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क्या है टूलकिट ? प्रोपेगेंडा वॉर के सबसे तेज हथियार की पूरी जानकारी



एक समय था जब लड़ाई हाथ से लड़ी जाती थी, फिर लाठी, तलवार, भाले, बल्लम आए। अब टैंक,तोप,मिसाइल,बंदूक बहुत कुछ है। लेकिन इन सबसे ज्यादा कहीं ज्यादा खतरनाक हथियार बन चुका है टूलकिट। जी हां टूलकिट जिसकी चर्चा किसान आंदोलन के दौरान हुई हिंसा से अब तक आपने कई बार सुना होगा। आज हम आपको इस टूलकिट के बारे में सबकुछ बताते हैं।


टूलकिट एक ऐसा खतरनाक हथियार है जिसमें देखते ही देखते दुनिया के करोड़ो लोग शामिल हो जाते हैं और किसी व्यक्ति, समाज या इलाके की ही नहीं पूरे के पूरे देश की इज्जत का मटियामेट हो जाता है।

दो दिन पहले पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग के एक ट्वीट के बाद से एक शब्द टूलकिट वायरल हो गया। अब हर कोई ये जानना चाह रहा है कि आखिर ये टूलकिट होता क्या है और कैसे काम करता है। खासकर वो लोग इसके बारे में अधिक जानना चाह रहे हैं, जो सोशल मीडिया पर एक्टिव तो रहते हैं मगर उन्होंने अभी तक इसके बारे में न तो सुना था, ना ही वो इसको इस्तेमाल करने के बारे में जानते थे।


क्या होता है टूलकिट


किसी बड़े अभियान या आंदोलन के दौरान उसमें हिस्सा लेने वाले वॉलंटिअर्स को इसमें दिशा-निर्देश दिए जाते हैं।



टूलकिट एक ऐसा दस्तावेज होता है जिसमें किसी मुद्दे की जानकारी देने के लिए और उससे जुड़े कदम उठाने के लिए इसमें विस्तृत सुझाव दिए गए होते हैं। आमतौर पर किसी बड़े अभियान या आंदोलन के दौरान उसमें हिस्सा लेने वाले वॉलंटियर्स को इसमें दिशानिर्देश दिए जाते हैं। टूलकिट का पहली बार जिक्र अमेरिका में किया गया था।



ग्रेटा के ट्वीट में समय और तारीख के ऊपर जो चीजें लिखी हुई हैं वो टूलकिट है। इसी पर क्लिक करने पर ये एक अलग फाइल खुलती है। ये उसके ट्वीट का एक स्क्रीन शॉट है।


कब चर्चा में आया टूलकिट


कुछ समय पहले अमेरिका में एक अश्वेत शख्स की हत्या कर दी गई और अमेरिका सुलग उठा था। उसी दौरान ब्लैक लाइफ मैटर नाम से आंदोलन भी अस्तित्व में आया, जिसे बाहरी मुल्कों के लोगों ने भी समर्थन दिया था उसी दौरान आंदोलन से जुड़े लोगों ने ही टूलकिट बनाया, जिसमें तरह-तरह की जानकारी थी। उदाहरण के लिए आंदोलन में किन जगहों पर जाएं या दूर रहें, सोशल मीडिया पर किस तरह से सक्रिय रह सकते हैं, किन हैशटैग के जरिए ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच बनाई जा सकती है। इसके साथ ही अगर पुलिस कोई कार्रवाई करती है तो उससे किस तरह से बचा जा सकता है।


इस वजह से अब यह स्पष्ट हो गया है कि टूलकिट वह डिजिटल हथियार है, जो सोशल मीडिया पर एक बड़े वर्ग पर किसी आंदोलन को हवा देने और ज्यादा से ज्यादा लोगों को उसमें जोड़ने के लिए किया जाता है। टूलकिट में वो सभी चीजें मौजूद होती हैं, जो लोगों को अपनाने की सलाह दी जाती है, ताकि आंदोलन भी बढ़े और किसी तरह की कोई बड़ी कार्रवाई भी न हो सके।


