राष्ट्रीय लोकदल की कमान अब जयंत चौधरी के हाथ में सौंप दी गई है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की वर्चुअल बैठक में 25 मई को सर्वसम्मति से उन्हें पार्टी का नेता चुना गया।
बड़ी बात ये है कि कोरोना संक्रमण के चलते अपन पिता चौधरी अजित सिंह को खोने वाले जयंत चौधरी ने अध्यक्ष बनने के साथ ही ये संदेश दिया कि कोरोना का टीकाकरण आवश्यक है। हर व्यक्ति वैक्सीन प्राथमिकता से ले। उन्होंने गांवों में घर-घर टीकाकरण अभियान चलाए जाने की जरूरत पर बल दिया। जयंत ने टीकाकरण के लिए पंजीकरण को सुलभ बनाने की भी आवश्यकता पर भी जोर दिया। ये संदेश बता रहा है कि जयंत चौधरी कई मायनों में अपनी उम्र के राजनेताओं से अलग और बड़ी लकीर खींचने जा रहे हैं।
बैठक में राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी ने जयंत चौधरी का नाम अध्यक्ष पद के लिए प्रस्तावित किया। पूर्व सांसद एवं राष्ट्रीय महासचिव मुंशीराम पाल ने प्रस्ताव का अनुमोदन किया। सभी कार्यकारिणी 34 सदस्यों ने प्रस्ताव का समर्थन किया।
इस समय पार्टी में अध्यक्ष जयंत चौधरी के अलावा आठ राष्ट्रीय महासचिव, 14 सचिव, तीन प्रवक्ता और 11 कार्यकारिणी सदस्यों समेत 37 पदाधिकारी हैं। 15 साल के अपने राजनीतिक जीवन में जयंत ने पिता के बिना पहली बार कोई बैठक की है।
बैठक में पार्टी सुप्रीमो स्वर्गीय चौधरी अजित सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।
सर्वसम्मति से अध्यक्ष चे जाने के बाद जयंत चौधरी ने सभी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने चौधरी चरण सिंह और अजित सिंह के बताए रास्ते पर चलते हुए गांव-किसानों के हित के लिए सदैव संघर्ष का संकल्प लिया।
जयंत चौधरी ने अध्यक्ष पद संभालते ही संयुक्त किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए कार्यकर्ताओं से बुधवार को इसमें बड़ी संख्या में भाग लेने का आह्वान किया है। सरकार से मांग की है कि किसानों से वार्ता कर समस्या का जल्द कोई हल निकाले।
वर्चुअल बैठक में पंचायत चुनाव के नतीजों की समीक्षा करते हुए संतोष व्यक्त किया गया। कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में तन-मन से जुट जाएं।
कैसा रहा है राष्ट्रीय लोकदल बनने का सफर
- पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने 1974 में कांग्रेस मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर भारतीय क्रांति
दल (बीकेडी)
की स्थापना की थी।
- बाद में इसका नाम लोकदल हो गया।
- 1977 में लोकदल का विलय जनता पार्टी में हो गया।
- 1980 में जनता पार्टी टूटी तो चौधरी चरण सिंह ने जनता पार्टी (एस) का गठन किया।
- 1980 के लोकसभा चुनाव में इसका नाम बदलकर दलित मजदूर किसान पार्टी हो गया।
- 1986 में चौधरी चरण सिंह की बीमारी के बाद अजित सिंह विदेश से वापस आ गए।
- उनको किसान ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद पार्टी अध्यक्ष बनाने की बारी आई तो हेमवती
नंदन बहुगुणा अलग हो गए।
- अजित ने लोकदल (अ) का गठन कर लिया।
- 1988 में जब जनता दल बना तो अजित उसके साथ हो गए।
- 1993 में लोकदल (अ) का कांग्रेस में विलय हो गया।
- 1996 में अजित ने कांग्रेस से अलग होकर बाबा महेंद्र सिंह टिकैत के साथ भारतीय किसान
कामगार पार्टी
बनाई।
- 1999 में राष्ट्रीय लोकदल का गठन चौधरी अजित सिंह ने किया था। वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष
थे।
अजित ने उस वक्त पार्टी के दो फाड़ होने के बावजूद खुद को राजनीति का मंझा हुआ खिलाड़ी बनकर दिखाया था। वे सत्ता में रहे या नहीं लेकिन उनको कोई सियासत से दूर नहीं कर सका।
उस दौर से अगर आज तुलना करें तो जयंत के सामने पार्टी को फिर से खड़ा करने की बड़ी चुनौती है। हांलाकि पार्टी का सासंद या विधायक ना होने के बावजूद जयंत की लोकप्रियता और सम्मान जनता के बीच कायम है।
जयंत 15 साल से राजनीति में हैं। लोकदल के साथ ही उनको किसानों की सारी समझ है। उनमें बड़े चौधरी साहब का अक्स दिखता है। 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को जयंत चौधरी के निर्देशन में ऊंचाइयों पर ले जाने की चुनौती है।
जयंत चौधरी को रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर चुने जाने से बागपत में समर्थकों में खुशी है।
राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय प्रवक्ता इंदरजीत सिंह टीटू ने कहा कि जयंत चौधरी के पार्टी की कमान संभाल लेने के बाद सूबे में राष्ट्रीय लोकदल नए कलेवर में दिखेगी। पंचायत चुनाव में पार्टी ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। जिसका लाभ हमारी पार्टी को 2022 के उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में देखने को मिलेगा।
राष्ट्रीय लोकदल के नेता अजय प्रमुख, चौधरी अजयवीर, एस.एन.त्रिवेदी, सुनील रोहटा, अनिल दुबे आदि का कहना है कि जयंत चौधरी के पार्टी की कमान संभाल लेने के बाद पार्टी पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चरण सिंह तथा पूर्व पार्टी अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह के विचारों को तेजी से आगे बढ़ाने का काम करेगी। किसानों की सच्ची हितैषी राष्ट्रीय लोकदल के मजबूत होने से किसानों को बड़ा बल मिलेगा। वह अपनी बात किसी भी मंच पर आसानी से रख सकेंगे।
टीम स्टेट टुडे
Comentarios