महाकुंभ में आकर्षण का केंद्र बनेगा भारद्वाज आश्रम, जहां खोजी गई विमान उड़ाने की 500 टेक्नीक
योगी सरकार की प्राथमिकता में मंदिर का नवनिर्माण प्रगति पर, 13 करोड़ से ज्यादा की राशि से दिनरात चल रहा काम
85% तक पूर्ण हुआ काम, महाकुंभ के दौरान आश्रम आने वाले श्रद्धालुओं को होगी आनंद की अनुभूति
प्रयागराज, 26 अक्टूबर : महाकुंभ से पहले धार्मिक स्थलों का पुनर्निर्माण योगी सरकार की प्राथमिकता में है। इसी को लेकर योगी सरकार ने भारद्वाज मुनि के आश्रम के पुनर्निर्माण के लिए 13 करोड़ रुपए का बजट रखा है। यहां 85 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है। महाकुंभ आयोजन शुरू होने से पहले सभी काम पूरे करने के निर्देश दिए गए हैं।
महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए प्रयागराज का भारद्वाज मुनि का आश्रम आकर्षण का प्रमुख केंद्र बन रहा है। यहीं दुनिया में पहली बार विमान उड़ाने की टेक्नोलॉजी खोजी गई। पौराणिक मान्यता के अनुसार भारद्वाज मुनि ने यहीं पर विमान उड़ाने के 500 प्रकार के तरीके ईजाद किए हैं। सूर्य की किरणों से चलने वाले विमान की टेक्नोलॉजी खोजने वाले भारद्वाज मुनि पहले ऋषि हैं।
कई राज्यों के मजदूर कर रहे कार्य
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक भारद्वाज मुनि के आश्रम का पुनर्निर्माण का कार्य पूरी गति से आगे बढ़ रहा है। मंदिर के कॉरिडोर को अंतिम रूप देने के लिए दिन रात काम चल रहा है। निर्माण कार्य को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए कई राज्यों के मजदूरों को यहां लगाया गया है।
दीवारों से लेकर मुख्य द्वार तक हो रहा कायाकल्प
मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्राचीन भारतीय विमान निर्माण कला पर आधाारित महान वैज्ञानिक महर्षि भारद्वाज के आश्रम का कायाकल्प किया जा रहा है। यहां दीवारों पर भित्ति चित्र जिसमें भारद्वाज ऋषि से जुड़ी कहानियां, भगवान राम के वन गमन के चित्र, वन्य जीवों के चित्र बनाए जा रहे हैं। इसके अलावा, छाया में बैठने के लिए बेंच, पर्याप्त मात्रा में डस्टबिन, मार्ग प्रकाश के लैंप, मुख्य द्वार का निर्माण, पार्किंग स्थल आदि निर्मित किया जा रहा है।
सप्त ऋषियों में सबसे ज्यादा सम्मान
संगम नगरी में महर्षि भारद्वाज का आश्रम सदियों से सनातन संस्कृति कासंवाहक है। प्रयागराज को तीर्थराज कहा गया है। यहां की पौराणिक मान्यता है कि भारद्वाज मुनि प्रयागराज के प्रथम निवासी ऋषि थे। सप्तऋषि परिवार में भारद्वाज ऋषि का नाम सबसे ज्यादा आदर से लिया जाता है। मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत के अनुसार भारद्वाज आश्रम की देश और दुनिया में बहुत मान्यता है। इसकी वजह से साउथ इंडिया के काफी लोग प्रयागराज आते हैं। आश्रम कॉरिडोर बनने के बाद यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटेंगे।
लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद श्री राम ऋषि से मिलने आए
