भविष्य की चुनौतियाँ व आशा - ओम प्रकाश मिश्र

भारत राष्ट्र के अमृतकाल में, यह विषय अत्यन्त महत्वपूर्ण है कि हमारे समक्ष की चुनौतियाँ व आशा की किरणों के मघ्य हम क्या आकलन वस्तुनिष्ठ तरीके से कर सकते हैं। आज जहाँ विश्व के अनेक हिस्सों में युद्ध ( खासकर रूस-युक्रेन युद्ध), तनाव, आर्थिक संकट आदि हमारे सामने हैं, तो हम एक राष्ट्र के रूप में कौन सी चुनौतियों व कौन सी आशा की किरणों पर ध्यान केन्द्रित करके, भारत के भविष्य को संवार सकते हैं।
अभी हाल में वर्ष 2020 से लगभग ढ़ाई-तीन वर्ष तक पूरा विश्व, एक ऐसी महामारी के प्रकोप से पीड़ित रहा जिससे निपटना विकसित व साधन-सम्पन्न देशों के लिए भी अत्यन्त कठिन रहा था, परन्तु जिस प्रकार का प्रयास, हमारे देश में कोरोना-रोधी टीके को बनाने व उसे इतनी बड़ी जनसंख्या को लगभग शतप्रतिशत मुफ्त लगवाने का कठिन कार्य सम्पन्न हुआ, उससे हमारी छवि तो पूरे संसार के समक्ष अत्यन्त श्रेष्ठ हुई ही, साथ ही साथ, भारतीय जनमानस का अपने ऊपर भरोसा भी बढ़ा। कोरोना काल में भी भारत की आर्थिक वृद्धि संसार के सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में रही।
निश्चिततः स्वामी विवेकानन्द के भारत के भविष्य पर मद्रास (चेन्नेई) में दिए गये व्याख्यान की याद आना स्वाभाविक है। ‘‘ यह वही भारत है, जहाँ के आध्यात्मिक प्रवाह का स्थूल प्रतिरूप उसके बहने वाले समुद्राकार नद है, जहाँ चिरंतन हिमालय श्रेणीबद्ध उठा हुआ अपने हिम शिखरों द्वारा मानो स्वर्गराज के रहस्यों की ओर निहार रहा है।........ यह वही भारत है जो शताब्दियों के आघात, विदेशियों के शत-शत आक्रमण और सैकड़ो आचार-व्यवहारों के विपर्यय सहकर भी अक्षय बना हुआ हैं।.....अवश्य ही यहाँ बीच-बीच में दुर्दशा और अवनति के युग भी रहें हैं, पर उनकों मैं अधिक महत्व नहीं देता। ‘‘इसी अवनति के भीतर से भविष्य का भारत आ रहा है, यह अंकुरित हो चुका है, उसके नए पल्लव निकल चुके हैं।‘‘ स्वामी विवेकानन्द की उपयुक्त दृष्टि हमारी शाश्वत आशा की किरणों के पुंज का स्त्रोत हैं।
जहाँ एक तरफ हमारे पड़ोस के कई देशों में आर्थिक संकट, खाद्यन्न की कमी आदि स्पष्टतः हाल के समय में दिखाई पड़ी हैं, दूसरी ओर हमारें यहाँ कोरोना काल से अभी तक (दिसम्बर 2023 तक) गरीबों को, लगभग 80 करोड़ लोगो को, मुफ्त खाद्यान्न उपलब्धि का नियोजन कोई आसान बात नहीं हैं। आज विश्व भारत को अधिक सम्मान के लायक समझता है। यह आजादी के 75 वें वर्ष में अत्यन्त आशावाद को जन्म देता है।
अभी हाल में बिलगेट्स ने अपने एक लेख ‘‘विश्व को राह दिखाता भारत‘‘ में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बनने के करीब हैं। यहाँ आप व्यापक स्तर पर समस्यायें सुलझायें बिना अधिकांश समस्याओं को सुलझा नहीं सकते। भारत ने यह सिद्ध किया है कि वह बड़ी चुनौतियों का सामना कर सकता है। देश ने पोलियों को जड़ से मिटा दिया है। एच आई वी संक्रमण घटा है। गरीबी में कमी आई है। बाल मृत्युदर घटी है। स्वच्छता और वित्तीय संवाओं का दायरा बढ़ा है। यह कैसे संभव हुआ? भारत ने विश्व को राह दिखाने वाला ऐसा नवाचार वाला तरीका अपनाया, जिनमें सुनिश्चित किया गया कि समाधान उन लोगो तक पहुँचे, जिन्हे उनकी आवश्यकता हैं।...... स्मरण रहें कि दुनिया अन्य देशों की भाँति,भारत के पास भी सीमित संसाधन ही हैं, लेकिन उसने दिखाया है कि इसके बावजूद कैसे प्रगति की जा सकती है।‘‘
अभी कुछ ही दिन पहले अमरीका का प्रसिद्ध बैंक ‘‘सिलिकान वैली बैंक‘‘ के दिवालिया होने का समाचार आया था। उसके बाद ‘‘सिल्वर गेट‘‘ और ‘‘सिगनेचर बैंक‘‘ के भी डूबने, की खबर आयी। विश्व की सबसे बड़ी विकसित अर्थव्यवस्था, अमरीका की आर्थिक आधार शक्ति बैंकिंब सेक्टर की कठिनाइयाँ आगे और भी बढ़ सकती हैं। अभी हाल में, बैंक के प्रदर्शन और क्रेडिट गुणवत्ता के आधार पर, फरवरी 2023 में ‘‘सिलिकान वैली बैंक‘‘ की फोब्स पत्रिका ने 100 सर्वश्रेष्ठ बैंको की तालिका में 20वाँ स्थान दिया था।

परन्तु इसके विपरीत हमारे देश की बैंकिंग व्यवस्था, बहुत हद तक लचीली तथा छोटे-छोटे झटकों को सहने की क्षमता रखती है। अभी आज भी यह समाचार मिला है कि भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास को इन्टरनेशनल पब्लिकेशन सेन्ट्रल द्वारा वर्ष 2023 के लिए ‘‘गवर्नर ऑफ द ईयर‘‘ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह भारत की बैंकिंग व्यवस्था के प्रति हमारे विश्वास को जगाता है। भारत में क्रेडिट कार्ड का ऋण बढ़ने के बावजूद, बैंकों का एन0पी0ए0 यानी फँसे