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मध्यप्रदेश में कांग्रेस की '11 गारंटी' फेल


भोपाल/नई दिल्ली, 3 नवंबर 2023 : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणाम से साफ है कि भाजपा को विजयश्री दिलाने में शिवराज सरकार की लाड़ली बहना योजना गेमचेंजर बनी। महिलाओं ने इस बार बढ़-चढ़कर मतदान किया था। 2,71,99,586 महिला मतदाताओं में से 76.03 प्रतिशत ने मतदान किया, जो 2018 के मुकाबले दो प्रतिशत अधिक है।

इस योजना से 1 करोड़ 31 लाख महिलाओं को मिल रहा लाभ

मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना में एक करोड़, 31 लाख महिलाएं लाड़ली बहनों को लाभ मिल रहा है। लाड़ली बहना और प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की हितग्राहियों को 450 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर भी दिया जा रहा है।

इसे महिला मतदान बढ़ाने में बड़ा कारण माना गया।प्रदेश में भाजपा की सरकार बनाने में हमेशा महिला मतदाताओं की बड़ी भूमिका रही है।

शिवराज सिंह चौहान ने सत्ता में आते ही शुरू की थी योजना

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सत्ता में आने के बाद पहले मुख्यमंत्री लाड़ली लक्ष्मी योजना लागू की, जिससे उनकी छवि मामा की बनी।

सामूहिक विवाह योजना लागू करके शिवराज सरकार ने गरीब परिवारों को आर्थिक तौर पर संबल दिया। इससे आगे बढ़ते हुए 28 जनवरी, 2023 को मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना लागू करने की घोषणा की गई, जिसमें एक हजार रुपये प्रतिमाह दिए जाने का वादा किया। मई से राशि बहनों के खातों में आने लगी। रक्षाबंधन के पहले महिलाओं के खातों में राशि जमा की गई। इसे बढ़ाकर 1250 रुपये किया गया और यह वादा भी किया गया कि इसे धीरे-धीरे बढ़ाकर तीन हजार रुपये तक ले जाया जाएगा।

कांग्रेस ने दी थी ये 11 गारंटी

कांग्रेस महिलाओं के लिए नारी सम्मान योजना लाई थी। इसके तहत महिलाओं को 1500 रुपये महीना दिए जाने का वादा किया गया था।

कांग्रेस ने जनता से 500 रुपये में गैस सिलिंडर देने का वादा भी किया था।

इसके अलावा लोगों को 100 यूनिट बिजली फ्री और 200 यूनिट का बिजली बिल आधा करने का भी वादा किया गया था।

कांग्रेस ने पिछले चुनावों की तरह इस बार भी किसानों का कर्ज माफ करने की गारंटी भी दी थी।

वहीं, सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करने की गारंटी भी कांग्रेस ने दी थी।

कांग्रेस ने किसानों को लुभाने के लिए सिंचाई के लिए 5 हार्स पावर का बिजली बिल मुफ्त करने की बात भी कही थी।

किसानों का का बिजली बिल माफ करने का भी वादा कांग्रेस ने किया था।

इसके साथ ही किसानों को सिंचाई के लिए 12 घंटे बिजली उपलब्ध कराने का वादा भी किया था।

कांग्रेस ने यह भी वादा किया था कि वह सत्ता में आने पर किसानों के खिलाफ दर्ज किए गए केस वापस लेगी।

कांग्रेस ने पिछड़ा वर्ग को साधने के लिए मध्य प्रदेश में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा तक किया था।

कांग्रेस पार्टी ने बिहार में हुई जाति आधारित गणना की तरह ही मध्य प्रदेश में भी जातिगत जनगणना कराने का वादा किया था। मप्र ने मतदाताओं ने नहीं किया कांग्रेस की गारंटियों पर विश्वास
विधानसभा चुनाव के परिणाम ने साफ कर दिया कि मध्य प्रदेश की जनता ने कांग्रेस की गारंटियों पर विश्वास नहीं किया। कांग्रेस की रणनीतिक कमजोरी भी उस पर भारी पड़ी।

पार्टी ने चुनाव प्रचार के दौरान जोर-शोर से महिलाओं को डेढ़ हजार रुपये प्रतिमाह देने, पांच सौ रुपये में रसोई गैस सिलेंडर, 100 यूनिट बिजली फ्री, 200 यूनिट बिजली हाफ, किसान कर्ज माफी, पुराने बिजली बिल की माफी, पुरानी पेंशन योजना की बहाली, जाति आधारित गणना सहित अन्य गारंटियां दी थीं।

मतदाता इनके प्रभाव में नहीं आए और फिर भाजपा पर ही विश्वास जताया। विधायकों पर ही दांव लगाना, दलबदलुओं को प्राथमिकता देना, टिकट बदलना और कार्यकर्ताओं में भाजपा से मुकाबला करने का विश्वास न जगा पाना भारी पड़ा।

कांग्रेस ने अपना पूरा प्रचार अभियान शिवराज सरकार की लाड़ली बहना योजना की काट के तौर पर सरकार बनने पर नारी सम्मान योजना लागू करके महिलाओं को डेढ़ हजार रुपये प्रतिमाह देने पर आधारित कर दिया था। इसको लेकर बाकायदा फार्म भरवाए गए।

दावा किया गया कि एक करोड़ फार्म भरवाए जा चुके हैं। इसके साथ ही पांच सौ रुपये में रसोई गैस सिलेंडर देने की गारंटी दी।

राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और मल्लिकार्जुन खरगे ने जाति आधारित गणना की गारंटी को बार-बार दोहराया। इसके माध्यम से दांव यह खेला गया था कि ओबीसी मतदाताओं को प्रभावित किया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

टिकट देने में भी चूक

विधायकों के टिकट काटने का दम कांग्रेस नहीं दिखा पाई। 95 में से 91 विधायकों को फिर से चुनाव लड़ाया, जबकि कार्यकर्ता नए चेहरों को मौका देने की मांग कर रहे थे।

गोटेगांव, सुमावली और बड़नगर में विधायकों के टिकट काटने के बाद फिर दिए गए, जिससे पहले जिन्हें प्रत्याशी घोषित किया गया, वे बागी हो गए और कांग्रेस को जमकर नुकसान पहुंचाया।

भाजपा, बसपा और सपा के नेताओं को टिकट दिया गया, जिससे स्थानीय कार्यकर्ताओं ने नाराज होकर प्रचार की केवल रस्म अदायगी की।

कमल नाथ और दिग्विजय सिंह ने कार्यकर्ताओं को भाजपा से मुकाबला करने के लिए उत्साहित तो खूब किया, पर वे तैयार ही नहीं हो पाए।

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