मान्यता है कि वन गमन से पहले प्रभु श्री राम माता सीता और लक्ष्मण भारद्वाज मुनि के आश्रम में रुके थे। यहीं आश्रम से ऋषि ने उनको चित्रकूट जाने की सलाह दी थी। कहा जाता है कि लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद प्रभु श्री राम ऋषि से मिलने उनके आश्रम दोबारा लौट कर आए थे।
महाकुंभ 2025 - श्रद्धालुओं को होंगे भारत की पुरातन संस्कृति और वैभव के दर्शन
योगी सरकार के सहयोग से इलाहाबाद/प्रयागराज संग्रहालय लगाएगा प्रदर्शनी
दिल्ली में बनने जा रहे विश्व के सबसे बड़े युगे-युगीन संग्रहालय का ट्रेलर भी देखने को मिलेगा
संग्रहालय में प्रदर्शित मूर्तियों के रेप्लिका देखने को मिलेंगे
प्रयागराज, 26 अक्टूबर। महाकुंभ-2025 में जब श्रद्धालु आएंगे तो उन्हें भारत की संस्कृति और वैभव के दर्शन भी होंगे। योगी सरकार के सहयोग से इलाहाबाद/प्रयागराज संग्रहालय भव्य प्रदर्शनी लगाएगा। महाकुंभ में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बनने जा रहे विश्व के सबसे बड़े युगे-युगीन संग्रहालय का ट्रेलर देखने को मिलेगा।
लघु और आधुनिक चित्र कला का समृद्ध संग्रह
देश के चार राष्ट्रीय संग्रहालयों में एक प्रयागराज में स्थित है। संग्रहालय में विविध प्रकार के संग्रह हैं, जिनमें यथा मूर्तिशिल्प, मृण्मूर्ति, लघुचित्र कला, आधुनिक चित्र कला, पुरातात्विक वस्तु, मुद्राएं, अस्त्र-शस्त्र, वस्त्र, पाण्डुलिपि, फरमान आदि हैं। मूर्ति कला संग्रह में अशोक स्तम्भ शीर्ष (तीसरी सदी ई. पूर्व) 58 भरहुत स्तूप के (दूसरी सदी ई.पू.) कला शिल्प, जिसमें जातक कथाओं के दृश्य हैं, स्तम्भ, बड़ेर, तोरण पूर्व कला शिल्प वीथिका में प्रदर्शित हैं। मध्य कालीन मूर्ति शिल्प अनुभाग में वैष्णव, शाक्त, शैव और जैन मूर्तियां हैं। लघु चित्र कला और आधुनिक चित्र कला का समृद्ध संग्रह है।
डिजिटल प्रदर्शनी में नजर आएगा इतिहास
इलाहाबाद/प्रयागराज संग्रहालय के डिप्टी क्यूरेटर डॉ. राजेश मिश्रा ने बताया कि महाकुंभ- 2025 में प्रदर्शनी के लिए संग्रहालय को योगी सरकार की ओर से स्थान उपलब्ध कराया जा रहा है। महाकुंभ में संग्रहालय की ओर से डिजिटल प्रदर्शनी लगाई जाएगी, जिसमें इतिहास से जुड़ी वस्तुओं का प्रदर्शन होगा। एक अमृत कलश भी बनाया जाएगा।
प्रदर्शित की जाएंगी मूर्तियों की रेप्लिका
डॉ. मिश्रा ने बताया कि दिल्ली में बनने जा रहे युगे-युगीन संग्रहालय का ट्रेलर महाकुंभ में दिखाया जा सकता है, इसकी कार्ययोजना तैयार की जा रही है। महाकुंभ में इलाहाबाद/प्रयागराज संग्रहालय में रखीं मूर्तियों के रेप्लिका को प्रदर्शित किया जाएगा। वर्ष 2019 के कुंभ में मोहिनी की मूर्ति श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रही थी और उसे संग्रहालय ने सेल्फी प्वाइंट बनाया था।
स्थान को लेकर हो रही चर्चा
प्रयागराज में युद्धस्तर पर चल रही महाकुंभ की तैयारी के बीच इलाहाबाद/प्रयागराज संग्रहालय की ओर से व्यापक स्तर पर तैयारी की जा रही है। संग्रहालय और मेला प्राधिकरण के बीच स्थान को लेकर बैठकों का दौर जारी है। योगी सरकार की कोशिश है कि मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को भारत की कला, संस्कृति और वैभव के दर्शन हों।
