लखनऊ, 24 सितंबर 2023 : यूपी पुलिस की दो महिला आरक्षी लिंग परिवर्तन कराकर पुरुष बनने की इच्छा रखती हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से यह कोई अचरज की बात नहीं है। लिंग परिवर्तन कराए जाने के मामले लगातार सामने आ भी रहे हैं, लेकिन बात यूपी पुलिस की महिला आरक्षी की है तो इसमें उनकी भर्ती व सेवा की शर्तें बड़ा महत्व रखती हैं।
यही वजह है कि दोनों महिला आरक्षियों के आवेदन मिलने के बाद डीजीपी मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारी चक्कर में पड़ गए हैं। यह पहला मौका है, जब उनके सामने ऐसी कोई अर्जी आई है, जिसमें महिला आरक्षी लिंग परिवर्तन कराकर पुरुष बनना चाहती है।
डीजीपी मुख्यालय में अर्जी देने के बाद दोनों महिला आरक्षी हाई कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा चुकी हैं। एडीजी स्थापना संजय सिंघल का कहना है कि दो महिला आरक्षियों ने लिंग परिवर्तन संबंधी आवेदन किया है, जिसे शासन को भेजा गया है। पूरे मामले में पहले विधिक व मेडिकल राय ली जाएगी।
एक महिला सिपाही गोरखपुर और दूसरी गोंडा में है तैनात
डीजीपी मुख्यालय मे महिला आरक्षी को पुरुष बनने की अनुमति दिए जाने से पहले इसके तकनीकी व विधिक पहलुओं को लेकर मंथन शुरू हो गया है। एक महिला आरक्षी गोरखपुर व दूसरी गोंडा में तैनात है। चूंकि दोनों हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुकी हैं, इसलिए पुलिस भी सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श कर रही है। पुलिस अधिकारी भले ही अलग-अलग तरह की समस्याओं को रोजाना सुलझाते रहते हैं। पर अब दो महिला आरक्षियों के आवेदन ने पूरे महकमे को ही उलझाकर रख दिया है।
दरअसल, महिला व पुरुष आरक्षी की भर्ती के शारीरिक मानक अलग-अलग हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि यदि महिला आरक्षी को लिंग परिवर्तन कर पुरुष बनने की अनुमति दे दी जाए तो उसके बाद भर्ती के मानकों व सेवा नियमों को लेकर आने वाली अड़चनों को कैसे दूर किया जाएगा। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, महिला व पुरुष आरक्षी की भर्ती में शारीरिक मानक परीक्षा के मापदंड अलग-अलग हैं। यदि महिला आरक्षी को पुरुष बनने की अनुमति दे भी दी जाए तो उसके उपरांत पुरुष आरक्षी भर्ती के मानक के अनुरूप उसका कद कैसे बराबर होगा।
शासन स्तर पर होगा अंतिम निर्णय
आवेदन करने वाली एक महिला आरक्षी ने निजी चिकित्सक द्वारा अपने लिंग परिवर्तन संबंधी मेडिकल रिपोर्ट भी प्रस्तुत की है। इसे लेकर भी पेंच है। ऐसी अनुमति देने से पहले पुलिस विभाग को दोनों महिला आरक्षियों का मेडिकल परीक्षण सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों अथवा मान्य विशेषज्ञ डाक्टरों के पैनल से कराना होगा। पूरे मामले में अंतिम निर्णय शासन स्तर पर होगा।
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