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हैंडपंप चलाएगा साइकिल सवार तो बुझेगी वोटों की प्यास



राजनीति के निशान होते ही ऐसे हैं जब संघर्ष की साइकिल चल रही हो तो प्यास लगना स्वाभाविक है और हैंडपंप के पास रुकना भी। ये भी सच है कि हैंडपंप को चलाए बगैर पानी नहीं निकलता और अगर हैंडपंप को चलाया ना जाए तो उसे जंग लगना तय है।



समाजवादी पार्टी के मुखिया साइकिल सवार अखिलेश यादव और हैंडपंप वाले राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया जयंत चौधरी एक दूसरे के पूरक बने हैं। सियासी जमीन पर वोटों की फसल बेहतर रहे इसलिए सपा और रालोद के बीच गठबंधन का आधिकारिक ऐलान हो गया है। मेरठ में संयुक्त रैली के दौरान दोनों नेताओं ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा। अखिलेश यादव ने योगी सरकार को ललकारते हुए कहा कि इस बार पश्चिम में बीजेपी का सूरज हमेशा के लिए डूब जाएगा। अखिलेश ने कहा कि इस बार किसानों का इंकलाब होगा और 22 में बदलाव होगा। जयंत चौधरी ने ऐलान किया कि सरकार बनने पर मेरठ में शहीद किसानों का स्मारक बनवाया जाएगा।


अखिलेश यादव ने रैली में जनसैलाब देखकर कहा कि उत्साह बता रहा है कि इस बार किसानों का इंकलाब होगा और 22 में बदलाव होगा। हमारे किसानों को क्या-क्या नहीं सामना करना पड़ा।



जयंत चौधरी ने रैली में कहा, 'किसानों ने बड़ी लड़ाई लड़ी और शायद पहली बार मोदी जी को झुकाने का काम किया लेकिन बहुत बड़ी कुर्बानी दी। हम भूल नहीं सकते कि किस तरह लखीमपुर में किसानों को रौंदा गया था। 700 से ज्यादा किसान शहीद हो गए। इसलिए मैं वादा करना चाहता हूं कि इस क्रांति धरती पर, हम और अखिलेश साथ चल रहे हैं। हमारे गठबंधन का ऐलान हो गया। ये डबल इंजन की सरकार हम देंगे। जब हमारी सरकार बनेगी तब हम पहला काम करेंगे कि मेरठ में शहीद किसानों की स्मृति में एक स्मारक बनाएंगे।'


जयंत चौधरी ने अपने भाषण में कहा, 'डबल इंजन की सरकार का हाल देखिए। बिजनौर में नई सड़क का उद्घाटन करते हुए विधायक नारियल फोड़ते हैं, सड़क टूट जाती है। अखिलेश जी ने एक्सप्रेसवे बनवाए, ये इंजीनियर की बात समझते हैं, ये विज्ञान की बात समझते हैं। बाबा जी बाबा जी को गुस्सा बहुत आता है। मैंने उन्हें हंसते नहीं देखा। वह तभी खुश नजर आते हैं जब बछड़ों के बीच होते हैं। इस बार उन्हें फ्री कर दो ताकि गोरखपुर में 24 घंटे बछड़ों के साथ खेलें।



रैली में जयंत ने एक किस्सा सुनाते हुए कहा, 'कुछ दिन पहले मेरठ में एक चोर पकड़ा गया। उसकी गाड़ी में बीजेपी का झंडा लगा था। उसे सजा के तौर पर दो विकल्प रखे गए या तो 100 प्याज खा लो या 100 जूते। उसने सोचा प्याज खा लेता हूं। 30-40 प्याज खाए तो आंसू निकल आए। फिर उसने कहा कि प्याज बहुत हो गया, जूते दे दो। फिर थोड़े जूते खाए तो कहा कि चोट लग रही है, प्याज खिला दो। ऐसा ही कुछ हाल केंद्र सरकार बीजेपी का भी हो रहा है। 100 प्याज भी खा लिए, 100 जूते भी। दाढ़ी भी बनवानी पड़ गई।


जयंत चौधरी और अखिलेश यादव एक साथ मंच पर पहुंचे तो समर्थकों ने जोरदार नारे लगाए। मंच पर दोनों नेताओं ने एक साथ शक्ति प्रदर्शन किया।


परिवर्तन संदेश रैली में उमड़े जनसमूह के बीच रैली खत्म होने के बाद जयंत और अखिलेश का काफिला जब हेलीपैड पर पहुंचा तो वहां कार्यकर्ता घुस गए। हेलीपैड पर भी दोनों नेताओं से मिलने की कार्यकर्ताओं में होड़ लगी रहीं। भीड़ इतनी ज्यादा थी कि पुलिस की व्यवस्थाएं भी फेल हो गई। वहीं भीड़ ने धक्का-मुक्की कर मंच पर भी चढ़ने का प्रयास किया। कई बार नेताओं ने मंच की ओर चल रही भीड़ को रोकने के लिए हाथ भी जोड़े। वहीं बड़ी मुश्किल से भीड़ को रोका गया।


टीम स्टेट टुडे


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