अफगानिस्तान के पंजशीर प्रांत पर भी कब्जा जमाने के दावे के बाद अब तालिबान नई सरकार बनाने जा रहा है। सरकार गठन की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा रहा है। तालिबान ने चीन, पाकिस्तान, रूस, ईरान, कतर और तुर्की को सरकार गठन के कार्यक्रम के लिए न्योता भी भेजा है। शासन बदलने के साथ-साथ तालिबान देश के लिए नया झंडा और नया राष्ट्रगान भी बनाना चाहता है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने सोमवार को मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि नई सरकार अफगानिस्तान के झंडे और राष्ट्रगान पर भी फैसला करेगी।
माना जा रहा है कि अफगानिस्तान के मौजूदा राष्ट्रीय ध्वज को हटाकर अभी तालिबान जिस झंडे को लहराता है, उसी तरह का मिलता-जुलता झंडा अफगानिस्तान का नया राष्ट्रीय ध्वज बन सकता है। अभी तालिबान लड़ाकों के हाथों में जो झंडा दिखाई देता है वह सफेद है। उस पर काले रंग में कलमा लिखा हुआ है और नीचे अफगानिस्तान इस्लामिक अमीरात लिखा हुआ है।
मौजूदा राष्ट्रीय ध्वज कैसा है?
अफगानिस्तान का मौजूदा राष्ट्रीय ध्वज काला, लाल और हरे रंग का है। काला रंग काले अतीत का प्रतीक है जब यह देश ब्रिटिश साम्राज्य के नियंत्रण में थी। लाल स्वतंत्रता के लिए बलिदान की याद दिलाता है और हरा रंग एक समृद्ध इस्लामी भविष्य की आशा का प्रतिनिधित्व करता है। ध्वज के केंद्र में एक मस्जिद है। पिछले 100 साल में अफगानिस्तान का झंडा करीब 18 बार बदल चुका है।
अफगान राज्य कभी ब्रिटीश उपनिवेश नहीं रहा लेकिन 1880 और 1919 के बीच अंग्रेजों के अधीन यह एक 'संरक्षित राज्य' था। 19 अगस्त को मनाए जाना वाला अफगानिस्तान का स्वतंत्रता दिवस उसी संरक्षण से मुक्ति का प्रतीक है, जब तत्कालीन अफगान शासक का देश पर पूर्ण नियंत्रण हुआ था।
इस साल 19 अगस्त को अफगानिस्तान की आजादी के 102 साल पूरे होने के मौके पर तालिबान के कब्जे का विरोध करने के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना कुछ लोगों ने तालिबान का झंडा हटा कर, अफगानिस्तान का राष्ट्रीय ध्वज भी फहरा दिया था। अफगान राष्ट्रीय ध्वज फहराने में कुछ महिलाएं भी शामिल हुई थीं। अब अफगानिस्तान का राष्ट्रीय ध्वज तालिबानी सत्ता के विरोध का प्रतीक बन गई है।
अफगान राष्ट्रगान क्या है
अफगान राष्ट्रगान पश्तो भाषा में है। इसे मई 2006 में आधिकारिक रूप से राष्ट्रगान घोषित किया गया था। राष्ट्रगान में "अल्लाहु अकबर" के साथ-साथ अफगानिस्तान की विभिन्न जनजातियों के नामों का भी उल्लेख है। गीत अब्दुल बारी जहानी ने लिखे थे और संगीत जर्मन-अफगान संगीतकार बाबरक वासा ने दिया था।
2004 में, अफगानिस्तान के नए संविधान में कहा गया कि देश के लिए एक नया राष्ट्रगान होगा, जिसमें अफगानिस्तान के लिए एक नए युग का संदेश दिया जाएगा। रॉयल सैल्यूट अफगानिस्तान का पहला राष्ट्रगान था, जिसे 1926 में अपनाया गया था जब अमानुल्लाह खान अमीर अपने शासन के सातवें वर्ष में राजा बने थे। उसके बाद के 95 सालों तक शासकों के बदलने पर पांच बार राष्ट्रगान को बदला गया। बिना राष्ट्रगान की पांच साल की अवधि वह थी जब 1996 से 2001 तक तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया था।
आईएसआई चीफ पहुंचा अफगानिस्तान
अफगानिस्तान की पंजशीर घाटी में तालिबान के पूर्ण नियंत्रण के दावे और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के चीफ फैज हमीद के काबुल दौरे ने बारत की चिंताएं बढ़ा दी हैं। अफगानिस्तान की लगातार बिगड़ती स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार शाम एक उच्चस्तरीय बैठक कर हालात का जायजा लिया। पीएम ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ गहन विचार विमर्श किया। इस बैठक में विदेश मंत्री एस.जयशंकर और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी मौजूद रहीं।
भारत के हितों को साधने के लिए पीएम ने बनाया उच्चस्तरीय समूह
तालिबान द्वारा काबुल पर नियंत्रण करने के तीन सप्ताह से अधिक समय बाद भी सरकार के गठन पर कोई स्पष्टता नहीं होने से हालात चिंताजनक हैं। अधिकारियों ने कहा कि भारत की नजर तालिबान को चुनौती देने वाले शीर्ष प्रतिरोध नेतृत्व पर है। यह समूह तजकिस्तान से तालिबान को चुनौती दे रहा है। बैठक में तालिबान के साथ जुड़ाव पर भी चर्चा हुई।
अफगानिस्तान के हालात को देखते हुए पीएम मोदी ने भारत की तात्कालिक प्राथमिकताओं पर ध्यान देने के लिए एक उच्च स्तरीय समूह का गठन किया है। समूह में विदेश मंत्री एस.जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। यह समूह अफगानिस्तान में जमीनी हालात और उस पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं की बारीकी से निगरानी कर रहा है।
आपको बता दें कि बीते हफ्ते कतर में भारत के दूत दीपक मित्तल ने दोहा में एक शीर्ष तालिबान नेता के साथ बातचीत की। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत यह तत्काल सुनिश्चित करना चाहता है कि अफगान धरती का इस्तेमाल उसके खिलाफ आतंकी गतिविधियों के लिए नहीं किया जाए। इसके साथ ही वहां जो लोग अभी फंसे हैं उनकी सुरक्षित निकासी सुनिश्चित हो। इससे पहले तालिबान ने दावा किया कि पंजशीर घाटी में एक महत्वपूर्ण लड़ाई के बाद अफगानिस्तान पर उसका पूरा नियंत्रण हो गया है।
अफगानिस्तान में दो गुटों के बीच जारी है संघर्ष
वहीं पूर्व उप राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह और पूर्व अफगान गुरिल्ला कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद के नेतृत्व वाले अफगान नेशनल रेसिस्टेंस फ्रंट ने इस दावे को गलत बताया है। फ्रंट ने बताया पंजशीर घाटी में सड़क तालिबान के पास है। हालांकि, घाटियों और भीतरी इलाकों में घमासान जारी है। इस बीच सूत्रों ने बताया कि तालिबान गुटों और हक्कानी नेटवर्क के बीच मतभेद सुलझाने के लिए काबुल के आए आइएसआइ प्रमुख फैज हमीद ने सरकार गठन रुकवा दिया है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि तालिबान समावेशी सरकार चाहता है, लेकिन तीन सप्ताह होने के बाद तस्वीर साफ नहीं है।
टीम स्टेट टुडे
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