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ये चला रहे थे यूपी में धर्मांतरण की फैक्ट्री - हजारों हिंदुओं का बदल दिया धर्म



हिंदुओं को मुसलमान बनाने का काम उत्तर प्रदेश में ऐसे चल रहा था मानो किसी फैक्ट्री से कोई प्रोडक्ट निकल रहा हो। बहुत बड़ा मामला पकड़ा गया है उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण का। ये तब है जब यूपी में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार है।


एक हजार से ज्यादा लोगों को मुस्लिम बनाने की जानकारी मिली है। उत्तर प्रदेश एटीएस ने इस खेल में लिप्त दो लोगों को गिरफ्तार करने के बाद उनके खिलाफ केस दर्ज किया है।


अपर पुलिस महानिदेशक एटीएस तथा कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि उत्तर प्रदेश में धर्म बदलने का बड़ा खेल चल रहा है। प्रदेश में सोची समझी साजिश के तहत इस प्रकार का धर्म परिवर्तन किया जा रहा है। मामले में बड़ी तफ्तीश जारी है। धर्म परिवर्तन कराने के मामले में पकड़े गए आरोपितों ने एक हजार लोगों का धर्म बदलवाकर उन्हें मुस्लिम बनाने की बात स्वीकार की है। ये भी जानकारी मिली है इस संगठन को

आइएसआइ से फंडिंग भी होती थी । इस संगठन का नाम इस्लामिक दावा सेंटर है।



एटीएस ने धर्मांतरण कराने वाले उमर और जहांगीर को पकड़ा है। जिन्होंने बताया कि इन लोगों ने धन का लालच देकर एक हजार से अधिक लोगों का धर्म परिवर्तन करवाया है। इन्हें आइएसआइ से इस काम के लिए फंडिंग होती थी। यह लोग मूक और बधिर बच्चों और महिलाओं को टार्गेट करते थे। धर्म परिवर्तन के बाद महिलाओं की शादी भी कराई गई है। इस काम के लिए एक पूरा गिरोह काम कर रहा था। इन लोगों का रैकेट और भी कई राज्यों में सक्रिय होने की बात सामने आई है। इन दोनों लोगों ने मथुरा व वाराणसी समेत प्रदेश के कई जिलों में अभियान चलाकर मतांतरण करवाया है।


पकडे गए लोगों के पास से एक हजार महिलाओं बच्चों की सूची मिली है। कानपुर, वाराणसी और नोएडा के भी तमाम बच्चों, महिलाओं का धर्म परिवर्तन करवा चुके हैं। कानपुर के एक बच्चे को तो दक्षिण भारत के किसी शहर में ले जाया गया है। एटीएस ने जिस मौलाना जहांगीर और उमर गौतम को पकड़ा है वो लखनऊ के बड़े मुस्लिम संस्थान से जुड़े हैं।


कहां है दफ्तर


दोनों ही दिल्ली के जामिया नगर इलाके के रहने वाले हैं। गिरफ्तारी के बाद एटीएस ने दिल्ली में बने मोहम्मद उमर के दफ्तर पर छापा मारकर उसे सील कर दिया है। ये वही दफ्तर है, जहां से धर्मांतरण का पूरा खेल खेला जाता था।


उमर और उसके साथियों ने धर्म परिवर्तन कराने का काम करने के लिए इस्लामिक दावा सेंटर (IOC) नाम से एक ऑफिस खोल रखा था, जिसका पता दिल्ली के जामिया नगर में दर्ज है। इसके जरिए ही गैर-मुस्लिमों को मुस्लिम में परिवर्तित करने का काम किया जाता था।


कैसे चलाते थे रैकेट


एटीएस का कहना है कि यह गरीब हिंदुओं को निशाना बनाते थे। दोनों मौलाना इस्लामिक सेंटर के नाम से संस्था चलाते हैं। जहां मूक बधिर स्कूल के छात्र-छात्राओं को बरगलाकर और लालच देकर धर्म परिवर्तन करवाया जाता था।


डासना शिव धाम से मिला सुराग


दरअसल 2 जून को गाजियाबाद में डासना के स्वामी यति नरसिंहानंद के आश्रम से शाम 8 बजे 2 संदिग्धों को पकड़ा गया था। दोनों संदिग्ध आश्रम में घुस गए थे। जब पूछताछ हुई तो एक ने अपना नाम विपुल विजयवर्गीय बताया और दूसरे ने अपना नाम काशी गुप्ता बताया। जब पुलिस ने काशी गुप्ता से सख्ती से पूछताछ की तो पता चला उसका असली नाम काशिफ है।


दोनों संदिग्धों की तलाशी में उनके पास से 6 से 7 सर्जिकल ब्लेड, बोतल में लिक्विड, कुछ दवाइयां जो देखने में जहर लग रही थीं, वहीं कुछ धार्मिक किताबें बरामद हुईं। दोनों का मकसद साफ था। पूछताछ में पता चला कि ये दोनों भी धर्मांतरण रैकेट के ये भी एक्टिव मेंबर थे।


आश्रम से पकड़े गए विपुल विजयवर्गीय और काशी गुप्ता उर्फ काशिफ से ATS ने लंबी पूछताछ की, जिसमें पता चला कि विपुल विजयवर्गीय धर्मांतरण कर चुका है। काशी गुप्ता उर्फ काशी और विपुल विजयवर्गीय महराष्ट्र में काफी दिन रहे हैं। इन्हीं दोनों से पूछताछ के बाद मौलाना गौतम का सुराग मिला और धर्म परिवर्तन के इस बड़े रैकेट का खुलासा हुआ। उत्तर प्रदेश एटीएस अब तक 20 लड़कियों के परिवारों से पूछताछ कर चुका है ।


जानकारी के मुताबिक इनके कनेक्शन उत्तर प्रदेश के साथ ही अन्य कई राज्यों से जुड़े थे। मोहम्मद उमर गौतम पुत्र स्वर्गीय धनराज सिंह गौतम भी 70 के दशक में मुसलमान बना था। इसके बाद से यह दिल्ली गया और इस अभियान में लग गया। गैर मुस्लिमों का मुस्लिम में मतांतरण करने के मामले में बेहद सक्रिय उमर और जहांगीर को लखनऊ से पकड़ा गया है। गाजियाबाद में दर्ज केस के बाद यह मामला सामने आया है। माना जा रहा है कि इन दोनों और इनके साथियों ने उत्तर प्रदेश में हजार से ज्यादा लोगों का मतांतरण कराया है।


इन गिरफ्तारियों से साफ है कि भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाने और हिंदुओं के इस्लामीकरण की आग दूर दूर तक फैली है। बात सिर्फ इतनी भर नहीं है इन शातिरों को बचाने के लिए इस रैकेट में वकीलों, मानवाधिकार संगठनों, धरना प्रदर्शन और उत्पात एवं हिंसा करने वालों की लंबी चौड़ी टीम मौजूद है। जो सड़क से अदालत तक इन्हें बचाने का हर प्रयास भी करेगें और कर रहे हैं।


टीम स्टेट टुडे


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