प्लास्टिक मुक्त होगा महाकुंभ, क्वाइन मशीन से मिलेंगे कॉटन के थैले
महाकुंभ को स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए योगी सरकार की नई पहल
प्रयागराज नगर निगम पूरे शहर में स्थापित कर रहा क्वाइन मशीन
क्वाइन मशीन में 10 रुपए डालते ही प्राप्त हो सकेगा कॉटन का बैग
सीएसआर फंड के माध्यम से योजना को किया जा रहा संचालित
10 रुपए का सिक्का नहीं होने पर क्यूआर कोड स्कैन कर भी पेमेंट कर सकेंगे ग्राहक
प्रयागराज, 26 अक्टूबर। महाकुंभ को स्वच्छ और इको फ्रेंडली बनाने के लिए योगी सरकार नए-नए उपाय कर रही है। लोगों को जागरूक करने से लेकर के मेला क्षेत्र और पूरे प्रयागराज को प्लास्टिक मुक्त करने का अभियान चलाया जा रहा है। इसी क्रम में अब प्रयागराज नगर निगम पूरे शहर में क्वाइन मशीन की स्थापना कर रहा है। सीएसआर फंड के माध्यम से इन क्वाइन मशीन को स्थापित किया जा रहा है। इनमें दस रुपए का सिक्का डालने पर नागरिकों को कॉटन के थैले प्राप्त हो सकेंगे। ऑनलाइन पेमेंट करके भी थैले हासिल किए जा सकेंगे। इस पहल से लोगों को प्लास्टिक के बैग इस्तेमाल नहीं करने के लिए प्रेरित किया जा सकेगा और महाकुंभ मेला क्षेत्र के साथ-साथ पूरे प्रयागराज को प्लास्टिक मुक्त बनाने में मदद मिलेगी।
बड़ी संख्या में लोग होंगे लाभान्वित
शुक्रवार को एडीजी भानु भास्कर की अध्यक्षता में आयोजित महाकुंभ मेला स्टेकहोल्डर्स की बैठक में नगर आयुक्त सीएम गर्ग ने इस क्वाइन मशीन को लेकर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्लास्टिक मुक्त शहर की परिकल्पना को साकार करने के लिए नगर निगम की ओर से कई प्रयास किए जा रहे हैं। क्वाइन मशीन भी इसी का हिस्सा है। इसमें दस रुपए का सिक्का डालने पर लोगों को प्लास्टिक मुक्त थैला प्राप्त होगा, जिससे वो खरीदारी करने में सक्षम हो सकेंगे। उन्होंने बताया कि इस मशीन को विभिन्न स्थानों पर रखा जा रहा है, ताकि बड़ी संख्या में लोग इससे लाभान्वित हो सकें। महाकुंभ तक और उसके बाद भी यह क्वाइन मशीन अपनी सेवाएं देती रहेंगी। उन्होंने बताया कि विभिन्न वेडिंग जोन्स में मिट्टी के बर्तन, पत्तल एवं जूट बैग्स विकल्प के रूप में उपलब्ध कराने जैसे प्रयास भी किए जा रहे हैं।
सीएसआर फंड की मदद से आगे बढ़ेगी योजना
प्रयागराज नगर निगम के पर्यावरण अभियंता उत्तम कुमार वर्मा ने बताया कि फिलहाल 8 क्वाइन मशीने स्थापित की जानी हैं, जिनमें से एक मशीन स्थापित भी कर दी गई है। सीएसआर फंड के माध्यम से इसका संचालन किया जाना है। दूसरे चरण में कई और मशीनें स्थापित की जा सकती हैं। इसे सब्जी मंडी, फल मार्केट और एजी ऑफिस समेत विभिन्न स्थानों पर लगाया जाना है। इन मशीनों में दस रुपए का सिक्का डालने पर कॉटन या कंपोजिटेबल मैटेरियल का थैला मिल सकेगा। यदि किसी के पास दस रुपए के सिक्के की शॉर्टेज है तो इसमें क्यूआर की सुविधा भी प्रदान की जाएगी। क्यूआर कोड स्कैन कर दस रुपए का पेमेंट करते ही उन्हें थैला प्राप्त हो जाएगा। इस पहल से प्रयागराज को प्लास्टिक मुक्त बनाने में काफी मदद मिलेगी।
