनता वायरल बुखार के चलते बेहाल है। आलम ये है कि अस्पतालों में बेड फुल हो गए हैं। प्रदेश में डेंगू-मलेरिया के साथ वायरल बुखार का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। अस्पतालों में बेड फुल हैं और मरीजों को इमरजेंसी से वार्ड में पहुंचने के लिए चार से छह घंटे इंतजार करना पड़ रहा है।
सोमवार को बलरामपुर, सिविल और लोकबंधु अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड की पड़ताल की तो हालात बेहद खराब दिखे। बलरामपुर अस्पताल में एक बेड पर दो-दो मरीज लेटे मिले तो सिविल में भर्ती करने के बाद भी महिला रोगी को बेड नहीं दिया गया। वहीं, बुलाकी अड्डा से आईं महक को डॉक्टरों ने ड्रिप चढ़ाकर ही वापस कर दिया। बलरामपुर प्रदेश का सबसे बड़ा जिला अस्पताल है और यहां विभिन्न वार्डों में कुल 776 बेड हैं।
इमरजेंसी में हर रोज पहुंच रहे 200-250 मरीज
यहां इमरजेंसी वार्ड में 110 बेड हैं, लेकिन इन दिनों सभी फुल हैं। इमरजेंसी में रोजाना 200-250 रोगी पहुंच रहे हैं, जिसमें ज्यादातर बुखार और फेफड़े में संक्रमण की शिकायत वाले हैं। बेड कम होने के चलते मरीजों को भर्ती के लिए काफी देर तक इंतजार करना पड़ रहा है या फिर स्ट्रेचर पर इलाज हो रहा है। इमरजेंसी में एक बेड पर दो मरीज को लिटाया जा रहा है। यही नहीं वार्ड में रखी अलमारी में स्ट्रेचर बनाकर मरीज को लिटा दिया गया।
अस्पताल में बढ़ गई है मरीजों की संख्या
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा.अतुल मेहरोत्रा का कहना है कि अस्पताल में लखनऊ के अलावा कई जिलों के रोगी आ रहे हैं, जिससे भीड़ काफी बढ़ गई है। विभिन्न वार्डों में कुल 350 मरीज भर्ती हैं, जिनमें 10 डेंगू के हैं। बेड खाली नहीं होने के बाद भी प्रयास रहता है कि गंभीर मरीज बिना इलाज वापस न लौटे। इसलिए कई बार स्ट्रेचर पर ही भर्ती कर लेते हैं।
डॉक्टरों को लग रही फटकार
एक बेड पर दो मरीजों को रखने वाले इमरजेंसी के डॉक्टर को कड़ी फटकार लगाई गई है। सिविल अस्पताल में वार्डों के साथ ही इमरजेंसी में कई बेड खाली हैं, फिर भी स्ट्रेचर पर मरीज का इलाज किया जा रहा है। नरही की सुशीला को चक्कर आना, सिरदर्द और उल्टी की शिकायत थी। वह इमरजेंसी वार्ड के बाहर स्ट्रेचर पर लेटी थीं।
कई घंटे इंतजार के बाद भी नहीं मिल रहा बेड
डा.अतुल मेहरोत्रा ने बताया कि भर्ती तो कर लिया गया है, लेकिन कई घंटे से इंतजार के बाद भी अभी तक बेड नहीं मिला। वहीं, बुलाकी अड्डा से आईं महक करीब सात दिन से बुखार और शरीर में दर्द से पीड़ित हैं, लेकिन उन्हें भर्ती नहीं किया जा रहा। कई बार अनुरोध पर ड्रिप चढ़ा दी और अब घर जाने को कह रहे हैं। अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि डेंगू के संदिग्ध मरीजों की कार्ड से जांच की जाती है और रिपोर्ट के इंतजार में उन्हें वार्ड में शिफ्ट नहीं किया जाता है। बेड खाली होने पर मरीज को स्ट्रेचर से हटा दिया जाता है।
बिना इलाज लौट रहे मरीज
आशियाना के राजकुमार बेटे दिव्यांश को गोद में लेकर लोकबंधु अस्पताल की ओपीडी पहुंचे थे। राजकुमार ने बताया कि बेटे को एक माह से बुखार आ रहा है। सोमवार को ओपीडी बंद थी। इमरजेंसी में गए तो वहां पर्चे पर दवा देकर घर भेज दिया। उर्मिला बेटी गुड़िया को दिखाने आई थी, लेकिन वह भी बिना इलाज लौट गईं।
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