लखनऊ, 5 जुलाई 2022 : त्वरित निर्णयों के लिए अपनी पहचान बना चुकी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इस बार उत्तर प्रदेश में पार्टी का अध्यक्ष तय करने के लिए लेकर काफी समय से उलझन में फंसी है। चूंकि, इस पद पर नियुक्ति से पार्टी को लोकसभा चुनाव के लिए जातीय-क्षेत्रीय समीकरण भी साधने हैं, इसलिए मंथन ज्यादा किया जा रहा है। हालांकि, प्रदेश कार्यसमिति के बाद भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक भी हो चुकी है। धरातल पर चुनावी अभियानों को गति दी जानी है, इसलिए उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा हो जाएगी।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा लगातार दूसरी जीत का इनाम प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को देते हुए उन्हें योगी सरकार में जलशक्ति मंत्री बना दिया गया। एक व्यक्ति, एक पद का सिद्धांत पार्टी में लागू है, इसलिए तय है कि स्वतंत्र देव के स्थान पर नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की जाएगी।
यूपी में सरकार गठन के बाद मार्च से ही दिमागी घोड़े इस दिशा में दौड़ रहे हैं कि पार्टी प्रदेश में संगठन के मुखिया का जिम्मा किस वर्ग के कार्यकर्ता को सौंपेगी। पार्टी के भीतर ही कई तर्क हैं, मसलन 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव की तरह 2024 को ध्यान में रखते हुए ब्राह्मण को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा या विधानसभा चुनाव में बसपा से विमुख होकर भाजपा की ताकत बढ़ाने वाले दलित वर्ग को पार्टी आकर्षित करना चाहेगी।
कुछ लोगों का तर्क यह भी है कि विधानसभा में तमाम चुनौतियों के बावजूद भाजपा ने शानदार सफलता प्राप्त की, इसलिए आबादी में सर्वाधिक हिस्सेदारी वाले पिछड़े वर्ग के ही कार्यकर्ता को फिर से मौका दिया जाएगा। स्वतंत्रदेव पिछड़ा वर्ग से आते हैं। उनसे पहले 2017 के विधानसभा चुनाव में भी संगठन का नेतृत्व करने वाले वर्तमान उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी पिछड़ा वर्ग से थे। इस तरह तीनों जाति वर्गों को लेकर भी कई नाम दौड़ में बताए जा रहे हैं।
पिछड़ा वर्ग से सबसे मजबूत दावेदार केंद्रीय राज्यमंत्री बीएल वर्मा बताए जा रहे हैं। ब्राह्मणों में कई नाम हैं, जैसे कि पूर्व उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा, पूर्व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष दिनेश कुमार, अलीगढ़ के सांसद सतीश गौतम, कन्नौज सांसद सुब्रत पाठक आदि। वहीं, दलित वर्ग से विधान परिषद सदस्य लक्ष्मण आचार्य, सांसद विनोद सोनकर, एमएलसी विद्यासागर सोनकर और इटावा के सांसद डा. रामशंकर कठेरिया के नाम की चर्चा है।
पार्टी में चर्चा है कि हाल ही में राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक तेलंगाना में हुई है। वहां लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अभियानों की रूपरेखा बन चुकी है। अब कार्यक्रम तय होंगे और सभी राज्यों में संगठन तेजी से चुनावी तैयारी में जुटेगा। इसे देखते हुए एक-दो दिन में यूपी के लिए प्रदेश अध्यक्ष के किसी नाम पर सहमति बन जाएगी और संभवत: इसी सप्ताह घोषणा भी हो जाएगी।
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