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“परिधान Politics” और “हाव-भाव Ananlysis” के ये दिलचस्प किस्से...छूटे तो नहीं आपसे



राजनीति बहुत दिलचस्प होती है। जो करते हैं वो भी इसका स्वाद लेते हैं और जो नहीं करते हैं उन्हें ना करके भी इसका स्वाद मिलता है।


अब वो कोई और होते तो लिख देते कि खूब जमेगा रंग जब मिल बैठेंगे यार। यहां तो धुरंधर मिल रहे थे वो भी ऐसे जिन्होंने ना जाने कितनों के रंग उड़ा रखे हैं।


रंगो से ध्यान आया ये फोटो देखी आपने...



उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी महाराज भारत के गृहमंत्री भाई अमित शाह से मिल रहे हैं।

महाराज जी ने पुस्तक भेंट की है अमित भाई को वो भी प्रवासियों के कल्याणकारी कार्यों पर लिखी गई है।

दो बातें तो यहीं तय हो गईं। पहली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छोटी से छोटी बात को योगी पूरी गंभीरता से लेते हैं इसलिए फूलों का गुलदस्ता नहीं किताब भेंट की।


दूसरी बात ये कि कोरोनाकाल में केंद्र की मोदी और राज्य की योगी सरकार ने जनसेवा और सरकार के सतत सजग कार्यों से जो इतिहास बना दिया है वो शब्दों में बांधने की कोशिश हो रही है। भेंट की गई पुस्तक इसका प्रमाण है।



अच्छा वो छोड़िए...ये वाली फोटो देखी आपने जब अमित भाई और महाराज जी बैठ कर बातें कर रहे हैं।

लगाने वालों ने आग लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी वो तो दोनों पर बजरंगबली की कृपा है। देखिए पूरी चर्चा के दौरान दोनों के बीच ही बैठे रहे और फाइनल कमेंट भी दिया। हनुमान जी ने ही सद्बुद्धि दी कि मेरे भक्तों, अपनी पूंछ में आग लगे तो अपना घर नहीं जलाते। लगानी है तो विपक्ष की लंका में आग लगाओ।

जय बजरंग बली।


ओहो...एक जरुरी बात तो रह गई। अपने महाराज जी तो हमेशा से भगवाधारी हैं लेकिन अमित भाई के कुर्ते का कलर देखा आपने !


वो गाना है ना...हम पे ये किसने हरा रंग डाला....मित्रों जीवन में पहली बार समझ में आया कि हरा रंग सिर्फ खुशहाली, समृद्धि और प्रसन्नता का ही प्रतीक नहीं है इसके जरिए भी किसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शित किया जा सकता है।


दोराय नहीं इसमें रंगों से महाराज जी को भले परहेज ना हो लेकिन अमित भाई से मुलाकात इतने हरे-भरे माहौल में होगी ये तो नहीं सोचा होगा किसी ने।


अब ये तो सबको पता है कि योगी जी महाराज हों या भाई अमित शाह हरे रंग का गलत इस्तेमाल करने वालों को निपटाने में दोनों एक पर एक ग्यारह हैं।


चलिए अब नड्डा साहब के यहां चलते हैं।



नड्डा साहब जो बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। जब योगी जी पहुंचे तो भेंट किया गुलदस्ता। लेकिन ये क्या..फोटो खिंची तो दोनों का ध्यान किधर है ? मानता हूं कि एक से ज्यादा कैमरे होंगे लेकिन ये किसने कहा था कि अपने अपने कैमरे में देखना।


डिबेट थोड़ी थी टेलीवीजन की जो स्विचर खिड़की में काटेगा...मुलाकात थी ...मुक्कालात नहीं।


ज्यादा देर नहीं रुकेंगें आज जल्दी में है। पीएम के घर भी तो जाना है।


देखिए आ गई तस्वीर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।



महाराज जी तो अपने परंपरागत वेष में हैं सदैव भगवा,,,,और मोदी जी....! वाह ! झक सफेद।


सियासी जीवनचर्या में मोदी जी ने कौन सा रंग है जो भला ना देखा हो। कर्मठ कार्यकर्ता से लेकर देश के सर्वोच्च जनसेवा के पद तक लोकप्रियता और आलोचनाओं के शिखर का प्रत्येक रंग देखा है मोदी जी ने। इसमें भला किसे संदेह होगा। यहां सब शांत है। ऐसा लगता है मानों सारे रंग किसी ने एक चक्र में रंग कर उसे घुमा दिया। जब ऐसा होता है तो सारे रंग मिलकर श्वेत ही उत्पन्न करते हैं।


लेकिन...रुकिए...रुकिए...मोदी जी ने जो गमछा डाला है गले में वो असम वाला तो नहीं !


अब ये कौन कन्फर्म करेगा...चूंकि संदेह है, इसलिए ठीक ठीक कह नहीं सकता लेकिन असम वाला हुआ तो .... खैर हेमंत सरमा भाई भी तो कौन सा कन्सेशन दे रहे हैं शांतिदूतों को... अपने को तो राष्ट्र निर्माण से मतलब है।


वैसे लगाई बुझाई करने को वालों को तस्वीरें देख कर ये कहने की गुंजाइश तो मिल सकती है कि देखो, अमित भाई और मोदी जी के सामने योगी जी थोड़ा असहज है.....अब सफाई देनी पड़ रही है ....हम पहले कह रहे थे मान लेते हमारी बात तो क्या जा रहा था...वगैरह वगैरह। छोड़िए ये CMD TALK (कान में डाल वाली बातें)।


चलिए अब राष्ट्रपति भवन चलते हैं।



महामहिम रामनाथ कोविंद जी अपने कानपुर के हैं। अब कानपुर वालों से जब भी मिलो आनंद ही आता है।

सो अंत भला तो सब भला।


जय राम जी की।


चलते हैं .... अब चुनाव बाद ही मिलेंगे।

फिर मिल गए तो क्या कर लोगे....?

अमां फिर से पढ़ लेना जो लिखूं ।

टीम स्टेट टुडे


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