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तथागत महात्मा गौतम बुद्ध की जयंती बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर ICPS ने आयोजित किया राष्ट्रीय वेबिनार

Updated: May 11, 2020





‘तथागत महात्मा गौतम बुद्ध की जयंती के अवसर पर’ राष्ट्रीय स्तर की ऑनलाइन कांफ्रेंस (वेबिनार) का ‘इंडिया सेंटर फॉर पॉलिसी स्टडीस’ के द्वारा का आयोजन किया| कार्यक्रम में मुख्य वक्ता जाने माने चिन्तक, लेखक एवं सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता श्री रमेश पतंगे जी रहे I



वेबिनार का आयोजन व संचालन ICPS के संयोजक देवराज सिंह द्वारा किया गया| कांफ्रेंस में तथागत महात्मा गौतम बुध के दर्शन की समसामयिक विश्व में प्रासंगिकता पर चर्चा की गयी एवं वर्तमान समय में उनके मूल्यों एवं आदर्शो के आधार पर सामाजिक, आर्थिक एवं राजनितिक व्यवस्था का निर्माण हो, जो समानता, स्वतंत्रता एवं बन्धुत्वता पर आधारित हो एवं जिसमे बहुजन हिताय बहुजन सुखाय का (सबका विकास) हो, सभी को न्याय मिले, विश्व में सभी का कल्याण हो, शांति,सद्भावना एवं अमन की भावना को साकार बुध के दर्शन के द्वारा अमल में लाकर किया जा सकता हैI इस लिए बुध की प्रासंगिकता न केवल प्राचीन विश्व को थी बल्कि वर्तमान विश्व को आज भी उतनी ही आवश्यकता है और आगे भविष्य में भी बुध के विचारो की प्रासंगिकता विश्व में रहेगी I



मुख्य वक्ता श्री रमेश पतंगे जी (बम्बई) ने कहा यह भारत का सोभाग्य रहा यहाँ महामानव बुद्ध का जन्म हुआ I बुध ने कभी यह नही कहा कि में भगवान हूँ या फिर ईश्वर का पुत्र हूँ I बुध ने लोगो को परम्पराओ के बारे में बताया कि ये प्राचीन समय से चली आ रही है हमे इन का पालन करना चाहिए यह ठीक नही है I हमें इनका पालन अपने व्यवहारिक ज्ञान के आधार पर करना चाहिए I बुध ने धर्म में सुधार किया, उस समय धर्म में बहुत सी विक्रतिया आ गयी थी I विवेकानंद ने कहा था “भारत धर्म आधारित देश है, भारत से अगर धर्म समाप्त हो गया तो भारत समाप्त हो जायेगा” जब धर्म के नाम पर यज्ञ में पशुओ की हत्याए ज्यादा होने लगी, तब बुध ने कहा पशु हत्याओ के यज्ञ बंद किये जाये, प्राक्रतिक आपदाओ के समय यज्ञो के नाम पर खर्च नही करना चाहिए, इस धन को लोगो की आजिविका या व्यवसाय करने के लिए बाँट दिया जाये I जिससे राज्य की अर्थ व्यवस्था में सुधार होगा I यही से हम बुध के कल्याणकारी राज्य की संकल्पना को समझ सकते है I बुध के इन्ही विचारो को ध्यान में रखते हुए भारतीय संविधान में राज्य के नीतिनिर्देशक तत्वों में कल्याणकारी राज्य के विचार को स्थान दिया गया है I


बुध ने कहा है यथा राजा तथा प्रजा I


बुध के अनुसार यज्ञ का अर्थ है – धन की जिसको आवश्यकता है उसे दिया जाये I


दुःख अनुभूति – जिस समय मुझे दुःख होता है उसी समय दूसरों को भी दुःख का अनुभव हो या दुःख की संवेदना हो, दुःख विश्व व्यापी है I संघ में बीमार भिक्छुओ की सेवा बुध स्वयं किया करते थे I लोग दुसरे लोगो के दुखो की चिंता भूल गये थे, तब बुध ने लोगो के दुखो के समाधान के लिए ज्ञान प्राप्त किया I