महाकुंभ-2025 - निखर-संवर रहे हैं कुंभ नगरी प्रयागराज के द्वादश माधव मंदिर
सीएम योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट द्वादश माधव के मंदिरों के कायाकल्प का कार्य समापन की ओर
12 करोड़ से अधिक के बजट से भव्य स्वरूप में हो रहा है द्वादश माधव का सौंदर्यीकरण
प्राचीन संरचनाओं को संरक्षित रखते हुए मंदिरों को मिल रहा है नव्य और भव्य स्वरूप
द्वादश माधव के मंदिरों के परिसर की दीवारों में भी पेंट माय सिटी के अंतर्गत चित्रित हो रही है संस्कृति
प्रयागराज, 26 अक्टूबर। संगम नगरी प्रयागराज की पहचान उसके धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक स्वरूप से है। योगी सरकार द्वारा 2019 के कुम्भ के दिव्य, भव्य और स्वच्छ आयोजन से मिली वैश्विक पहचान ने कुम्भ नगरी प्रयागराज में पर्यटन की अपार संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं। प्रयागराज में संगम के अतिरिक्त द्वादश माधव और पंचकोशी परिक्रमा के रूप में धार्मिक पर्यटन की पर्याप्त संभावनाएं मौजूद हैं। पर्यटन विभाग इन्हें तेजी से विकसित कर रहा है।
महाकुंभ के पूर्व द्वादश माधव का कायाकल्प
कुंभ नगरी प्रयागराज पौराणिक मंदिरों का शहर है। इसे तीर्थराज भी कहा जाता है। इन मंदिरों में भी द्वादश माधव कुम्भ नगरी की आध्यात्मिक पहचान है। इन द्वादश माधव के मंदिरों के कायाकल्प के लिए योगी सरकार का संकल्प धरातल पर उतर रहा है। यूपी राज्य पर्यटन विभाग इन बारह माधव के मंदिरों को पर्यटन के नक्शे में विशेष स्थान देने में लगा हुआ है। अपर कुंभ मेला अधिकारी विवेक चतुर्वेदी बताते हैं कि महाकुंभ के पूर्व द्वादश माधव के मंदिरों का पुनरोद्धार किया जा रहा है। कायाकल्प का कार्य समापन के निकट है और अंतिम चरण पर कार्य चल रहा है। इसका तकरीबन 85 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है। कुल 12.34 करोड़ की लागत से इन प्राचीन पौराणिक मंदिरों को नव्य स्वरूप दिया जा रहा है।
प्राचीन संरचनाओं के संरक्षण के साथ सौंदर्यीकरण
महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र कुंभ क्षेत्र के अलावा प्रयागराज के प्राचीन मंदिर भी हैं, जिनके साथ यहां की पौराणिक मान्यता जुड़ी हुई है। मंदिरों के इस समूह में द्वादश माधव मंदिर समूह सर्वप्रथम है जिनकी मूल संरचना को संरक्षित रखते हुए उनका पुनरोद्धार हो रहा है। अपर कुंभ मेला अधिकारी विवेक चतुर्वेदी का कहना है कि
इन मंदिरों में थीम पर आधारित प्रवेश द्वार, म्यूरल्स, रेड सैंड स्टोन से बने साइनजेज, सत्संग भवन, बैठने के लिए बेंचेस ,फ्लोरिंग, पेय जल की व्यवस्था, टॉयलेट्स बाउंड्री वॉल और ग्रीनरी का विकास किया गया है। परिसर में ट्री पेंटिंग के अलावा पेंट माय सिटी अभियान की धार्मिक और आध्यात्मिक प्रतीकों को भी चित्रित किया जाएगा।
Comments