एक शिक्षक की जीवन में क्या महत्ता होती है ये किसी से छिपा नहीं है। हम सभी आज जहां भी हैं हमारे शिक्षकों का उसमें महती योगदान है। यह भी सच है कि प्राथमिक पढ़ाई के शिक्षक जीवन भर याद रहते हैं। जो पिछली पीढ़ी के हैं उन्हें गुरुजी संटी से पिटाई याद होगी। आम के पेड़ के नीचे पट्टियां बिछाकर इमला लिखना याद होगा। वो भी दौर था जब मास्टर जी एक बच्चे को खड़ा करते थे और वो सबको पहाड़े दुहरवाता था। बीत गया वो दौर फिर भी हम नहीं भूले अपने शिक्षकों को।
सरकारी स्कूल खासतौर से ऐसे प्राथमिक विद्यालय जहां सरकारी अध्यापक पूरे मनोयोग से भारत के भविष्य तैयार कर रहे हैं उनके व्यक्तिगत जीवन भी प्रेरणा की मिसाल है। वर्तमान में सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक सिर्फ शिक्षक भर नहीं है, तमाम सरकारी की योजनाओं को लाभार्थियों तक पहुंचाने का माध्यम भी हैं।
जनसंख्या गणना, चुनाव, जागरुकता अभियान और ना जाने कितने ही उपक्रमों में सरकार शिक्षकों का उपयोग करती है। कोरोना के संकट काल में भी शिक्षकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पहली और दूसरी लहर के दौरान सरकारी स्कूलों के शिक्षकों ने ना सिर्फ आनलाइन पढ़ाई के जरिए बच्चों की चिंता की है बल्कि कोविड गाइडलाइंस और कोरोनाग्रस्त क्षेत्रों में जन जन तक दवा इलाज तक पहुंचाने का काम किया।
शिक्षक दिवस पर कानपुर के उच्च प्राथमिक विद्यालय अहिरवां के शिक्षक राजकुमार अग्निहोत्री का किस्सा जानिए और समझिए कि एक शिक्षक समाज के लिए कितना महत्वपूर्ण है। जो अपने परिवार को भूलकर भी समाज सृजन में कितना महत्वपूर्ण योगदान देता है।
उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों के भांति कानपुर नगर के शिक्षकों की कोरोना वायरस सर्विलांस अथवा रिस्पांस टीम में घर-घर जाकर लोगों को जागरुक करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। सर्दी, जुखाम, बुखार आने पर कोरोना परीक्षण कराना, कोरोना पाजिटिव परिवार के बारे में जानकारी करना, तथ्यों को एकत्र करना व कोविड-19 की जानकारी देने का कार्य रोटेशन के आधार पर कराया गया। परंतु लगभग 35 शिक्षकों ने लगातार छह माह लगभग इस कार्य को अंजाम दिया।
इन्हीं में से एक हैं राजकुमार अग्निहोत्री। जो उच्च प्राथमिक विद्यालय अहिरवां के शिक्षक हैं। बड़ी ही तत्परता व कर्तव्यनिष्ठा से इस कार्य को सराहनीय ढंग से किया। इस दौरान इनका पुत्र देवांश अग्निहोत्री कोरोनावायरस हो गया। पुत्र की देखभाल पत्नी रत्ना अग्निहोत्री के द्वारा की जाती रही। राजकुमार अग्निहोत्री अनवरत कार्य को अंजाम देते रहे। इस दौरान पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने के पश्चात वह स्वयं कोरोना पीडित हो गए। परिस्थितियां अत्यधिक विपरीत हो चली थीं। ऑक्सीजन की कमी व फेफड़ों के संक्रमण से जूझते हुए इन्होंने कोरोना को मात दी। इस दौरान इनके पिता का कोरोना से स्वर्गवास हो गया। वह भी ऑक्सीजन की कमी व फेफड़ों के संक्रमण से ग्रसित थे।
आज भी कोरोना के पश्चात की स्थितियों से जूझते हुए शिक्षा के क्षेत्र में अलख जगाने का कार्य राजकुमार अग्निहोत्री के द्वारा किया जा रहा है इन्होंने चौक, बिरहाना रोड, टटिया भगवंत, गंगानगर व श्याम नगर आदि मोहल्लों में रिस्पांस टीम के साथ कार्य किया व टीम का हिस्सा रहे।
स्टेट टुडे टीवी परिवार की ओर से ऐसे सभी कर्तव्यनिष्ठ और समाज के सही मायनों में निर्माण करने वाले शिक्षकों को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। ऐसे सभी शिक्षकों के दीर्घायु होने की कामना। राजकुमार अग्निहोत्री की तरह 6 माह तक लगातार कार्य करने वाले शिक्षकों में संजीव द्विवेदी, रोहित गुप्ता, कुलदीप तिवारी, महेंद्र सिंह, संतोष अवस्थी, रामकुमार त्रिपाठी, हरिशंकर दीक्षित, निहाल सिंह भी शामिल रहे।
टीम स्टेट टुडे
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