" मास्क "
-ओमप्रकाश मिश्र, प्रयागराज।।
चेहरे पढ़ना पहले भी मुश्किल था,
मास्क ने और भी मुश्किल कर दिया।
पहले चेहरे पर चेहरे लगाते,
अब मास्क पर मास्क लगाते ।
कई भेद कम किए इस मास्क ने,
खूबसूरत-बदसूरत, विद्वान-मूर्ख,
और पता नहीं क्या-क्या कर दिया,
इस अकेले मास्क नें ।।
(रचयिता पूर्व रेल अधिकारी हैं)
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