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गुणों का भंडार है श्रीअन्न, धान, गेहूं व मक्का के बाद Uttar Pradesh में 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में होती है बाजरे की खेती

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बाजरा किसानों को प्रोत्साहित कर रही योगी सरकार


बाजरे की संकर प्रजाति के बीज पर अनुदान उपलब्ध करा रही योगी सरकार



लखनऊ, 19 जुलाईः बाजरा श्रीअन्न की प्रमुख फसल है। उत्तर प्रदेश में धान, गेहूं एवं मक्का के पश्चात लगभग 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बाजरा की खेती की जाती है। बाजरा के दानो में भरपूर पौष्टिकता होती है। विशेष रूप से फाइबर, प्रोटीन, विटामिन बीकॉम्पलेक्स, कैल्शियम, फास्फोरस एवं मैगनीज तत्वों के साथ एन्टीआक्सीडेंट भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करती है। इससे बाजार में इसकी मांग है। बाजरा के प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ में औषधीय गुण भी पाये जाते हैं। बाजरा के उत्पाद मधुमेह के नियंत्रण, हृदय के स्वास्थ्य सुधार हेतु उपयुक्त, ग्लुटेन मात्रा कम पाये जाने के कारण पेट के रोगों से राहत दिलाने में सहयोग के साथ ही वर्तमान समय में मोटापा कम करने और वजन सुधार में भी लाभदायक है। इसके अतिरिक्त वैज्ञानिक शोध एवं तकनीकी विकास के कारण बाजरे के दानों से कई प्रकार की औषधियों का भी निर्माण किया जा रहा है। योगी सरकार इन्हीं गुणों को देखते हुए बाजरा (श्रीअन्न) किसानों को प्रोत्साहित कर रही है।


कम वर्षा में भी की जा सकती है बाजरा की खेती

बाजरा की खेती अपेक्षाकृत कम वर्षा (400-500 मिमी0) में भी की जा सकती है। वर्तमान में लगभग प्रदेश के 29 जनपदों में औसत से कम वर्षा पायी गयी है। जहां कम वर्षा के कारण धान की खेती नहीं की जा सकती, किसानों के लिए उन क्षेत्रों में बाजरा की फसल लेना लाभदायक सिद्ध होगा। बाजरा की फसल लगभग धान की असफल बुवाई की स्थिति में अगस्त माह के मध्य तक कर सकते हैं। फसल की अवधि अधिकतम 80-85 दिन होने के कारण 10 नवम्बर के पूर्व कटाई कर रबी की फसल की बुवाई समय से की जा सकती है। बाजरा की फसल से 25-30 कुन्तल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिल जाती है, तो दूसरी तरफ धान की अपेक्षा लागत कम होने एवं बाजरा का बाजार मूल्य अधिक होने के कारण प्रति इकाई किसानों को अपेक्षाकृत अधिक लाभ की संभावना हो सकती है। बाजरा की संकर प्रजाति 86एम84, बायो-8145, एन0बी0एच0-5929 के साथ संकुल प्रजाति धनशक्ति की उत्पादन क्षमता 35-40 कुन्तल प्रति हेक्टेयर तक है।


बाजरे की संकर प्रजाति के बीज पर अनुदान उपलब्ध करा रही योगी सरकार

उत्तर प्रदेश में बहुत से क्षेत्रफल असमतल एवं वर्षा आधारित होने के कारण धान की खेती हेतु उपयुक्त नहीं होते हैं। ऐसी भूमि में भी बाजरा की खेती कर किसान अतिरिक्त लाभ प्राप्त कर सकते हैं परंतु बुवाई से पूर्व भूमि जनित रोगों से बचाने के लिए ट्राइकोडरमा, हारजीएनम 2 प्रतिशत पाउडर का 2.50 किग्रा0 की मात्रा से भूमि शोधन करना आवश्यक होता है। योगी सरकार राजकीय कृषि बीज भण्डारों के माध्यम से बाजरे की संकर प्रजाति के बीज पर अनुदान उपलब्ध करा रही है, जिससे किसानों की लागत कम हो जाती है, दूसरी तरफ सरकार द्वारा बाजरे की फसल वर्ष 2022-23 से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बाजरा का क्रय किया जा रहा है। इससे निःसंदेह ही किसानों को लाभकारी मूल्य प्राप्त होने से अतिरिक्त लाभ प्राप्त करने की संभावना बढ़ सकती है। कृषि विभाग ने किसानों से अनुरोध किया है कि खरीफ के मौसम में भूमि की उपयुक्तता के अनुसार बाजरे की खेती कर सरकारी योजनाओं के माध्यम से अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकते हैं।


'हरित गांव' के रूप में स्थापित होगा यूपी का हर गांव


सीएम के निर्देश पर पर्यावरण संरक्षण में आमजन की भागीदारी होगी सुनिश्चित


हर ग्राम पंचायत में महीने के तीसरे शुक्रवार को लगेगी 'ग्रीन चौपाल'


ग्रीन चौपाल के अध्यक्ष होंगे ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सचिव संयोजक, किसान, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, स्वयं सहायता समूह की महिला, प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक आदि होंगे सदस्य


सराहनीय कार्य करने वाले प्रगतिशील ग्रीन चौपालों को राज्य स्तर पर सम्मानित करेगी योगी सरकार


