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गहराता जा रहा 'सांसों का संकट'


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नई दिल्ली, 13 अक्टूबर 2023 : राजधानी दिल्ली और दिल्ली से सटे इलाकों में वायु प्रदूषण बढ़ते जा रहा है। सर्दी की शुरुआत से पहले ही हवा में जहर घुलने लग गया है। वायु प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए पीएम मोदी के प्रधान सचिव डॉ. पीके मिश्रा ने हाई लेवल टास्क फोर्स की मीटिंग की है, जिसमें राजस्थान, पंजाब, हरियाणा उत्तर प्रदेश और दिल्ली सरकार के प्रमुख सचिव भी मौजूद थे। इस मीटिंग में CAQM के अधिकारी भी मौजूद थे।

प्रधान सचिव ने राज्यों को दिए ये निर्देश

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पीके मिश्रा ने NCR में वायु गुणवत्ता पर हाई लेवल मीटिंग में स्वच्छ ईंधन और EV की ओर शिफ्ट होने और EV चार्जिंग सुविधाओं को विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। राज्यों से कहा गया है कि वे पराली जलाने पर नियंत्रण रखें। साथ ही उनहोंने कहा कि राज्य बायोमास प्रबंधन करें और वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए वैकल्पिक फसलों की किस्मों की खेती पर जोर दें।

दिल्ली से सटे औद्योगिक नगरी फरीदाबाद में भी प्रदूषण का स्तर (delhi, pollution level) बिगड़ने का प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने लगा है। प्रदूषण के चलते अस्थमा एवं एलर्जी के रोगियों को परेशानी होने लगी है। जिले में अभी ग्रेप के पहले चरण में प्रतिदिन पांच से सात नए अस्थमा के रोगी चिन्हित हो रहे हैं, जबकि एलर्जी के रोगी खांसी और छींक से परेशान हो गए हैं।

फरीदाबाद में अस्पतालों में बढ़ते जा रहे मरीज

फरीदाबाद में नागरिक सहित जिले के निजी अस्पतालों में 60 से 70 रोगी एलर्जी की समस्या को लेकर पहुंच रहे हैं। चिकित्सकों की माने तो आने वाले दिनों में इन रोगियों की संख्या और अधिक हो सकती हैं। बचाव के लिए विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों औद्योगिक नगरी में वायु गुणवत्ता सूचकांक 225 से पार चला गया था। अब नगर निगम की ओर से थोड़ा छिड़काव किया जा रहा है तो बृहस्पतिवार को पीएम 2.5 का स्तर 200 से नीचे 198 दर्ज किया गया, जो थोड़ा राहत का संकेत है।

इसके अलावा दिनों मौसम में भी कभी ठंडक और कभी गर्मी देखी जा रही है। बार-बार बदलाव की वजह से सुबह और शाम के समय मौसम में नमी आ गई है। इन नमी की वजह से प्रदूषण के बारीक कण ऊपर नहीं जा पा रहे हैं और हमारे पर्यावरण में मौजूद रहते हैं।

बारीक कण सांस के साथ शरीर में जाते हैं और छाती व सांस की नली में जमा हो जाते हैं। इससे रोगी को सांस लेने में परेशानी होती है। इसके चलते रोगी को दिन में दो से तीन बार अस्थमा के अटैक आ रहे हैं। इसके अलावा जुकाम, छाती में आवाज और ब्रोंकाइटिस के रोगियों की संख्या भी बढ़ने लगी है।


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