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बीजेपी ने फिर सोचा - 2022 यूपी विधानसभा चुनाव में मुसलमान उसे वोट देगा !

Updated: Oct 14, 2021



सबका साथ – सबका विकास और सबका विश्वास। कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत में रह कर भारत विरोधी गतिविधियों के लिए कुख्यात मुस्लिम आबादी को भारतीय जनता पार्टी मुख्य धारा से जुड़ने का एक मौका और देगी।


केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद 2014 से ही बीजेपी ने अपनी सभी योजनाओं में देश की जनता के साथ भेदभाव नहीं किया। देश की गरीब आबादी किसी भी जाति, धर्म, मजहब की रही हो अगर जरुरतमंद है तो सरकारी योजनाओं में उसे स्थान दिया गया। उज्जवला योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान भारत योजना समेत हर छोटी बड़ी योजना में मुसलमानों को भी लाभ दिया गया। जबकि बीजेपी ये जानती रही है कि देश का ज्यादातर मुसलमान ना तो उसे वोट देता है और ना ही उसे भारत और भारतीय संस्कृति से कुछ लेना देना है।


2014 से अब तक भारत की केंद्र सरकार के साथ साथ विभिन्न राज्यों की बीजेपी सरकारों ने मुस्लिम समाज के हित में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए। तीन तलाक पर कानून बनाकर मुस्लिम महिलाओं के जीवन को नर्क बनने से बचाया। फिर गैस कनेक्शन, मकान, बिजली कनेक्शन, तरह तरह के अनुदान आदि सीधे जरुरतमंदों के खातों में ट्रांसफर करके सीधी मदद भी दी।


बिना लाग-लपेट और भेदभाव के मोदी सरकार ने देश की जनता के बीच हमेशा खुद को अलग थलग मानने वाली मुस्लिम आबादी को मुख्य धारा से जोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी।



अपने काम और ईमानदार नीयत से भरसक कोशिश के बाद अब भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर भारत के मुसलमानों को साबित करने का मौका देगी कि क्या वो मुख्यधारा में शामिल हुए या फिर सरकार की मदद और नेक पहल को सिर्फ अपने स्वार्थ तक सीमित कर उनकी आस्था उन्ही पार्टियों और संगठनों के बीच बनी हुई है जो तुष्टीकरण और जाति-धर्म की राजनीति में मुसलमानों को मोहरे की तरह इस्तेमाल करते आए हैं। उत्तर प्रदेश में केंद्र और प्रदेश सरकार के कामों के सहारे अल्पसंख्यक वर्ग के प्रभाव वाली सौ सीटों के समीकरण साधने की तैयारी है।


यूपी मिशन 2022 की तैयारी में जुटी भाजपा जीत दोहराने के लिए समीकरणों पर पैनी नजर जमाए है। रणनीति एक-एक विधानसभा क्षेत्र के लिए है, लेकिन इस बार पार्टी ने मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भी कमल खिलाने की आस लगाई है। दरअसल, यह उम्मीद विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों की उस सूची ने जगाई है, जिसमें बिना भेदभाव के इस इस वर्ग को प्रधानमंत्री आवास योजना से आवास, मुख्यमंत्री आवास योजना के आवास, उज्जवला योजना से गैस, सौभाग्य योजना से बिजली कनेक्शन, छात्रों को छात्रवृत्ति और 51-51 हजार रुपये शादी अनुदान मिला है। मदरसों का आधुनिकीकरण हुआ है।


भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह दावा करते हैं कि मोदी-योगी सरकार ने हर योजना बिना

भेदभाव के लागू की है। उसी का परिणाम है कि लगभग हर योजना में 30-35 फीसद लाभार्थी अल्पसंख्यक वर्ग के हैं। इसी आधार पर अब भाजपा ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति तय कर उसकी जिम्मेदारी अपने अल्पसंख्यक मोर्चा को सौंपी है।


भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने बताया कि लगभग सौ विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिमों का अधिक प्रभाव है। मुस्लिम बहुल करीब 40 हजार बूथ हैं। इनके लिए रणनीति बनाते हुए तय किया है कि यहां अल्पसंख्यक बुद्धिजीवी सम्मेलन और युवा सम्मेलन कर केंद्र और प्रदेश सरकार की योजनाओं पर चर्चा की जाएगी। उनसे सुझाव भी लिए जाएंगे। छोटे-छोटे समूहों में लाभार्थियों से संवाद होगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी 1918 मंडलों तक अल्पसंख्यक मोर्चा की 21-21 सदस्यीय टीम बना दी गई है। 80 फीसद बूथों पर मोर्चा का संगठन तैनात है। जल्द ही हर बूथ पर मोर्चाबंदी हो जाएगी।



कई राज्यों में खासकर गुजरात में भारतीय जनता पार्टी की नेक नीयत से कई मुस्लिम इलाके मोदीमय हुए हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश जहां योगी आदित्यनाथ ने केंद्र सरकार की तमाम योजनाओं के साथ साथ राज्य स्तर पर भी प्रदेश की जनता के साथ बिना भेदभाव विकास की राह पकड़ी है उसमें अब मुस्लिमों की परीक्षा भी ली जाएगी।

हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश के अलग अलग इलाकों के साथ साथ राजधानी लखनऊ से भी आतंकी पकड़े गए हैं। पकड़े गए सभी आतंकी मुस्लिम समुदाय से ही हैं। इसके अलावा एनआरसी-सीएए के मुद्दे पर भी राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश के कई हिस्सों में मुसलमानों ने जमकर उपद्रव, आगजनी और हिंसा की थी। आरोपियों की धरपकड़ योगी सरकार में सख्ती से हुई, गुनहगारों को सजा भी हो रही है लेकिन इतना सब होने पर भी मुस्लिम समाज को मुख्यधारा में जोड़ने और उनके विकास संबंधी कार्यों में कोई भेदभाव नहीं किया गया।

इसलिए एक बार फिर सत्ता में आने की पूरी तैयारी कर चुकी बीजेपी उत्तर प्रदेश के मुसलमानों की नीयत का लिटमस टेस्ट करेगी ताकि ये सुनिश्चित हो सके कि मुस्लिम समाज खुद भी विकास पसंद है और देश-प्रदेश की प्रगति में कदम से कदम मिलाकर चल सकता है।


टीम स्टेट टुडे



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