google.com, pub-3470501544538190, DIRECT, f08c47fec0942fa0
top of page

विशाल संगत के साथ सांसद धर्मेंद्र कश्यप ने आध्यात्मिक गुरु Devendra Mohan Bhaiyaji का लिया आशीर्वाद



  • आध्यात्म से जुड़ाव का पहला नियम है शुद्ध आहार और विचार – देवेंद्र मोहन भैयाजी

  • संत के साथ निस्वार्थ प्रेम बिन मांगे ही सारे काम बना सकता है – देवेंद्र मोहन भैया जी

  • सुख और दुख दोनों ही विकास का रास्ता खोलते हैं – देवेंद्र मोहन भैयाजी

 

3 मई, फरीदपुर, बरेली। सत्संगी वही होता है जो व्याभिचार और अहंकार को त्याग दे। विनम्रता ही सत्संगी का सबसे बड़ा गुण है, उसकी पहचान है। आध्यात्मिक गुरु देवेंद्र मोहन भैयाजी ने बरेली के फरीदपुर जुटी विशाल संगत से जोर देकर कहा कि अपने जीवन से अहंकार और व्यभिचार का संपूर्ण त्याग कर दें। इस मौके पर आंवला से सांसद माननीय धर्मेंद्र कश्यप जी भी भैयाजी का आशीर्वाद लेने पहुंचे। भैयाजी ने सभी सत्संगियों से कहा कि मतदान करना प्रत्येक नागरिक का सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य है। धर्म ही सत्ता को सत्मार्ग पर बनाए रखता है। भारतीय लोकतंत्र विश्व में इसका सबसे बड़ा उदाहरण प्रस्तुत करता है।   

 

भैयाजी ने कहा कि संत-महापुरूष प्रेम के मार्ग पर चलते हुए मुक्ति का मार्ग सुझाते हैं। अगर सत्संगी को गुरु प्रेमभाव से ना जोड़े तो यह मायावी दुनिया छोड़ने के लिए कोई कभी राजी नहीं होगा।

 



संत कृपाल सिंह जी महाराज को याद करते हुए भैया जी ने कहा कि जब उनके पास कोई व्यक्ति अपने पाप-कर्म का दुःखड़ा रोता तो वो कहते कि मुझसे मिलने से पहले जो कर्म तुमने किए उसकी जिम्मेदारी तो मैं ले लूंगा लेकिन गुरु की शरण में आने के बाद पहले वाली गलतियां दोहराई तो रास्ता मुश्किल होगा।

सत्संग में गुरु के द्वारा बोले गए वचन जीवन में उतारने की कोशिश करनी चाहिए। हमारे जीवन में परिवर्तन तब शुरू होता है जब हम चुन-चुन कर अपनी एक-एक विकृति को समाप्त करने की कोशिश करते हैं।

 

जब हम गुरु के वचनों को अपने अन्तर्मन में समा लेते हैं तो हमारे जीवन में परिवर्तन आने लगते हैं और विकार भी समाप्त होने लगते हैं।

 

संत कहते हैं कि हमें उस मृत्यु की घड़ी को हमेशा याद रखना चाहिए और हर एक दिन इस तरह जीना चाहिए जैसे कि वो हमारा आखिरी दिन हो। इसका तात्पर्य है कि आखिरी वक्त कोई भी व्यक्ति फिज़ूल की इच्छाओं में नहीं फंसता बल्कि प्रभु की याद को प्राथमिकता देता है।

 



जब हम गुरू पर भरोसा करते हैं, दुःख की घड़ी में भी उसकी याद को हृदय में बसाते हैं, तो गुरू आगे आकर हमारी मदद करता है। वो हमें उस दुःख की घड़ी में भी सहारा देता है।

 

भैयाजी ने कहा कि जीवन में संयम और परिवर्तनशील होना बहुत जरूरी है। इसी के सहारे हम अपने जीवन से त्रुटियों को धीरे-धीरे समाप्त करते हैं।

 

हालही में विदेश से लौटने के बाद आध्यात्मिक गुरु देवेंद्र मोहन भैयाजी के सत्संग पीलीभीत, मढ़ीनाथ आश्रम बरेली, बीसलपुर, भोपतपुर, पूरनपुर और नवाबगंज में हो चुके हैं। बरेली के फरीदपुर में आयोजित सातवे सत्संग में रामेश्वर दयाल ,  आरपी गंगवार ,  गेंदन लाल बाबूजी,  प्रीतम लाल और महेश भाई के साथ लंगर टीम ने कार्यक्रम को सफल बनाया।  



bottom of page
google.com, pub-3470501544538190, DIRECT, f08c47fec0942fa0