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1 जुलाई 2021 - स्कूल खोलने पर जानिए यूपी सरकार का फैसला



जुलाई का महीना आते ही जो ख्याल सबसे पहले आता है वो है बच्चों के स्कूल खुलने का। वो दिन फिलहाल दूर की ही कौड़ी लग रह हैं जब एक जुलाई को बच्चे गर्मी की छुट्टियों बाद यूनीफार्म पहन कर स्कूल जाते दिखते थे।


कोरोना की पहली और दूसरी लहर में सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चों की पढ़ाई पर ही पड़ा है। जैसे जैसे कोरोना की दूसरी लहर पर काबू पाया जा रहा है उत्तर प्रदेश में व्यापारिक, आर्थिक गतिविधियों के साथ-साथ शैक्षणिक कार्यों से भी आंशिक रूप से प्रतिबंध हटाये जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में सभी शासकीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को 1 जुलाई, 2021 से खोले जाने के आदेश दिये हैं।


हालांकि फिलहाल बच्चों को स्कूल आने की इजाजत नहीं होगी। लेकिन, विद्यालय प्रबंधन अपने अध्यापकों और कर्मचारियों को शैक्षिक और गैर-शैक्षिक कार्यों के लिए जरूरत के अनुसार बुला सकते हैं। छात्र-छात्राओं की ऑनलाइन पढ़ाई ई-पाठशाला से माध्यम से जारी रहेगी। सरकार ने स्कूलों में सख्ती से कोरोना नियमों का पालन करने का आदेश दिया गया है।


इससे पहले यूपी सरकार ने सभी स्कूलों को 30 जून तक बंद करने का आदेश दिया गया था। इस दौरान सभी सरकारी, गैर सरकारी, परिषदीय आदि विद्यालयों में ऑनलाइन तरीके से शैक्षिक गतिविधियों को संचालित किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव प्रताप सिंह बघेल ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों और मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशकों (बेसिक) को भेजे निर्देश में कक्षा एक से आठ तक के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक व कर्मचारियों को प्रशासनिक कार्य के लिए आने की अनुमति दी है। स्कूल सिर्फ प्रशासनिक कार्य के लिए खोले जा रहे हैं।


अब कोरोना वायरस का असर कम होने पर माध्यमिक शिक्षा परिषद स्कूल खोलने की तैयारी में हैं। 9वीं से 12वीं तक की कक्षाओं के लिए स्कूल खोलने पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए शिक्षा बोर्ड के सचिव दिव्यकांत शुक्ल ने 23 जून को शाम तक जिलों से अभिभावकों की राय मांगी थी, लेकिन जवाब देने में अधिकांश अभिभावकों ने रुचि नहीं दिखाई। अब फिर से राय मांगने की तैयारी है।


बच्चों को कोरोना रोधी वैक्सीन लगने तक अभिभावक उन्हें स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं है। बोर्ड अभिभावकों की राय एकत्र करने के बाद कोई फैसला ले सकता है।


क्या क्या होगा एक जुलाई स्कूलों में

शत-प्रतिशत बच्चों का विद्यालयों में नामांकन कराना।
मध्यान्ह भोजन योजना के तहत भेजी गई परिवर्तन लागत की धनराशि छात्र-छात्राओं व अभिभावकों के बैंक खाते में प्रेषित करना और मिले खाद्यान्न का वितरण कराना।
मुफ्त पाठ्य पुस्तकों का वितरण।
परिषदीय विद्यालयों में आपरेशन कायाकल्प की गतिविधियों को पूरा करना।
मिशन प्रेरणा के तहत ई-पाठशाला का संचालन।
जिला प्रशासन व शिक्षा विभाग की ओर से अन्य महत्वपूर्ण कार्य व दायित्वों का संचालन।


आपको याद दिला दें कि ज्यादातर सरकारी और गैर सरकारी स्कूल कालेज इस वर्ष जनवरी से कुछ पटरी पर आने का प्रयास कर रहे थे। फरवरी और मार्च के महीनों में छोटे बच्चों के लिए भी स्कूल खुल गए थे। इसी दौरान कोरोना की दूसरी लहर आई और पूरी व्यवस्था को तिनके की तरह उड़ा दिया। बच्चों को लेकर अभिभावक खास तौर से चिंता में हैं। वजह भी है कहा जा रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर ही हो सकता है।


टीम स्टेट टुडे


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