भारत में टूलकिट की शुरुआत


चाइल्ड एक्टिविस्ट के तौर पर चर्चित रहीं ग्रेटा थनबर्ग के ट्वीट से फिर से हो गई है। किसान आंदोलन के समर्थन में ग्रेटा ने एक ट्वीट किया और एक टूलकिट (toolkit) नाम का एक डॉक्यूमेंट शेयर किया। इसको देखकर सोशल मीडिया पर काफी हंगामा हुआ। हंगामा होने के बाद ग्रेटा ने ये ट्वीट डिलीट कर दिया और दूसरा ट्वीट कर दूसरा टूलकिट डॉक्यूमेंट शेयर कर दिया। ग्रेटा द्वारा शेयर की गई इस टूलकिट में किसान आंदोलन के बारे में जानकारी जुटाने और आंदोलन का साथ कैसे करना है इसकी पूरी डिटेल दी गई थी।


भारत में चल रहे किसान आंदोलन का समर्थन


इस टूलकिट में समझाया गया है कि कैसे भारत में चल रहे किसान आंदोलन के बारें जरूरी अपडेट लेने हैं? अगर कोई यूजर किसान आंदोलन पर ट्वीट कर रहा है तो उसे कौन-सा हैशटैग लगाना हैं? अगर कोई दिक्कत आए तो किन लोगों से बात करनी है? ट्वीट करते वक्त क्या करना जरूरी है? क्या करने से बचना है? ये सारी बातें इस टूलकिट में मौजूद थीं।



टूलकिट ट्वीट किया फिर डिलीट कर दिया


ग्रेटा ने बुधवार को किसानों की परेशानी को लेकर बात करने वाला ट्वीट किया। इसे लेकर भारत में काफी तीखी प्रतिक्रिया हुई। इस ट्वीट के साथ ही उन्होंने एक ऐसा डॉक्युमेंट भी ट्विटर पर शेयर कर दिया, जिसमें किसानों को लेकर सोशल मीडिया पर कैसे समर्थन जुटाया जाए उसके बारे में जानकारी दी गई थी। इसमें पूरे प्लान के तहत 4 फरवरी और 5 फरवरी को किए गए ट्वीट में सेलेब्रिटी ट्वीट की बात लिखी गई। साथ ही उन सभी हैशटैग का वर्णन भी है, जिन्हें इस्तेमाल किया जाना है।


सोशल मीडिया होता है जंग का मैदान


आज कई तरह के सोशल मीडिया प्लेटफार्म मौजूद हैं। फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम आदि। दुनिया के करोड़ों अरबों लोग इन प्लेटफार्म्स से जुड़े हैं। राजनेता, समाजसेवी, कलाकार, पत्रकार, सरकारें ऐसे बहुत सारे तबके हैं जो इन प्लेटफार्म्स पर होते हैं और उनसे जुड़े लोग भी बहुत बड़ी संख्या में होते हैं। जब ऐसे लोग जिनसे लाखों, करोड़ों लोग जुड़े होते हैं कोई संदेश किसी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर शेयर करते हैं तो वो एक झटके में दुनिया के कोने कोने तक पहुंचने की ताकत रखता है। इसके बाद किसी की प्रशंसा या किसी की निंदा का एक ऐसा सिलसिला शुरु होता है जिससे किसी व्यक्ति या देश की साख बन भी सकती है या बिगड़ भी सकती है।

कई बार किसी को बदनाम करने, दंगा कराने या हिंसात्मक गतिविधियों के लिए रकम खर्च करके ऐसे लोगों को कुछ दस्तावेज दिए जाते हैं जिनसे वो ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सकें और किसी देश या राज्य की पूरी व्यवस्थाएं ही ध्वस्त हो जाएं।


भारत में किसान आंदोलन के दौरान इसी तरह का षडयंत्र रचा गया।


टीम स्टेट टुडे


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