लखनऊ, 19 जुलाईः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विगत दिनों बैठक में निर्देश दिया था कि वर्ष 2030 तक प्रदेश के हरित आवरण को 15 प्रतिशत तक ले जाना है। यह लक्ष्य तभी सफल होगा, जब पौधरोपण जनांदोलन का स्वरूप ले। सरकार की मंशा है कि प्रत्येक गांव को हरित गांव के रूप में स्थापित किया जाए। सरकार का मानना है कि वन-पर्यावरण, स्वच्छ भारत मिशन, जल जीवन मिशन, मनरेगा आदि के सहयोग से प्रत्येक ग्राम पंचायतें पर्यावरणीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम हो सकती हैं। सीएम के इस निर्देश के पश्चात सूबे के हर गांवों में ग्रीन चौपाल के जरिए पर्यावरण संरक्षण होगा, जिसमें आमजन की भागीदारी भी सुनिश्चित होगी। ग्राम प्रधान ग्रीन चौपाल के अध्यक्ष होंगे। हर माह के तीसरे शुक्रवार को अनिवार्य रूप से ग्रीन चौपाल की बैठक होगी।


ग्रीन चौपाल के अध्यक्ष होंगे प्रधान, ग्राम पंचायत सचिव संयोजक

ग्रीन चौपाल के अध्यक्ष ग्राम प्रधान होंगे। वही इसका संचालन करेंगे। सेक्शन/बीट अधिकारी सदस्य सचिव तथा ग्राम पंचायत अधिकारी संयोजक होंगे। इसके अलावा तीन ग्राम पंचायत सदस्य (न्यूनतम एक महिला), स्वयं सहायता समूह की एक महिला प्रतिनिधि, प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक, आंगनबाड़ी सहायिका, रोजगार सेवक, प्रगतिशील कृषक, पर्यावरणविद्/स्थानीय एनजीओ के प्रतिनिधि व जैव विविधता प्रबंधन समिति के प्रतिनिधि ग्राम चौपाल के सदस्य होंगे। इसके अतिरिक्त संबंधित विभागों के प्रतिनिधि विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे।


जिला वृक्षारोपण समिति करेगी ग्रीन चौपाल के कार्यों की निगरानी

प्रदेश की हरियाली बढ़ाने के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए प्रत्येक माह के तीसरे शुक्रवार को ग्रीन चौपाल की बैठक होगी। इस दिन राजकीय अवकाश होने की स्थिति में अगले दिन अनिवार्य रूप से ग्रीन चौपाल की बैठक होगी। विभिन्न विभागों की पर्यावरण से जुड़ी योजनाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा। पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन आदि के प्रति स्थानीय स्तर पर विशेष प्रचार-प्रसार ( नुक्कड़ नाटक, रैली, गोष्ठी) आदि का आयोजन भी होगा। गांवों के विद्यालयों में शिक्षकों/विद्यार्थियों को जैव-विविधता, पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन आदि के सम्बन्ध में जागरूक किया जायेगा। ग्रीन चौपाल के कार्यों की निगरानी जिला वृक्षारोपण समिति करेगी।


ग्राम हरित निधि की स्थापना व संचालन पर ग्रीन चौपाल का होगा फोकस

पौधरोपण के लिए ग्राम पंचायतवार माइक्रोप्लान की विवेचना एवं क्रियान्वयन में ग्रीन चौपाल की सक्रिय सहभागिता रहेगी। इसके साथ ही ग्राम पंचायत में हरीतिमा विकास के लिए उपलब्ध रिक्त भूमि पर पौधरोपण व रखरखाव सुनिश्चित करेगा। ग्राम चौपाल शासन एवं जिला वृक्षारोपण समिति की मंशा के अनुरूप दायित्वों का निर्वहन करेगा। मिशन लाइफ, वन, वन्यजीव, आर्द्र भूमि, पर्यावरण, जैवविविधता संरक्षण, जलवायु परिवर्तन, पौधरोपण, कार्बन क्रेडिट, वैकल्पिक ऊर्जा आदि के संबंध में विभिन्न विभागों द्वारा संचालित योजनाओं से आमजन को भी जागरूक किया जाएगा। मानव-वन्यजीव संघर्ष को नियंत्रित करने के लिए प्रचार-प्रसार के साथ ही ग्राम हरित निधि की स्थापना व संचालन पर भी फोकस रहेगा।


उत्कृष्ट कार्य करने वाली ग्रीन चौपाल को राज्य स्तर पर किया जाएगा सम्मानित

मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) के निर्देशन में ग्रीन चौपाल के कार्यों के विवरण का संकलन प्रत्येक महीने जिला पंचायत राज अधिकारी द्वारा किया जाएगा। ग्रीन चौपाल के सुचारू संचालन के लिए समन्वय का कार्य प्रभागीय वनाधिकारी करेंगे। जिला वृक्षारोपण/पर्यावरण समिति द्वारा उत्कृष्ट कार्य करने वाली ग्रीन चौपालों को नियमित रूप से चिह्नित किया जाएगा, फिर उन्होंने सम्मानित भी किया जाएगा। जनपद स्तर पर सराहनीय कार्य करने वाली ग्रीन चौपालों की सूची पर्यावरण, वन-जलवायु परिवर्तन विभाग को उपलब्ध कराई जाएगी। ऐसे समस्त प्रगतिशील ग्रीन चौपालों को राज्य स्तर पर भी सम्मानित किया जाएगा।

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