बुध के द्वारा जो उपदेश दिए गये वे प्रश्नों की आवश्यकता अनुसार एक–एक कर के दिए गये है, जैसे जैसे प्रश्न बुध के सामने आते गये उनके उत्तर वे उसी प्रकार देते रहे I बुध के समय की एक घटना है एक व्यक्ति नदी में स्नान कर के दस दिशाओ में जल उछाल रहा था बुध ने पूछा ये क्या कर रहे हो तब उसने उत्तर दिया में देवतओ को जल दे रहा हूँ तब बुध ने उस व्यक्ति को ज्ञान कराया कि समाज में लोगो के प्रति हमारे दस कर्तव्य है ये दिशाए हमे माता-पिता, पति-पत्नी ,पुत्र–पुत्री, राजा-प्रजा, शिक्षक–छात्र आदि के प्रति हमारे जो कर्तव्य है उनका बोध कराती है I

कुछ लोग बुध को केवल वैरागी, दुःखवादी या पलायनवादी कहते है यह गलत है यह ठीक नही है, उन्होंने राजाओ से यह नही कहा की सेना की आवश्यकता नही है, एक बार एक राजा बुध के पास आते है और कहते है उसके कुछ सेनिक आपके संघ में भिक्छु बनना चाहते है वो क्या करे बुध ने राजा को कहा कि उन्हें पकड़ कर जेल में डाल दो I



राजा – राज्य एवं प्रजा की सुरक्षा के लिए किले व् दुर्गो का निर्माण करे I जनता व् राज्य की सुरक्षा करना राजा का कर्तव्य है I पंचाल्य्य राज्य में एक राजा खाओ पीओ मोज करो के आधार पर राज्य कर रहे थे, एक रात को उसे स्वप्न आया की वे अपने राज्य का भ्रमण करे, दूसरे दिन जब वह भ्रमण पर निकले तो सारे लोग अपनी समस्यों या दुःख के लिए राजा को ही जिम्मेदार ठहरा रहे थे, राजा का पूरा प्रशाशन शोषण करता है I राजा का कर्तव्य है वह अपने राज्य की जनता, जीवजन्तु पेड पोधे सभी का संरक्ष्ण करे I


समरसता – जातिप्रथा, ऊंच-नीचता सभी को ख़त्म कर देना चाहिए Iब्रह्मभाव, मैत्री, करुणा, जो सुधर नही सकता उसकी उपेक्षा करनी चाहिए Iबुध से एक बार एक ब्राह्मण के साथ प्रश्न उत्तर होते है ब्राह्मण कहता है हम ब्रह्मा के मुख से पैदा हुए है हम उच्च है, इसके उत्तर में बुध कहते है ब्रह्मण महिला किस मार्ग से बच्चे को जन्म देती है आप को पता है I बुध कहते है कोई भी व्यक्ति जन्म के आधार पर ब्राह्मण, क्षत्रिय, वेश्य एवं सूद्र नहीं होता बल्कि कर्म के आधार पर होना चाहिए I

आज के सामाजिक कार्य करता को बुध की शिक्षाओ का अनुकरण अपने जीवन में करना चाहिए, एक सामाजिक कार्यकर्ता को जब वह समाज में कार्य करता है तो कुछ लोग उसे गालिया देते है वह लोग अच्छे है पीटते तो नही है, कुछ लोग पीटते है है अच्छे है हत्या तो नही करते, कुछ लोग हत्या करते है ये भी अच्छा है क्योकि में निर्माण प्राप्त करता हूँ I


