इन दिनों कई जगहों से धर्मान्तरण का मामला लगातार सुनने में आता है जिसको ध्यान में रखते हुए विश्व हिंदू परिषद देश में तीन बड़े मुद्दों को लेकर अभियान शुरू करने जा रही है। यह अभियान 14 जनवरी मकर संक्रांति से प्रारंभ होगा और पूरे देश में इस अभियान को लेकर विश्व हिंदू परिषद के लाखों कार्यकर्ता गांव-गांव पहुंचेंगे ।
वही विश्व हिंदू परिषद के द्वारा सरकार से भी कानून बनाए जाने व व्यवस्था को नियंत्रण करने की मांग करेंगे।
अयोध्या में चल रहे दो दिवसीय सामाजिक समरसता की बैठक में शामिल हुए विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि, देश में धर्मांतरण को रोकने के लिए अभियान शुरू करने की तैयारी है।
अयोध्या पहुंचे विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने देशव्यापी आयोजन को लेकर जानकारी दिए कि विश्व हिंदू परिषद ने समरसता के कार्य में तेजी लाने का फैसला लिया है। इसके लिए 14 जनवरी के मकर संक्रांति को प्रत्येक वर्ष समरसता दिवस के रूप में मनाएंगे। इस दिन पूरे भारत में समरसता के लिए गोष्टी कार्यक्रम और प्रभात फेरी जैसे आयोजन किए जाएंगे।
विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि, दो बातों को लेकर विश्व हिंदू परिषद ने हुंकार भरी है एक तो धर्मांतरण लव जिहाद के मुद्दे पर 3 आपत्तियां है जो धर्मांतरण लालच से होता है जो धर्मांतरण भय से होता है और जो धर्मांतरण धोखे से होता है उन तीनों को रोकने के लिए कानून बनना चाहिए जबकि उत्तर प्रदेश ने जो कानून बनाया वह उपयोगी हैं। जिससे गतिविधियों पर रोक लगी है।
हमने केंद्र सरकार से भी कहा गया है कि भाजपा की सरकार आती है तो कानून बनाती है बाकी सरकारी नहीं बनाती हैं। आज आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु सहित अन्य कई प्रांतों में इस तरह के कानून की आवश्यकता है। इसलिए हमने केंद्र सरकार से मांग किया है कि धर्मांतरण और लव जिहाद को रोकने के लिए कानून बनाए और आने वाले दिनों में हम अपने इस अभियान को और तेज करेंगे।
देश में बहुत सारे राज्य ऐसे हैं जहां हमारी मंदिर सरकार के नियंत्रण में है। वही कहा कि तमिलनाडु की बात की जाए तो वहां पर जो मंदिर सरकार के देखरेख में है उनका अपनी आमदनी का 16% सरकार के खजाने में जमा करना पड़ता है प्रशासनिक व्यय के नाम से और उसी में 4% तक ऑडिट फीस भी देना होता है। और यदि सरकार कहे कि अब मंदिर ठीक नहीं चल रहा है। तो वहां पर एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी सीईओ के नाम से बैठा देते हैं उसकी वेतन भी मंदिर को देना होता है। आज मंदिरों का तेज कम हो रहा है। इसलिए उन राज्यों की सरकारों से भी कहा है। संतो से भी चर्चा की है। इसके लिए एक इंडिपेंडेंट स्ट्रक्चर डिवेलप हो या केंद्रीय कानून से हिंदू समाज के मंदिर हिंदुओं को वापस मिल जाए। सरकार मस्जिद, गिरजाघर व चर्च नहीं चलाती तो सरकार का काम मंदिर चलाने का भी नहीं है। इसलिए मंदिर समाज को वापस करें इसके लिए भी हम अपना अभियान तेज करेंगे।
वही राम मंदिर और काशी विश्वनाथ के बाद अब मथुरा को लेकर शुरू हुए विवाद पर टिप्पणी करते हुए कहा कि, हमने अब तय किया है कि जब तक रामलला को उनके जन्म स्थान के गर्भगृह पर विराजमान नही कर देते हैं तब तक बाकी विषयों पर विचार नहीं करेंगे और उसके बाद ही विचार किया जाएगा तो वही इशारों में भी स्पष्ट कर दिया कि 2024 में इस मुद्दे पर विचार किया जाएगा।
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