google.com, pub-3470501544538190, DIRECT, f08c47fec0942fa0
top of page

क्या है दिल्ली शराब घोटाला? कैसे केजरीवाल आए घोटाले की ज़द में - जानिए पूरा सच, क्या हुआ है अब तक #Delhi #Liquor #Scam



17 नवंबर 2021 को नई आबकारी नीति हुई थी लागू

जुलाई 2022 में दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव ने एलजी को सौंपी अनियमितता की रिपोर्ट

नीति से सरकारी खजाने को 144.36 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ

 

दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नई आबकारी नीति लागू करके सरकार के राजस्व में इजाफा होने का दावा किया था।

हालांकि, जुलाई 2022 में दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव ने आबकारी नीति में अनियमितता होने के संबंध में एक रिपोर्ट उपराज्यपाल वीके सक्सेना को सौंपी थी। इसमें नीति में गड़बड़ी होने के साथ ही तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया गया था।

रिपोर्ट के आधार पर एलजी ने की थी जांच की सिफारिश

इस रिपोर्ट के आधार पर उपराज्यपाल ने नई आबकारी नीति (2021-22) के क्रियान्वयन में नियमों के उल्लंघन और प्रक्रियात्मक खामियों का हवाला देकर 22 जुलाई 2022 को सीबीआइ जांच की सिफारिश की थी। इस पर सीबीआई ने प्राथमिकी की थी और सीबीआइ की प्राथमिकी के आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था।

आखिर क्या थी दिल्ली की नई शराब नीति?

दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति लागू की थी. इस नीति के तहत राजधानी को 32 जोन में बांटा गया और हर जोन में 27 दुकानें खोलने की बात कही गई। इस तरह से पूरी दिल्ली में 849 शराब की दुकानें खोली जानी थीं. इस नीति के तरह सभी सरकारी ठेकों को बंद कर सभी शराब की दुकानों को प्राइवेट कर दिया गया। जबकि इससे पहले दिल्ली में शराब की 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी और 40 प्रतिशत प्राइवेट थीं। नई नीति लागू होने के बाद सभी 100 प्रतिशत शराब की दुकान को प्राइवेट कर दिया गया. दिल्ली सरकार ने इससे पीछे तर्क दिया कि इससे 3500 करोड़ रुपए का फायदा होगा.

 

यही नहीं दिल्ली सरकार ने शराब की दुकान के लाइसेंस की फीस भी कई गुना बढ़ा दी थी. इसके तहत जिस एल-1 लाइसेंस को हासिल करने के लिए पहले 25 लाख रुपए देने होते थे. नई नीति लागू होने के बाद उसके लिए ठेकेदारों को पांच करोड़ रुपए चुकाने पड़े. इसी तरह अन्य कैटेगिरी के लाइसेंस की फीस भी जरूरत से ज्यादा बढ़ा दी गई.

 

सरकारी राजस्व में भरी कमी होने का आरोप

सरकार पर आरोप लगा कि सरकार की नई नीति से राजस्व में भारी कमी हुई. पहले जहां 750 एमएल की एक शराब की बोतल 530 रुपए में मिलती थी. उसे बोतल पर रिटेल कारोबारी को 33.35 रुपए का मुनाफा होता था जबकि 223.89 रुपए उत्पाद कर और 106 रुपए वैट के रूप में सरकार को मिलता था. इस हिसाब से सरकार को हर एक बोतल पर 329.89 रुपए का फायदा होता था. सरकार की नई नीति आने के बाद 750 एमएल की बोतल का दाम 530 रुपए से बढ़ाकर 560 रुपए कर दिया गया. इससे रिटेल करोबी का मुनाफा 33.35 से बढ़कर सीधे 363.27 रुपए पहुंच गया. यानि रिटेल कारोबारियों को सीधे 10 गुना का फायदा होने लगा. वहीं सरकार को मिलने वाला 329.89 रुपए का फायदा घटकर 3.78 पैसे रह गया. इसमें 1.88 रुपए उत्पाद शुल्क और 1.90 रुपए वैट शामिल है.

