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एयरबेस पर ड्रोन अटैक को बैठक कर मोदी सरकार ने सीमा पार से “भारत पर हमला” माना है– आगे आप समझदार हैं



उरी हमले के बाद पाकिस्तान में घुसकर आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए भारत ने एयर स्ट्राइक की थी। जवाब में पाकिस्तान एक दो दिन पर अमेरिका से मिले 500 करोड़ के एफ-16 को लेकर भारत पर चढ़ाई करने निकला। भारतीय वायुसेना के जांबाज अभिनंदन ने पाकिस्तान में घुस कर अमेरिका के युद्धक विमान का कूड़े के ढेर में बदल दिया। बाद में शेर की तरह पाकिस्तान से भारत भी लौटे।


बार बार मार खाने के बाद पाकिस्तान ये तो समझ चुका है कि भारत से सीधी लड़ाई में वो जीत नहीं सकता। आतंकियों की घुसपैठ भी अब आसान नहीं रह गयी है। जम्मू कश्मीर में आए दिन आतंकी ठोंके जा रहे हैं। ऐसे में पाकिस्तान ने आतंक के ड्रोन तैयार किये हैं।


जम्‍मू में भारतीय वायुसेना के एयरबेस पर शनिवार देर रात को आतंकियों ने विस्‍फोटक गिराकर हमला किया। आतंकियों ने विस्‍फोट अनमैंड एरियल व्‍हीकल (यूएवी) यानी ड्रोन की मदद से गिराया था। पाकिस्तानी आतंकवादियों ने महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने के लिए पहली बार ड्रोन का इस्तेमाल किया है। पहला विस्फोट शनिवार देर रात एक बजकर 40 मिनट के आसपास हुआ, जबकि दूसरा उसके छह मिनट बाद हुआ। इस बम विस्फोट में दो वायुसेना कर्मी घायल हो गए। पहले धमाके में शहर के बाहरी सतवारी इलाके में भारतीय वायुसेना द्वारा संचालित हवाई अड्डे के उच्च सुरक्षा वाले तकनीकी क्षेत्र में एक मंजिला इमारत की छत को नुकसान हुआ जबकि दूसरा विस्फोट छह मिनट बाद जमीन पर हुआ।


प्रधानमंत्री ने की हाई लेविल मीटिंग


जम्मू में एयर फोर्स बेस पर ड्रोन हमले के मद्देनजर मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ हुई बैठक में देश के सामने उभरते सुरक्षा खतरों और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए व्यापक आधार वाली नीति तैयार करने पर जोर दिया गया। यह जानकारी इस मामले से जुड़े लोगों ने दी।


ड्रोन हमले के दो दिन बाद हुई इस अहम बैठक के बाद ये तय है कि सरकार उभरती चुनौतियों से सामूहिक रूप से निपटने के लिए जल्द ही एक नीति लेकर आ रही है। देश के सामने उभर रही नई और गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए विभिन्न मंत्रालय और विभाग इस नीति पर काम कर रहे हैं। रक्षा मंत्रालय और तीनों सेनाएं, सभी प्रमुख हितधारकों और सुरक्षा एजेंसियों के साथ समन्वय करके नीति के निर्माण के साथ-साथ इसे अमली जामा पहनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।


तीनों सेनाओं को ड्रोन हमलों जैसी नए जमाने की चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने और उन्हें नियंत्रित करने के लिए आवश्यक हार्डवेयर की खरीद के लिए दिक्कतों को दूर करने के लिए कहा जा रहा है। बैठक में कई अन्य पहलुओं पर चर्चा हुई। सुरक्षा बलों को आधुनिक उपकरणों से लैस करने, क्षेत्र में अधिक युवाओं, स्टार्ट-अप और रणनीतिक समुदाय को शामिल करने पर भी विचार विमर्श हुआ। तीनों सेनाओं को पहले ही मानव रहित विमानों के हमलों से निपटने के लिए ड्रोनरोधी तकनीकों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा गया है।


भारत ने इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में भी उठाया।


ड्रोन हमले की तकनीकी समस्या


आसमान में छोटे-छोटे पक्षियों की तरह दिखाई देने वाले ड्रोन को मार गिराने की अभी फिलहाल भारत के पास कोई कारगर तकनीक नहीं है। ड्रोन बहुत मंहगे नहीं हैं और यदि इन्हें मारकर गिराया जाए तो इसे भेजने वाले को कोई शारीरिक नुकसान नहीं होगी। दूसरे ड्रोन में हाई रिजॉल्यूशन कैमरा समेत अन्य तकनीक का इस्तेमाल करके आतंकी इससे सैन्य टुकड़ियों, शिविरों आदि पर भी हमला कर सकते हैं। इसलिए आने वाले समय में सीमापार से आतंक फैलाने वालों का यह बड़ा हथियार बन सकता है।


अब तक कितने ड्रोन घुसे भारत में


केंद्रीय खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों के सूत्र बता रहे हैं कि 2019 से अब तक 300 से अधिक ड्रोन भारतीय वायु क्षेत्र में दिखाई दे चुके हैं। इनमें से कुछ ड्रोन द्वारा सीमा पार से हथियार लेकर आने और भारतीय सीमा में गिराए जाने की सूचना है। इन हथियारों में एके-47, हैंड ग्रेनेड आदि भी शामिल हैं। कुछ ड्रोन ने पंजाब और आस-पास के क्षेत्र में नशीले पदार्थों को भी गिराया है। इन ड्रोन की संख्या के बारे में सुरक्षा और खुफिया सूत्रों का कहना है कि 2019 में 167, 2020 में 77 और 2021 में अब तक 66 ड्रोन या इससे मिलती-जुलती चीजें आसमान में उड़ती हुई देखी गई हैं। जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान के पास 50 से अधिक हमला करने में सक्षम ड्रोन हैं। इसे पड़ोसी देश ने चीन से लिया था। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में बम गिराने वाले ड्रोन के बारे में भी कहा जा रहा है कि ये चीन से पाकिस्तान और वहां से आतंकियों के हाथ लगे हो सकते हैं।


टीम स्टेट टुडे


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