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प्रेम और भाईचारे से सेवा का मार्ग अपना कर जीवन में मिलेगी शांति


पीलीभीत, 25 जून 2023 : देवेंद्र मोहन भैया जी ने सतसंग में परम संत कृपाल सिंह जी महाराज की शिक्षाओं को संगत से साथ साझा करते हुए कहा कि प्रेम और भाईचारे से सेवा का मार्ग अपना कर जीवन में शांति और संतोष प्राप्त किया जा सकता है। मनुष्य को आतंरिक, सामाजिक और वैश्विक शांति के लिए सभी धार्मिक और बाहरी मत-भेदों को दूर करना आवश्यक है।इसके साथ उन्होंने कहा की हर मनुष्य का जीवन सच्चा होने के साथ उसका आचरण साफ और मनुष्य को कुसंगत से दूर रहना चाहिए वा अपने जीवन मे मांस मदिरा का सेवन नही करना चाहिए ।



सत्य सनातन धर्म को ही मानव धर्म का आधार बताते हुए कृपाल सिंह जी महाराज हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन आदि सभी धर्मों और पंथों के प्रति अध्यात्म और भक्ति के मार्ग से समान भाव रखते थे। मानव कल्याण के लिए वसुधैव कुटुंबकम् के मंत्र को आधार बनाकर महाराज जी ने सभी धर्मों और मठों के धर्म गुरुओं से मिलकर विश्व शांति का अनोखा संदेश दिया।

भैया जी ने संत कृपाल सिंह महाराज के प्रचलित कथन को याद करते हुए कहा कि

“परमात्मा का पाना आसान है,

इंसान का बनना मुश्किल है।”

“जब दिल का शीशा साफ़ होता है,

तो प्रभु का दर्शन आप होता है।”

देवेंद्र मोहन भैया जी ने संगत से कहा कि मनुष्य अपने चरित्र और जीवन में संयम और विकास तभी ला सकता है जब समय रहते अपने भीतर की कमियों को दूर किया जाए।

देवेंद्र मोहन भैया ने सत्संग में बताया कि भारतवर्ष संत महात्माओं की धरती है। प्राचीनकाल से ही गुरु शिष्य की परंपरा का निर्वहन होता आया है। संत कृपाल सिंह जी महाराज के सेवाकार्यों और उद्देश्यों को लेकर उनके गुरु स्वामी दिव्यानंद जी महाराज जीवन पर्यंत आगे बढ़ते रहे। जब स्वामी दिव्यानंद जी महाराज के उत्तराधिकारी के रुप में वो भी ना सिर्फ अपने गुरु की शिक्षाओं और सेवाकार्यों से मानवता और समाज के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है बल्कि उनके साथ जुड़ी हुई समस्त संगत भी मानव सेवा को ही प्रभु भक्ति मान कर आगे बढ़ रही है।
इसके साथ भैया जी ने अपने मालिक की याद मे बैठना व मिले हुए नाम का सुमिरन करने के साथ साथ मिले हुए अनुभव को अपने तक सिमित रखने की बात भी कही ।

सत्संग के उपरांत भव्य भंडारे का आयोजन हुआ। सत्संग को सफल बनाने में डॉक्टर चंद्र सेन शर्मा, डॉक्टर नोनीराम राठौर, डोरीलाल प्रजापति, गेंदन लाल बाबू, राम अवतार गंगवार, आर पी गंगवार जी का सहयोग रहा।

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