श्री बबन रावत जी राष्ट्रिय अध्यक्ष महादलित परिसंघ (महादलित संघठनो का अखिल भारतीय परिसंघ) पटना से अपने विचार रखे उन्होंने श्री पतंगे जी से प्रश्न पूछे –-वर्ण व् जाति व्यवस्था की बात बुध ने जो उस समय की थी उसे के सन्दर्भ में कैसे देखें ?-पतंगे जी – बुध जब जीवित थे तब वर्ण व् जाति व्यवस्था बढती जा रही थी बुध ने इसे जड़ से खत्म करने का प्रयास किया , आज के सन्दर्भ में जितनी जल्दी इसे समाप्त कर दे उतना ही अच्छा है I जाति व्यवस्था को खत्म करना है तो अंतरजातीय विवाह करने होंगे मेने अपने घर से परिवार से अन्र्जतीय विवाह करने का कार्य प्रारम्भ किया I भाषण देना अलग बात हे और व्यवहार में लाना अलग xबात I प्रश्न -क्या आज बुध की प्रासंगिकता ख़त्म होती जा रही है ? - पतगे जी – मुझे नही लगता, आज कोरोना की घटना को देखे लोग भोग विलास के पीछे न पड़े जरूत के अनुसार वस्तुओ का उपभोग करना चाहिए संग्रह नही करना चाहिए I प्रश्न-चीन एक बुद्धिष्ट देश है उसने ये बीमारी सारी दुनिया में क्यों फेला दी ?- पतगे जी – चीन ने यह अपने राजनितिक फायदे के लिए किया बुध की शिक्षा से प्रभावित होकर नही किया I



डॉ. गीता मिश्रा जी (लखनऊ) – कोरोना के सन्दर्भ में बुध के विचार प्रासंगिक है, बुध ने मूल्यों पर आधरित विचारो के महत्व को प्राथमिकता दी उन्होंने सभी को जोड़ने की बात कही सामाजिक सदभावना,सभी को साथ मिलकर रहना है, यह सम्पूर्ण विश्व के लिए आवश्यक है I


डॉ. बिबेक रजक (झारखण्ड) – गौतम बुध को भगवान नहीं बोलना चाहिए I बुध के विचारो को हमे आंबेडकर के चश्मे से देखना चाहिए I डॉ. आंबेडकर ने बुध को अच्छी तरह से समझा और उसे संविधान में स्थान दिया I श्री पतंगे जी ने भी कल्याणकारी राज्य की बात कही अच्छा है, वर्तमान सन्दर्भ में बुध के आथिक विचारो की कोरोना के बाद प्रासंगिकता है I



प्रो आर एन खरवार BHU (वाराणसी ) – समाज का कमजोर वर्ग मन का आनन्द चाहता है ये वर्ग बुध धर्म से ज्यादा प्रभावित है I आज बुध की महत्ता बढती जा रही है बुध आत्म विस्वास देता है सम्पूर्ण विश्व के कल्याण की बात करता है I बुध ने स्वयं को भगवान नही कहा था लेकिन लोग भगवान बनाते जा रहे है I बुध धर्म तर्क पर आधरित है आडम्बरो के खिलाफ है I समाज में अन्र्जतीय विवाहों की शुरुआत करनी चाहिये, अन्र्जतीय विवाहों को सुरक्षा एवं प्रोत्साहन देना राज्य की जिमेदारी है I अंतरजातीय विवाह में शक्षम लोग सफल हो जाते है लेकिन कमजोर लोग हॉनर किलिंग के शिकार हो जाते है या मार दिए जाते है I जाति को बनने में जितना समय लगा है उससे ज्यादा समय उसे ख़त्म करने में लगेगा I कोरोना के सन्दर्भ में हम अपने आस पास रह रहे पडोसी का ध्यान रखे और उनकी मदद करे, हम में समरसता का भाव हो I हमे अपनी क्षमता के अनुसार मदद करनी चाहिए Iइस कार्यक्रम में आज मुझे भी लोगो से सीखने के लिए बहुत कुछ मिला है I


प्रो. पी डी सहारे जी दिल्ली विश्वविद्यालय – श्री पतंगे जी ने सारे विचार विस्तार पूर्वक रखे I उन्होंने कहा अंतर्जातीय विवाह किये जाये बहुत अच्छा विचार है I लेकिन बहुत से राज्यों में अन्र्जतीय विवाहों के मामले में हॉनर किलिंग क्यों होती है ? उन्हें रोका जाना चाहिए I सरकारों को उन्हें सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए I हम सामाजिक समरसता की बात करते है कैसे सामजिक समरसता आएगी ?


