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Devendra Mohan Bhaiya ji की अगुवाई में उत्साह और सांस्कृतिक गौरव के साथ बरेली में निकली सनातन जन जागृति शोभा यात्रा

धार्मिक उल्लास और अध्यात्मिक ऊर्जा के साथ शोभायात्रा का नेतृत्व करते परम पूज्य देवेंद्र मोहन “भैया जी” महाराज
धार्मिक उल्लास और अध्यात्मिक ऊर्जा के साथ शोभायात्रा का नेतृत्व करते परम पूज्य देवेंद्र मोहन “भैया जी” महाराज

धर्म, संस्कृति और सामाजिक सद्भाव का संदेश लेकर निकली हजारों श्रद्धालुओं की पदयात्रा


बरेली(एसएनबी)। सनातन संस्कृति, सामाजिक समरसता और आध्यात्मिक चेतना के संदेश के साथ बरेली में भव्य सनातन जन जागृति शोभा यात्रा अद्वितीय श्रद्धा और उत्साह के साथ निकाली गई। शोभायात्रा का नेतृत्व परम पूज्य देवेंद्र मोहन "भैया जी" महाराज ने किया।

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हजारों श्रद्धालु, भक्त, साधु-संतों और समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों की सहभागिता ने इस आयोजन को दिव्यता और भव्यता प्रदान की। यात्रा सुबह 10 बजे संत कृपाल योग साधना आश्रम (मणिनाथ) से विधिवत मंत्रोच्चार, कलश यात्रा, सनातन ध्वज, शंख-नाद और ढोल-नगाड़ों की धुनों के साथ प्रारंभ हुई। मार्ग में चौकी चौराहा, कंपनी गार्डन, आनंद आश्रम, श्यामगंज पुल, डमरू चौराहा, धर्मकांटा से होते हुए शोभायात्रा महादेव पुल और विशप मंडल कॉलेज पहुंची, जहां श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर यात्रा का स्वागत किया। इसके उपरांत शोभायात्रा पुनः आश्रम लौटकर पूर्णाहुति के साथ सम्पन्न हुई।

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पूरे मार्ग में आकर्षक भगवा ध्वज, भजन कीर्तन व जयकारे गूंजते रहे। बच्चे, युवा और वरिष्ठ नागरिक सभी पारंपरिक परिधान में सम्मिलित होकर सनातन संस्कृति के प्रति आस्था, एकता और गर्व का संदेश देते नजर आए। आयोजकों ने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य नागरिकों में भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और राष्ट्र भावना के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। उन्होंने सभी धर्मावलंबियों, नागरिकों और श्रद्धालुओं का धन्यवाद देते हुए कहा कि इस यात्रा ने बरेली के सामाजिक एवं आध्यात्मिक वातावरण में नई ऊर्जा का संचार किया है।

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शोभायात्रा के दौरान प्रशासन और स्वयंसेवकों द्वारा व्यवस्थाएं सुव्यवस्थित रूप से संचालित की गईं और पूरे शहर में उत्सव जैसा वातावरण दिखाई दिया। यह भव्य यात्रा न केवल सनातन परंपरा के गौरव को पुनर्स्थापित करती है, बल्कि सामाजिक सद्भाव और आध्यात्मिक जागृति का प्रतीक भी बनकर बरेली की धार्मिक धरोहर में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ गई। इस दौरान राजेन्द्र प्रसाद, प्रेम शंकर, श्याम बिहारी, संजय श्रीवास्तव, हरपाल व भगवान दीन आदि का सहयोग रहा।







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