 

कैसे फंसते गए सीएम केजरीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी ने पिछले साल 2 नवंबर को पहला समन भेजा था. ये समन प्रिवेन्शन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जारी किया गया था. ईडी की ओर से जारी चार्जशीट में आरोप है कि जब एक्साइज पॉलिसी 2021-2022 तैयारी की जा रही थी, उस वक्त केजरीवाल, आरोपियों के संपर्क में थे. ईडी की ओर से दावा किया गया है कि इस मामले में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के. कविता के अकाउंटेंट बुची बाबू के बयान भी दर्ज किए. बुची बाबू ने बयान दिया है कि के कविता, केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के बीच पहले से संबंध में बात हो चुकी थी. यही नहीं इसे लेकर कविता ने मार्च 2021 में विजय नायर से मुलाकात भी की थी. इस मामले में गिरफ्तार दिनेश अरोड़ा ने ईडी को बताया था कि उसने केजरीवाल से उनके आवास पर मुलाकात की थी. उसने बताया कि वाईएसआर कांग्रेस के सांसद मंगुटा श्रीनिवासुलु रेड्डी और केजरीवाल के बीच कई मीटिंग भी हुई थी. इसके बाद ही सीएम केजरीवाल ने दिल्ली के शराब करोबार में रेड्डी की एंट्री का स्वागत किया था.

 

 

फायदे का था दावा नीति से हुआ 144.36 करोड़ का नुकसान

सीबीआई और ईडी का आरोप है कि आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितता की गई थीं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया था। इसमें लाइसेंस शुल्क माफ या कम किया गया था। इस नीति से सरकारी खजाने को 144.36 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

 

मामले में जांच की सिफारिश करने के बाद 30 जुलाई 2022 को दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति को वापस लेते हुए पुरानी व्यवस्था बहाल कर दी थी। घोटाले से जुड़े सीबीआइ और ईडी के मामले में मनीष सिसोदिया को निचली अदालत से लेकर हाई कोर्ट तक राहत नहीं मिली।

मामले में कब क्या हुआ

भ्रष्टाचार मामले में 26 फरवरी, 2023 को आठ घंटे की लंबी पूछताछ के बाद सीबीआइ ने सिसोदिया को किया था गिरफ्तार

मनी लांड्रिंग मामले में ईडी ने नौ मार्च-2023 को किया था सिसोदिया को गिरफ्तार

सीबीआइ ने मनीष सिसोदिया, विजय नायर, अभिषेक बोइनपल्ली और बुचिबाबू को गिरफ्तार किया था। हालांकि, सीबीआइ ने समीर महेंद्रू, गौतम मुथा, अरुण पिल्लई, कुलदीप सिंह, नरेंद्र सिंह को गिरफ्तार नहीं किया। मनीष सिसोदिया को छोड़कर सीबीआइ मामले में सभी को जमानत मिल चुकी है।

सीबीआई के आरोपपत्र में बनाए गए आरोपित

मनीष सिसोदिया,

विजय नायर,

अभिषेक बोइनपल्ली,

समीर महेंद्रू,

गौतम मुथा,

अरुण आर पिल्लई,

कुलदीप सिंह,

नरेंद्र सिंह,

अमनदीप सिंह ढल,

बुच्ची बाबू,

अर्जुन पांडे

 

ईडी के आरोपित

सीबीआई की प्राथमिकी में इनके हैं नाम

मनीष सिसोदिया, पूर्व उप-मुख्यमंत्री, दिल्ली सरकार

आरव गोपी कृष्ण, तत्कालीन आयुक्त, आबकारी विभाग, दिल्ली

आनंद तिवारी, तत्कालीन उपायुक्त, आबकारी विभाग, दिल्ली

पंकज भटनागर, सहायक आयुक्त (आबकारी), दिल्ली

विजय नायर, पूर्व सीईओ, मेसर्स ओनली मच लाउडर, मुंबई

मनोज राय, मैसर्स पर्नाड रिकार्ड के पूर्व कर्मचारी, लखनऊ

अमनदीप ढल, निदेशक, मैसर्स ब्रिंडको सेल्स प्रा., लि. दिल्ली

समीर महेंद्रू, प्रबंध निदेशक, इंडोस्पिरिट ग्रुप, दिल्ली

अमित अरोड़ा, निदेशक, मैसर्स बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड, दिल्ली

मेसर्स बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड, दिल्ली

दिनेश अरोड़ा, दिल्ली

मेसर्स महादेव लिकर्स, दिल्ली

सनी मारवाह, अधिकृत प्रतिनिधि, मेसर्स महादेव लिकर्स, दिल्ली

अरुण रामचंद्र पिल्लई, बेंगलुरु

अर्जुन पांडेय, गुरुग्राम

अन्य अज्ञात

bottom of page
google.com, pub-3470501544538190, DIRECT, f08c47fec0942fa0