श्री अक्षय कुमार अग्रवाल जी ने कहा कि बुध की प्रासंगिकता न केवल बुध के समय में थी बल्कि आज भी है और भविष्य में भी रहेगी I बुद्ध ने सारी समस्याओ के समाधान के लिए मध्यम मार्ग की उपयोगिता आज भी बहुत उपयोगी है I इस लिए हमें बुद्ध के द्वारा बताये गये मार्ग पर चलना चाहिए I


डॉ. मख्खन लाल जयपुर विश्वविद्यालय (जयपुर) – वर्तमान में बुध के के उपदेश प्रासंगिक है I मित्रता से सभ्यता का विकास होता है दुश्मनी से नाश होता है I हमे एक अच्छे नागरिक बनने की कोशिश करनी चाहिए I


डॉ. वी.एस नेगी जी दिल्ली विश्विद्यालय – बुद्ध जयंती पर सभी को बधाई I समाज में बुद्ध की शिक्षाओ को कैसे लागू करे ? जो लोग शिक्षक है वह शिक्षा के माध्यम से जो लोग धनी है वह धन के माध्यम से समाज में अपनी सेवा दे I समाज में जो कटुता है उसे खत्म किया जाये I मेने इस इस दोरान बुध की 1940 में प्रकाशित पुस्तक पढ़ी जो आज के सन्दर्भ में उपयोगी I समाज में जो कटुता है उसे व्यक्ति व् समाज द्वारा बुद्ध की शिक्षाओं से दूर किया जा सकता है किसी राज्य या सरकार के द्वारा नहीं I



डॉ. रमानाथ नायक उड़ीसा – बुद्ध ने ज्ञान के मार्ग को अधिक महत्व दिया, ज्ञान के द्वारा विकास किया जा सकता है I बुध वर्तमान समय के साथ चलना सिखाता है I भविष्य में जो भी समय आएगा बुद्ध के विचारो की उपयोगिता हमेशा रहेगी I


मिनाक्षी चटर्जी – ने बुद्ध के Principal of Casualty की बात कही जिसमे व्यक्ति घटित घटना के पीछे दुसरे लोगो को जिमेदार मानता है जो कि गलत है उस घटना के लिए जो घटी हे उसके लिए वह स्वय जिम्मेदार होता है उसे अपने को समझना चाहिए I


बाद में सभी के विचारो की समीक्षा श्री रमेश पतंगे जी ने किया I उन्होंने सभी से अपील की कि आज बुद्ध जयंती के अवसर पर हम अपने जीवन में बुद्ध के विचारो से प्रेरणा लेकर कोरोना के समय में समाज में अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करे I


इस जूम कांफ्रेंक में राष्ट्रीय स्तर की सहभागिता रही - उतर प्रदेश , राजस्थान बिहार, झारखण्ड, उड़ीसा , देहरादून, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडू, दिल्ली एवं मध्य प्रदेश आदि स्थानों से विभिन विश्वविद्यालयों से शिक्षाविद, सामाजिक कार्यकर्ता, वकील, शोधार्थी, पत्रकार, दलित चिंतक व सामाजिक में सक्रिय व्यक्तियों के द्वारा चर्चा में भाग लिया, इन में मुख्य रूप से श्री अमोल पड्नेकर (विवेक के सम्पादक) डॉ P.V आर्या,, समाजसेवी श्री रितेश कुमार, डॉ. गीता सहारे, डॉ. विवेक सिंह, डॉ. नितीश कुमार, डॉ. इंदु राठी , डॉ. रविन्द्र कुमार ,डॉ. सत्यप्रकाश प्रसाद , श्री नेतराम ठगेला, डॉ. पूनम फोगट, डॉ. विजय आर्या, डॉ. विवेक सिंह, डॉ त्रिमूर्ति, अधिवक्ता सुमन वीर, डॉ चन्द्रकांता, डॉ. संजीव कुमार, डॉ. ऋषि तिवारी, डॉ. रुकमनी, श्री प्रसाद जोशी, डॉ. संतोष ,डॉ. सुनील कुमार, डॉ.मनोरमा, डॉ. धर्मेन्द्र कुमार, डॉ. प्रशांत, डॉ. गजेन्द्र सिंह, डॉ. मुकेश शर्मा, डॉ. उमेश कुमार, डॉ. रविन्द्र सागर, पंकज, मोनिका, सुमित, मो. नफीज़, संतोष कुमार इत्यादि लोग परिचर्चा में भगीदार रहे |


टीम स्टेट टुडे


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