कहते हैं कि सियासत में मुर्दे भी जिंदा रखे जाते हैं ताकि वक्त आने पर वो बोलें। फिर सियासत की उस पैंतरेबाजी का तो कहना ही क्या जिसे चीन और रुस मिलकर खेलें, अमेरिका हथियार दे और पाकिस्तान जमीन।
बिल्कुल ठीक समझा है आपने। भारत जंग के मुहाने पर खड़ा है। अफगानिस्तान में तालिबान का शासन यूं ही नहीं है। अमेरिकी फौज अफगानिस्तान से हटा कर बाइडन भले ही अपने फैसले को सही ठहराएं लेकिन उस फैसले की सीमा सिर्फ अमेरिका के भीतर ही सही या गलत के दायरे में होगी। शेष दुनिया के लिए ये मौका सौदेबाजी और अपने फायदे के मुताबिक चित्त या पट करने का है।
इस पूरे षडयंत्र में सबसे बड़ा खतरा भारत के लिए खड़ा हो चुका है। कैसे आपको बताते हैं –
दरअसल पाकिस्तान के आतंकियों से रिश्ते किसी से छिपे नहीं है। अलकायदा का खुरासान माड्यूल पहले से ही भारत में अपने स्लीपर सेल बना चुका है। रही सही कसर लश्कर और जैश जैसे संगठनों ने पूरी कर दी है। इसके साथ साथ भारत की दूसरी सबसे बड़ी आबादी के रुप में रहने वाले मुसलमान कभी किसी के नहीं हुए। देश के भीतर ये कब गृहयुद्ध की स्थिति पैदा कर दें इसका अंदाजा सब को है। भारत के जिन इलाकों में मुस्लिम आबादी घनी बसी है उसे अक्सर ये खुद मिनी पाकिस्तान कह कर बुलाते हैं। इसलिए सभी मुगालते किनारे।
अमेरिकी फौजे हटते ही पाकिस्तानी आर्मी के बड़े अफसर ना सिर्फ अफगानिस्तान पहुंचे बल्कि तमाम आतंकी संगठनों के साथ बैठ कर भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की रणनीति बनाई।
भारत के विदेश मंत्रालय समेत पूरी भारत सरकार भले ही तालिबान के शासन को लेकर तुला-बांट कर रही हो लेकिन खुफिया एजेंसियों के सूत्रों की माने तो जम्मू-कश्मीर पर आक्रमण की तैयारी की रुपरेखा तैयार हो चुकी है।
अफगानिस्तान में छूटे हथियारों के अलावा अमेरिका नए सिरे से हथियार बेचने की तैयारी में है। चीन अफगानिस्तान के खनिज संपदा के साथ साथ भारत के खिलाफ अपने मंसूबे पर्दे के पीछे से पूरे करने की तैयारी कर रहा है। चीन और पाकिस्तान के संबंध किसी से छिपे नहीं हैं। इन दोनों का भारत को लेकर रुख भी किसी से छिपा नहीं है। रही बात रुस समेत बाकी यूरोपीय देशों की तो युद्ध की स्थिति में ये सभी भारत को हथियारों की सप्लाई करने में तो दिलचस्पी ले सकते हैं लेकिन भारत के खिलाफ पाकिस्तान के तालिबान, अलकायदा, जैश और लश्कर के आतंकियों के सहारे होने वाले इस छद्म युद्ध में कोई खुल कर नहीं आएगा।
हालही में जम्मू कश्मीर में हुए ड्रोन अटैक के पीछे सउदी अरब है। ये बात भी अब किसी से छिपी नहीं जो पाकिस्तान को पूरी मदद दे रहा है।
कब होगा युद्ध
सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर कश्मीर के बहाने पाकिस्तान और भारत का युद्ध कब होगा। इसमें भी दो बातों का ख्याल पहले कीजिए। भारत के खिलाफ पाकिस्तान सेना आतंकियों को आगे कर खुद को सुरक्षित करेगी जबकि भारतीय सेना को आतंकी घुसपैठ के साथ साथ सीधी लड़ाई में खुद के जांबाज सैनिकों को आगे करना ही पड़ेगा।
