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ब्लैक फंगस पर यूपी सरकार ने जारी की एडवाइज़री – समझिए क्या कैसे होता है और फिर करना क्या है!




उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के केस जैसे जैसे कम हो रहे हैं ब्लैक फंगस लोगों को डरा रहा है।

अब तक जानकारी के मुताबिक यूपी में ब्लैक फंगस से चार से ज्यादा मरीजों की मौत हो चुकी है। बढ़ रहे मामलों को देखते हुए योगी सरकार ने लोगों के लिए एडवाइजरी जारी की है।


कहां-कहां अटैक करता है ब्लैक फंगस?


कोविड के बाद ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस लोगों को घेर रहा है। इस रोग में काले रंग की फंगस नाक, साइनस, आंख और दिमाग में फैलकर उन्हें नष्ट कर रही है और मरीजों की जान पर बन रही है।


किसे हो सकता है ब्लैक फंगस?


  • कोविड के दौरान जिन्हें स्टेरॉयड्स- मसलन डेक्सामिथाजोन, मिथाइल, प्रेडनिसोलोन आदि दी गई हों।

  • कोविड मरीज को ऑक्सिजन सपॉर्ट पर या आईसीयू में रखना पड़ा हो।

  • कैंसर, किडनी, ट्रांसप्लांट आदि की दवाएं चल रही हों।


ब्लैक फंगस के लक्षण


  • बुखार आ रहा हो, सर दर्द हो रहा हो, खांसी हो या सांस फूल रही हो।

  • नाक बंद हो। नाक में म्यूकस के साथ खून आ रहा हो।

  • आंख में दर्द हो। आंख फूल जाए, एक चीज दो दिख रही हो या दिखना बंद हो जाए।

  • चेहरे में एक तरफ दर्द हो, सूजन हो या सुन्न हो।

  • दांत में दर्द हो, दांत हिलने लगें, चबाने में दांत दर्द करे।

  • उल्टी में या खांसने पर बलगम में खून आए।



ऐसी स्थिति में क्या करना है -


  • ब्लैक फंगस के कोई लक्षण नजर आए तो तत्काल सरकारी अस्पताल में या किसी अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाएं। नाक, कान, गले, आंख, मेडिसिन, चेस्ट या प्लास्टिक सर्जन विशेषज्ञ को तुरंत दिखाएं ताकि जल्दी इलाज शुरू हो सके।


कैसे फैलता है ब्लैक फंगस


  • ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमाइकोसिस एक ऐसी बीमारी है जो कि किसी व्यक्ति से नहीं बल्कि वातावरण में हवा के माध्यम से सांस लेने पर इंसान के अंदर प्रवेश करता है। खासकर यह बीमारी उन लोगों को होती है, जो कि कोरोना संक्रमित हो चुके हैं और उन्हें डायबिटीज है। यह बीमारी उनको होती है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहद ही कमजोर है।


किस तरह की रखनी हैं सावधानियां


  • खुद या किसी गैर विशेषज्ञ डॉक्टरों, दोस्तों, मित्रों, रिश्तेदारों के कहने पर स्टेरॉयड दवा कतई शुरू न करें।

  • लक्षण के पहले 5 से 7 दिनों में स्टेरॉयड देने के दुष्परिणाम हो सकते हैं। बीमारी शुरू होते स्टेरॉयड शुरू न करें। इससे बीमारी बढ़ सकती है।

  • स्टेरॉयड का प्रयोग विशेषज्ञ डॉक्टर कुछ ही मरीजों को केवल 5 से 10 दिनों के लिए देते हैं, वह भी बीमारी शुरू होने के 5 से 7 दिनों बाद, केवल गंभीर मरीजों को। इससे पहले बहुत सी जांच होना जरूरी हैं।

  • इलाज शुरू होने पर डॉक्टर से पूछें की इन दवाओं में स्टेरॉयड तो नहीं है, अगर है तो ये दवाएं मुझे क्यों दी जा रही हैं।

  • स्टेरॉयड शुरू होने पर विशेषज्ञ डॉक्टर के नियमित संपर्क में रहें।

  • घर पर अगर ऑक्सिजन लगाया जा रहा है तो उसकी बोतल में उबालकर ठंडा किया हुआ पानी डालें या नॉर्मल स्लाइन डालें, बेहतर हो अस्पताल में भर्ती हों।


टीम स्टेट टुडे



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