वर्तमान परिस्थिति में जब कोरोना से दुनिया के तमाम देशों की अर्थव्यवस्थाएं चौपट हो चुकी हैं तब सिर्फ जंग ही है जो दुनिया भर के देशों की अर्थव्यवस्था में बूम पैदा कर सकती है। नुकसान सिर्फ उसे होगा जिसके खिलाफ ये जंग लड़ी जाएगी। जाहिर है आर्थिक, सामरिक और विविध मोर्चों पर भारत की बढ़ती ताकत दुनिया के किसी भी देश को रास नहीं आ रही। तरह तरह के आंदोलनों से भारत की आंतरिक व्यवस्था पहले से ही भितरघातियों ने अस्थिर कर के रखी है। ऐसे में एक छोटी सी चिंगारी बड़े दावानल का रुप ले सकती है। जानकार बता रहे हैं कि 2022 आते आते भारत के खिलाफ छद्म युद्ध में तेजी आएगी और फिर अगले दो साल के भीतर भीषण जंग छिड़ेगी।
देश की खुफिया एजेंसियों को आशंका है कि वैश्विक जिहाद पर अल कायदा का हालिया बयान जिसमें कश्मीर भी शामिल है पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर दिया गया था। सूत्रों ने कहा कि कश्मीर को आजाद कराने की बात करना काफी खतरनाक है क्योंकि यह तालिबान के एजेंडे में कभी नहीं था। इससे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों का मनोबल बढ़ेगा।
सूत्रों ने बताया कि सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी अल-कायदा के बयान का विश्लेषण कर रहे हैं जो न केवल भारत के लिए वरन मध्य एशिया और पाकिस्तान के कई हिस्सों के लिए भी काफी चिंताजनक है। गौर करने वाली बात यह भी है कि बयान में जिहाद के जरिए मुक्ति के लक्ष्यों में रूस के चेचन्या और चीन के झिंजियांग का उल्लेख नहीं किया गया था। बयान के पीछे पाकिस्तान का हाथ होने का अंदेशा है।
सूत्रों ने बताया कि इस बात के संकेत मिले हैं कि तालिबान के अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद पाकिस्तान में बैठे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों ने अपने आतंकियों को जम्मू-कश्मीर में धकेलने के प्रयास तेज कर दिए हैं। मौजूदा वक्त में पाकिस्तान में लांचिंग पैड के पास गतिविधियां तेज हो गई हैं जो घुसपैठ में बढ़ोतरी का संकेत दे रही हैं।
30-31 अगस्त की दम्यानी रात को अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान छोड़ने के एक दिन बाद अल कायदा ने एक बयान जारी किया था। इसमें उसने कश्मीर समेत कथित इस्लामिक भूमि को मुक्त कराने के लिए वैश्विक जिहाद का आह्वान किया था। पूरे अफगानिस्तान को अपने नियंत्रण लेने के लिए तालिबान को बधाई देते हुए अल-कायदा ने कहा था कि अब इस्लाम के दुश्मनों के चंगुल से सीरिया, सोमालिया, यमन, कश्मीर और बाकी इस्लामी भूमि को आजाद कराना है।
तालिबान को सत्ता तक पहुंचाने की 'स्क्रिप्ट' पाकिस्तान ने लिखी, यह तो साफ हो गया है। देखना यह होगा कि इसके डायरेक्टर कौन थे? चीन और रूस तो नहीं? अगर थे तो आगे भारत के लिए क्या 'सीन' बनेगा यह बड़ा सवाल है। इतना तो तय है कि भारत के दुश्मनों की साजिश भारत को गृहयुद्ध में ढकेल कर सीमा पर परोक्ष और अपरोक्ष दोनों ही प्रकार से जंग लड़ना है।
टीम स्टेट टुडे
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